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'जाको राखे साइयाँ, मारि सकै ना कोय'  [आध्यात्मिक कथा]
Wisdom Story - आध्यात्मिक कहानी (हिन्दी कथा)

गौड़ेश्वर वत्सराजका मन राजा मुञ्जके आदेश पालन और स्वकर्तव्य - निर्णयके बीच झूल रहा था। वह जानता था कि यदि राजा मुञ्ज भोजका खूनसे लथपथ लिए न देखेगा तो मुझे जीवित नहीं छोड़ेगा। वह इसी उधेड़-बुनमें था कि सूर्यास्त हो गया। पश्चिमकी लालिमामें उसकी नंगी तलवार चमक उठी, मानो वह भोजके खूनकी प्यासी हो ।

भुवनेश्वरी वनके मध्य में वत्सराजने रथ रोक दिया और भोजको राजादेश सुनाया कि मुञ्ज राजसिंहासनका पूरा अधिकार-भोग चाहता है; उसने तुम्हारे वधकी आज्ञा दी है।

'तुमको राजाकी आज्ञाका पालन करना चाहिये भगवान् श्रीरामने वनवासका क्लेश सहा; समस्त यादवकुलका निधन हो गया। नलको राज्यसे च्युत होना पड़ा। सब कालके अधीन है।' कुमार भोजने अपने घृनसे वटपत्रपर एक श्लोक लिखा मुञ्जके लिये।

वनकी नीरवतामें काली रात भयानक हो उठी। वत्सराजके हाथमें लपलपाती-सी नंगी तलवार ऐसी लगती थी मानो निरपराधीके खूनसे नहानेमें मृत्यु सहम रही हो। वत्सराजके हाथसे तलवार गिर पड़ी, वह सिहर उठा।

"मैं भी मनुष्य हूँ, मेरा हृदय भी सुख-दुःखका अनुभव करता है।' उसने कुमारको अपनी गोदमें उठा लिया। उसके । अबु-कण झरने लगे। अँधेरा बढ़ता गया।'उसने मरते समय कुछ कहा भी था ?' टिमटिमाते दीपके मन्द प्रकाशमें खूनसे लथपथ सिर देखकर सहम उठा मुञ्ज 'हाँ, महाराज!' वत्सराजने पत्र हाथमें रख दिया। 'उसने ठीक ही लिखा है-'

मान्धाता च महीपतिः कृतयुगालङ्कारभूतो गतः l


सेतुर्येन महोदधौ विरचितः क्वासौ दशास्यान्तकः ll


अन्ये चापि युधिष्ठिरप्रभृतयो याता दिवं भूपते l

नैकेनापि समं गता वसुमती मुञ्ज त्वया यास्यति ॥

कितना बड़ा पहापाप कर डाला मैंने। मैं स्वर्गीय महाराज सिन्धुको क्या उत्तर दूँगा, जिन्होंने पाँच वर्षके अल्पवयस्क कुमारको मेरी गोदमें रख दिया था ? मैंने विधवा सावित्रीकी ममता – मातृत्वकी हत्या कर दी।' मुञ्ज रोने लगा।

राजप्रासादमें हाहाकार मच गया। बुद्धिसागर मन्त्रीने राजाके शयन-गृहमें किसीके भी जानेकी मनाही कर दी और खिन्न होकर शयनगृहसे सटे सभा भवनमें बैठ गया। वत्सराजने उसके कानमें कहा कि 'भोज जीवित हैं, मैंने नकली सिर दिखाया है।' वह राज भवनसे बाहर हो गया। राजाने रातमें ही अग्नि प्रवेश करना चाहा।

सारी की सारी धारा नगरी शोकसागरमें निमग्न थी। रात धीरे-धीरे अपनी भयानकता फैला रही थी। सभाभवनमें एक कापालिकने आकर बुद्धिसागरसे निवेदन किया कि मैं मरे हुए व्यक्तिको जिला सकताहूँ। कटे हुए सिरको धड़से जोड़कर प्राण-संचार कर सकता हूँ। राजा मुञ्ज कापालिककी घोषणा सुनकर सभा भवनमें आया। 'महाराज! मैंने महापाप किया है। उसके प्रायश्चित्तके लिये मैंने ब्राह्मणोंकी सम्मतिसे अग्निमें प्रवेश करनेका निश्चय किया है। मेरे प्राण कुछ ही क्षणोंके लिये इस शरीरमें हैं। आप कुमारको जीवन दान दीजिये।' मुञ्जने खूनसे रँगा सिर कापालिकके हाथमें रख दिया। बुद्धिसागर कापालिकके साथ तत्क्षणश्मशान में गया।

