View All Puran & Books
नारद भक्ति सूत्र (नारद भक्ति दर्शन)
Narad Bhakti Sutra (Narada Bhakti Sutra)
सूत्र 29 - Sutra 29
अन्योन्याश्रयत्वमित्यन्ये ॥ 29 ॥
29- दूसरे (आचार्यों) का मत है कि भक्ति और ज्ञान
परस्पर एक-दूसरेके आश्रित हैं।
ऐसा भी होता है। गौणी भक्तिसे भगवान्के तत्त्वका ज्ञान होता है और तत्त्वके जाननेसे भगवान्में अत्यन्त प्रेम उत्पन्न होता है। परन्तु केवल भक्तिके प्रेमीजन इस मतकी परवा नहीं करते। क्योंकि वे इस बातको जानते हैं कि जब निर्मल प्रेमस्वरूपा भक्तिका पूर्ण उदय होता है तब किसीका ज्ञान अलग रह ही नहीं जाता। प्रेमी और प्रेमास्पद दोनों एक हो जाते हैं। फिर किसका ज्ञान किसको होगा ?
नारद भक्ति सूत्र को नारद भक्ति दर्शन, Narad Bhakti Sutra, Narada Bhakti Sutra, Narad Bhakti Darshan, भक्ति सूत्र, Bhakti Sutra, प्रेम सूत्र, Prem Sutra, प्रेम दर्शन और Prem Darshan आदि नामों से भी जाना जाता है।