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एक गौरैया कैसे भगवान की प्रिय और घर की उन्नति करवाने वाली बन गई?

बात त्रेतायुग – श्रीरामके समयकी है। सुतीक्ष्ण ऋषिके आश्रम में बहुत-से ऋषि एक समूहमें साथ रहते थे। उस समय रावणके सैनिकोंद्वारा आतंक फैलाया जा रहा था, ऋषि-मुनियोंपर भयानक अत्याचार हो रहा था, राक्षस मार-पीटकर ऋषियोंको फेंक देते थे, जिससे हड्डियोंका ढेर लग गया था।

एक दिनकी बात है, सुतीक्ष्ण ऋषिके आश्रममें ऋषि-मुनि कुटियामें निवास कर रहे थे। रावणके आततायी सैनिक आश्रममें आये और उन्होंने वहाँ आग लगा दी। उनके आतंकसे ऋषि-मुनियोंमें हाहाकार मच गया और वे आग बुझानेका प्रयास करने लगे।

इसी आश्रममें एक गौरैया पक्षी भी घोंसला बनाकर रहती थी। वह भी चींव-चींवकर चिल्ला रही थी; क्योंकि उसने अपना घोंसला कुटियामें ही बना रखा था, और कुटियाके साथ ही उसका घोंसला भी जल गया था। जब ऋषि-मुनि समीपकी नदीसे जल लाकर आग बुझा रहे थे तो वह गौरैया पक्षी भी अपनी चोंचमें पानी ला लाकर आगके ऊपर छोड़ रही थी, उसके इस कृत्यको सुतीक्ष्ण ऋषि देख रहे थे कि पक्षी क्या कर रहा है। वे समझ गये कि इस पक्षीका घोंसला इसी आश्रममें था, और कुटियाके साथ जलकर खाक हो गया था।

ऋषि विचार करने लगे कि इस पक्षीको भी ज्ञान है कि ऋषि-मुनियोंका आश्रम नहीं जलाना चाहिये । इस पक्षीका नाम आग लगानेवालोंमें नहीं, बल्कि आग बुझानेवाले जीवके रूपमें लिखा जायगा और यह स्वर्गका अधिकारी होगा।

जब भगवान् श्रीराम एक दिन सुतीक्ष्णके आश्रम पहुँचे तो मुनिने उस गौरैयाके विषयमें बताया । भगवान् रामके बुलानेपर गौरैया आयी। भगवान् रामने स्नेहपूर्वक उसको सहलाकर आशीर्वाद दिया। तबसे लोकमानसमें गौरैया पक्षी घरकी उन्नति करानेवाला पक्षी माना जाता है।



ek gauraiya kaise bhagavaan hee priy aur ghar kee unnati karavaane vaalee ban gaee?

baat tretaayug – shreeraamake samayakee hai. suteekshn rishike aashram men bahuta-se rishi ek samoohamen saath rahate the. us samay raavanake sainikondvaara aatank phailaaya ja raha tha, rishi-muniyonpar bhayaanak atyaachaar ho raha tha, raakshas maara-peetakar rishiyonko phenk dete the, jisase haddiyonka dher lag gaya thaa.

ek dinakee baat hai, suteekshn rishike aashramamen rishi-muni kutiyaamen nivaas kar rahe the. raavanake aatataayee sainik aashramamen aaye aur unhonne vahaan aag laga dee. unake aatankase rishi-muniyonmen haahaakaar mach gaya aur ve aag bujhaaneka prayaas karane lage.

isee aashramamen ek gauraiya pakshee bhee ghonsala banaakar rahatee thee. vah bhee cheenva-cheenvakar chilla rahee thee; kyonki usane apana ghonsala kutiyaamen hee bana rakha tha, aur kutiyaake saath hee usaka ghonsala bhee jal gaya thaa. jab rishi-muni sameepakee nadeese jal laakar aag bujha rahe the to vah gauraiya pakshee bhee apanee chonchamen paanee la laakar aagake oopar chhoda़ rahee thee, usake is krityako suteekshn rishi dekh rahe the ki pakshee kya kar raha hai. ve samajh gaye ki is paksheeka ghonsala isee aashramamen tha, aur kutiyaake saath jalakar khaak ho gaya thaa.

rishi vichaar karane lage ki is paksheeko bhee jnaan hai ki rishi-muniyonka aashram naheen jalaana chaahiye . is paksheeka naam aag lagaanevaalonmen naheen, balki aag bujhaanevaale jeevake roopamen likha jaayaga aur yah svargaka adhikaaree hogaa.

jab bhagavaan shreeraam ek din suteekshnake aashram pahunche to munine us gauraiyaake vishayamen bataaya . bhagavaan raamake bulaanepar gauraiya aayee. bhagavaan raamane snehapoorvak usako sahalaakar aasheervaad diyaa. tabase lokamaanasamen gauraiya pakshee gharakee unnati karaanevaala pakshee maana jaata hai.



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