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घर से परसों की कहन गए श्याम ना आए बरसों बीत गए...

घर से परसों की कहन गए श्याम ना आए बरसों बीत गए...

बरसों की तो कह गए मोहन किंतु बिता दिए बरसो,
कब आवेगी बैरन परसों अखियन लागी तरसो,
अंखिया लरसों निस दिन भर से आठो याम,
ना आए बरसों बीत गए...

ऋतु कंत आवे बसंत खेतन मैं फूली सरसों,
मिलन हेतु मे मुरलीधर सों घर ही घर में तरसों,
राधा वर सों मेरो कह दीज्यो प्रणाम,
ना आए बरसों बीत गए...

उजड़ी मथुरा बस गई अब तो बस्ती गई उजड़ सों,
मथुरा वाली अपनी है गई राधा है गई परसो,
मानो बृजवासी पे गयो विधाता हार,
ना आए बरसों बीत गए...

विषधर कालिया गयो है जब ते वंचित रही ज़हर सों,
मरने लायक नहीं रह गई लटकी रह अधर सों,
तडपत रह गई गयी कलेजा हार,
ना आए बरसों बीत गए...

घर से परसों की कहन गए श्याम ना आए बरसों बीत गए...



ghar se parason ki kahan ge shyaam na aae barason beet ge...

ghar se parason ki kahan ge shyaam na aae barason beet ge...

barason ki to kah ge mohan kintu bita die baraso,
kab aavegi bairan parason akhiyan laagi taraso,
ankhiya larason nis din bhar se aatho yaam,
na aae barason beet ge...

ritu kant aave basant khetan mainphooli sarason,
milan hetu me muraleedhar son ghar hi ghar me tarason,
radha var son mero kah deejyo pranaam,
na aae barason beet ge...

ujadi mthura bas gi ab to basti gi ujad son,
mthura vaali apani hai gi radha hai gi paraso,
maano barajavaasi pe gayo vidhaata haar,
na aae barason beet ge...

vishdhar kaaliya gayo hai jab te vanchit rahi zahar son,
marane laayak nahi rah gi lataki rah adhar son,
tadapat rah gi gayi kaleja haar,
na aae barason beet ge...

ghar se parason ki kahan ge shyaam na aae barason beet ge...



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