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जब श्री गुरु नानक देव जी ने बुरी आदत को छोड़ने का अधबुत और बहुत ही सरल रास्ता बताया

एक चोर सन्त गुरु नानक देव जी के पास पहुंचा और इस बुरी आदत से छुटकारा पाने का उपाय उसने पूछा। नानकजीने जो उपाय बताये, वे उससे निभते न थे एक के बाद एक उपाय बदलते बदलते जब बहुत दिन बीत गये और किसी उपाय से भी वह आदत न छूटी तो उन्होंने चोर को बताया कि तुम अपने पाप सबके सामने प्रकट करने लगी। इससे अब चोर का बार-बार आना और पूछना समाप्त हो गया और उसकी आदत भी सुधर गयी। पाप प्रकट करनेमें उसे लाज लगती थी, अतः उसने चोरी करना ही बन्द कर दिया।



jab shree guru naanak dev jee ne buree aadat ko chhoड़ne ka adhabut aur bahut hee saral raasta bataayaa

ek chor sant guru naanak dev jee ke paas pahuncha aur is buree aadat se chhutakaara paane ka upaay usane poochhaa. naanakajeene jo upaay bataaye, ve usase nibhate n the ek ke baad ek upaay badalate badalate jab bahut din beet gaye aur kisee upaay se bhee vah aadat n chhootee to unhonne chor ko bataaya ki tum apane paap sabake saamane prakat karane lagee. isase ab chor ka baara-baar aana aur poochhana samaapt ho gaya aur usakee aadat bhee sudhar gayee. paap prakat karanemen use laaj lagatee thee, atah usane choree karana hee band kar diyaa.



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रसिया को नार बनावो री रसिया को
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तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
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वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
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डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
मेरी करुणामयी सरकार पता नहीं क्या दे
क्या दे दे भई, क्या दे दे
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
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