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सम-वितरण  [Shikshaprad Kahani]
प्रेरक कहानी - आध्यात्मिक कहानी (हिन्दी कथा)

विभज्य भुञ्जते सन्तो भक्ष्यं प्राप्य सहाग्निना ।

चतुरश्चमसान् कृत्वा तं सोममृभवः पपुः ॥

(नीतिमञ्जरी 10 )

सुधन्वाके पुत्र ऋभु, विभु और वाज त्वष्टाके विशेष कृपापात्र थे। त्वष्टाने उन्हें अपनी समस्त विद्याओंसे सम्पन्न कर दिया। उनके सत्कर्मकी चर्चा देवोंमें प्रायः होती रहतीथी। उन्होंने बृहस्पतिको अमृत तथा अश्विनीकुमारोंको दिव्य रथ और इन्द्रको वाहनसे संतुष्ट कर उनकी प्रसन्नता प्राप्त की थी। वेदमन्त्रोंसे वे देवोंका समय-समयपर आवाहन करते रहते थे। देवोंको सोमका भाग देकर वे अपने सत्कर्म से देवत्वकी ओर बढ़ रहे थे ।

ऋभुओंने त्वष्टानिर्मित सोमपानका आयोजन किया। सामवेदके सरस मन्त्रोच्चारणसे उन्होंने सोमाभिषव प्रारम्भकर उसे चमस* में रखा ही था कि सहसा उन्हींके आकार प्रकार, रूप-रंग और वयस्के एक प्राणी दीख पड़े। ऋभुओंको बड़ा आश्चर्य हुआ ।

'चमसके चार भाग करने चाहिये।' ज्येष्ठ पुत्र ऋभुने आदेश दिया। उनकी आज्ञाका तत्क्षण पालनहुआ बिम्बा और वाजके द्वारा । 'अतिथिका सत्कार करना हमारा परम धर्म है, आप कोई भी हों, हमलोगोंने आपको सम भागका अधिकारी माना है।' ऋभुओंने सोमपानके लिये अज्ञात पुरुषसे प्रार्थना की।

'देवगण आपसे प्रसन्न हैं, ऋभुओ! मुझे इन्द्रने आपकी परीक्षाके लिये भेजा था। आपलोग संत हैं। आपने अतिथि-धर्मका पालन करके अपना गोत्र पवित्र कर लिया।' अग्नि प्रकट हो गये। उन्होंने सोमका चौथा भाग ग्रहण किया । इन्द्रने भी सोमका भाग प्राप्त किया। प्रजापतिने उन्हें अमरता प्रदान की। वे अपने शुभकर्मसे देवता हो गये।

- रा0 श्री0

(बृहद्देवता अ0 3। 83–90)



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sama-vitarana

vibhajy bhunjate santo bhakshyan praapy sahaagnina .

chaturashchamasaan kritva tan somamribhavah papuh ..

(neetimanjaree 10 )

sudhanvaake putr ribhu, vibhu aur vaaj tvashtaake vishesh kripaapaatr the. tvashtaane unhen apanee samast vidyaaonse sampann kar diyaa. unake satkarmakee charcha devonmen praayah hotee rahateethee. unhonne brihaspatiko amrit tatha ashvineekumaaronko divy rath aur indrako vaahanase santusht kar unakee prasannata praapt kee thee. vedamantronse ve devonka samaya-samayapar aavaahan karate rahate the. devonko somaka bhaag dekar ve apane satkarm se devatvakee or badha़ rahe the .

ribhuonne tvashtaanirmit somapaanaka aayojan kiyaa. saamavedake saras mantrochchaaranase unhonne somaabhishav praarambhakar use chamasa* men rakha hee tha ki sahasa unheenke aakaar prakaar, roopa-rang aur vayaske ek praanee deekh pada़e. ribhuonko bada़a aashchary hua .

'chamasake chaar bhaag karane chaahiye.' jyeshth putr ribhune aadesh diyaa. unakee aajnaaka tatkshan paalanahua bimba aur vaajake dvaara . 'atithika satkaar karana hamaara param dharm hai, aap koee bhee hon, hamalogonne aapako sam bhaagaka adhikaaree maana hai.' ribhuonne somapaanake liye ajnaat purushase praarthana kee.

'devagan aapase prasann hain, ribhuo! mujhe indrane aapakee pareekshaake liye bheja thaa. aapalog sant hain. aapane atithi-dharmaka paalan karake apana gotr pavitr kar liyaa.' agni prakat ho gaye. unhonne somaka chautha bhaag grahan kiya . indrane bhee somaka bhaag praapt kiyaa. prajaapatine unhen amarata pradaan kee. ve apane shubhakarmase devata ho gaye.

- raa0 shree0

(brihaddevata a0 3. 83–90)

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