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कुछ ऐसी चीजें इनमें बहुत देर तक विचार करना चाहिए

'चिरकारी प्रशस्यते'मित्र बध्नीयाच्चिरेण च कृतं त्यजेत्।
चिरेण हि कृतं मित्रं चिरं धारणमर्हति ॥
रागे दर्जे च माने च द्रोहे पापे च कर्मणि
अप्रिये चैव कर्तव्ये चिरकारी प्रशस्यते ॥
चिरं वृद्धानुपासीत चिरमन्यास्य पूजयेत्।
चिरं धर्म निषेवेत कुर्याच्चान्वेषणं चिरम्
विरमवास्य विदुषश्वर शिष्टान् निषेव्य
च चिरं विनीय चात्मानं चिरं यात्यनवज्ञताम् ॥

चिरकालत सोच-विचार करके किसी के साथ मित्रता जोड़नी चाहिये और जिसे मित्र बना लिया, उसे सहसा नहीं छोड़ना चाहिये।

यदि छोड़नेको आवश्यकता पड़ ही जाय तो उसके परिणामपर चिरकालतक विचार कर लेना चाहिये।

दीर्घोच-विचार करके बनाया हुआ जो मित्र है, उसीको मैत्री चिरकाल टिक पाती है।

राग, दर्प अभिमान, द्रोह, पापाचरण और किसीका अप्रिय करनेमें जो विलम्ब करता है, उसकी प्रशंसा की जाती है।

दीर्घकालतक बड़े बूढ़ों की सेवा करे। दोर्घकाल उनका संग करके उनकी पूजा (आदर-सत्कार) करे।

चिरकालतक धर्मका सेवन और दीर्घकालतक उसका अनुसंधान करे।

अधिक समयतक विद्वानोंका संग करके चिरकालतक शिष्ट पुरुषोंको सेवामें रहे तथा चिरकाल अपने मनको वशमें रखे।

इससे मनुष्य चिरकालवक अवज्ञाका नहीं, किंतु सम्मानका भागी होता है।

धर्मोपदेश करनेवाले पुरुषसे यदि कोई प्रश्न करे तो उसे देरतक सोच-विचारकर ही उत्तर देना चाहिये।

ऐसा करने से उसको देशतक पश्चाताप नहीं करना पड़ता है।



kuchh aisee cheejen inamen bahut der tak vichaar karana chaahie

'chirakaaree prashasyate'mitr badhneeyaachchiren ch kritan tyajet.
chiren hi kritan mitran chiran dhaaranamarhati ..
raage darje ch maane ch drohe paape ch karmani
apriye chaiv kartavye chirakaaree prashasyate ..
chiran vriddhaanupaaseet chiramanyaasy poojayet.
chiran dharm nishevet kuryaachchaanveshanan chiram
viramavaasy vidushashvar shishtaan nishevy
ch chiran vineey chaatmaanan chiran yaatyanavajnataam ..

chirakaalat socha-vichaar karake kisee ke saath mitrata joड़nee chaahiye aur jise mitr bana liya, use sahasa naheen chhoड़na chaahiye.

yadi chhoड़neko aavashyakata pada़ hee jaay to usake parinaamapar chirakaalatak vichaar kar lena chaahiye.

deerghocha-vichaar karake banaaya hua jo mitr hai, useeko maitree chirakaal tik paatee hai.

raag, darp abhimaan, droh, paapaacharan aur kiseeka apriy karanemen jo vilamb karata hai, usakee prashansa kee jaatee hai.

deerghakaalatak baड़e booढ़on kee seva kare. dorghakaal unaka sang karake unakee pooja (aadara-satkaara) kare.

chirakaalatak dharmaka sevan aur deerghakaalatak usaka anusandhaan kare.

adhik samayatak vidvaanonka sang karake chirakaalatak shisht purushonko sevaamen rahe tatha chirakaal apane manako vashamen rakhe.

isase manushy chirakaalavak avajnaaka naheen, kintu sammaanaka bhaagee hota hai.

dharmopadesh karanevaale purushase yadi koee prashn kare to use deratak socha-vichaarakar hee uttar dena chaahiye.

aisa karane se usako deshatak pashchaataap naheen karana paड़ta hai.



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