दूसरे दिन सबेरे धारा नगरीमें प्रसन्नताकी लहर दौड़ गयी। 'कुमार भोजको कापालिकने प्राण-दान किया।' यह बात प्रत्येक व्यक्तिकी जीभपर थी। राजा मुञ्जने राजसिंहासन भोजको सौंप दिया तथा स्वयं तप करनेके लिये वनकी राह पकड़ी।

- रा0 श्री0 (भोजप्रबन्ध)



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'jaako raakhe saaiyaan, maari sakai na koya'

gauड़eshvar vatsaraajaka man raaja munjake aadesh paalan aur svakartavy - nirnayake beech jhool raha thaa. vah jaanata tha ki yadi raaja munj bhojaka khoonase lathapath lie n dekhega to mujhe jeevit naheen chhoड़egaa. vah isee udheda़-bunamen tha ki sooryaast ho gayaa. pashchimakee laalimaamen usakee nangee talavaar chamak uthee, maano vah bhojake khoonakee pyaasee ho .

bhuvaneshvaree vanake madhy men vatsaraajane rath rok diya aur bhojako raajaadesh sunaaya ki munj raajasinhaasanaka poora adhikaara-bhog chaahata hai; usane tumhaare vadhakee aajna dee hai.

'tumako raajaakee aajnaaka paalan karana chaahiye bhagavaan shreeraamane vanavaasaka klesh sahaa; samast yaadavakulaka nidhan ho gayaa. nalako raajyase chyut hona paड़aa. sab kaalake adheen hai.' kumaar bhojane apane ghrinase vatapatrapar ek shlok likha munjake liye.

vanakee neeravataamen kaalee raat bhayaanak ho uthee. vatsaraajake haathamen lapalapaatee-see nangee talavaar aisee lagatee thee maano niraparaadheeke khoonase nahaanemen mrityu saham rahee ho. vatsaraajake haathase talavaar gir pada़ee, vah sihar uthaa.

"main bhee manushy hoon, mera hriday bhee sukha-duhkhaka anubhav karata hai.' usane kumaarako apanee godamen utha liyaa. usake . abu-kan jharane lage. andhera baढ़ta gayaa.'usane marate samay kuchh kaha bhee tha ?' timatimaate deepake mand prakaashamen khoonase lathapath sir dekhakar saham utha munj 'haan, mahaaraaja!' vatsaraajane patr haathamen rakh diyaa. 'usane theek hee likha hai-'

maandhaata ch maheepatih kritayugaalankaarabhooto gatah l


seturyen mahodadhau virachitah kvaasau dashaasyaantakah ll


anye chaapi yudhishthiraprabhritayo yaata divan bhoopate l

naikenaapi saman gata vasumatee munj tvaya yaasyati ..

kitana bada़a pahaapaap kar daala mainne. main svargeey mahaaraaj sindhuko kya uttar doonga, jinhonne paanch varshake alpavayask kumaarako meree godamen rakh diya tha ? mainne vidhava saavitreekee mamata – maatritvakee hatya kar dee.' munj rone lagaa.

raajapraasaadamen haahaakaar mach gayaa. buddhisaagar mantreene raajaake shayana-grihamen kiseeke bhee jaanekee manaahee kar dee aur khinn hokar shayanagrihase sate sabha bhavanamen baith gayaa. vatsaraajane usake kaanamen kaha ki 'bhoj jeevit hain, mainne nakalee sir dikhaaya hai.' vah raaj bhavanase baahar ho gayaa. raajaane raatamen hee agni pravesh karana chaahaa.

saaree kee saaree dhaara nagaree shokasaagaramen nimagn thee. raat dheere-dheere apanee bhayaanakata phaila rahee thee. sabhaabhavanamen ek kaapaalikane aakar buddhisaagarase nivedan kiya ki main mare hue vyaktiko jila sakataahoon. kate hue sirako dhada़se joda़kar praana-sanchaar kar sakata hoon. raaja munj kaapaalikakee ghoshana sunakar sabha bhavanamen aayaa. 'mahaaraaja! mainne mahaapaap kiya hai. usake praayashchittake liye mainne braahmanonkee sammatise agnimen pravesh karaneka nishchay kiya hai. mere praan kuchh hee kshanonke liye is shareeramen hain. aap kumaarako jeevan daan deejiye.' munjane khoonase ranga sir kaapaalikake haathamen rakh diyaa. buddhisaagar kaapaalikake saath tatkshanashmashaan men gayaa.

doosare din sabere dhaara nagareemen prasannataakee lahar dauda़ gayee. 'kumaar bhojako kaapaalikane praana-daan kiyaa.' yah baat pratyek vyaktikee jeebhapar thee. raaja munjane raajasinhaasan bhojako saunp diya tatha svayan tap karaneke liye vanakee raah pakada़ee.

- raa0 shree0 (bhojaprabandha)

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