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Shreemad Bhagwat Katha By Pundrik Goswami ji Maharaj in February, 2015 At Delhi

Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Delhi (Day 1)

Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Delhi (Day 2)

Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Delhi - Day 3

Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Delhi (Day 4)

Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Delhi (Day 5)

Shreemad Bhagwat Katha - Pundrik Goswami ji Maharaj - Delhi (Day 6)

Contents of this list:

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
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15 Obstacles That Can Easily Derail Us From Our Path Of Bhakti7 Amazing Ways In Which Devotees Easily Overcome Pain14 Tips To Overcome Tough Times Through Devotional Love For GodThe Four Main Vaishnav Sampradayas & ISKCON



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हम हाथ उठाकर कह देंगे हम हो गये राधा
राधा राधा राधा राधा
मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
तीनो लोकन से न्यारी राधा रानी हमारी।
राधा रानी हमारी, राधा रानी हमारी॥
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
तेरे दर पे आके ज़िन्दगी मेरी
यह तो तेरी नज़र का कमाल है,
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी,
दीवानी बन जाउंगी मस्तानी बन जाउंगी,
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो

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नवरात्रि में अम्बे माता,
नव रूप में आती है,
जो गणपति को घर में बिठाएगा
उसका घर तीरथ बन जाएगा
ये धाम बागेश्वर, एक तीरथ, धीरेंद्र
सरकार बालाजी वीर हनुमत, करें चमत्कार
कब से खड़े है झोली पसार,
क्यों न सुनो तुम हमारी पुकार,
कहीं देखा री ब्रिज में मुरली का बजाने