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नारद भक्ति सूत्र (नारद भक्ति दर्शन)
Narad Bhakti Sutra (Narada Bhakti Sutra)
सूत्र 30 - Sutra 30
स्वयं फलरूपतेति ब्रह्मकुमाराः ॥ 30 ॥
30-ब्रह्मकुमारोंके (सनत्कुमारादि और नारदके) मतसे भक्ति स्वयं फलरूपा है।
अतएव यह भक्ति ही साधन है और भक्ति ही साध्य है। मूल भी वही और फल भी वही। भक्तगण भक्तिके लिये ही भक्ति करते हैं। क्योंकि भक्ति स्वयं फलरूपा है।
भक्ति न किसी साधनसे मिलती है और न कोई उससे श्रेष्ठ वस्तु है जिसकी प्राप्तिका वह साधन हो।
सो सुतंत्र अवलंब न आना।
तेहि आधीन ग्यान बिग्याना ॥
नारद भक्ति सूत्र को नारद भक्ति दर्शन, Narad Bhakti Sutra, Narada Bhakti Sutra, Narad Bhakti Darshan, भक्ति सूत्र, Bhakti Sutra, प्रेम सूत्र, Prem Sutra, प्रेम दर्शन और Prem Darshan आदि नामों से भी जाना जाता है।