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सच्चे महात्माके दर्शनसे लाभ  [Hindi Story]
आध्यात्मिक कहानी - आध्यात्मिक कथा (Hindi Story)

एक स्त्री हमेशा अपने पतिको निन्दा किया करती थी। यह स्त्री पूजा करने और माला फेरनेमें तो अपना काफी समय लगाती थी; परंतु पाखण्डी महात्माओंके फोटो रखकर उनपर चन्दन और फूल चढ़ाया करती थी। इस स्त्रीने रामायणकी कई आवृत्ति की पर पाखण्डियोंके फेरमें पड़ी रहनेके कारण इसको इस बातका ज्ञान नहीं हो सका कि जिस पतिकी वह निन्दा करती फिरती है वह उसके लिये क्या है। यह बीसों महात्माओंके पास गयी। सब उससे बड़े प्यारसे बोलते थे और अपने पास बैठाते थे। वह यह देखकर बड़ी प्रसन्न होती थी कि महात्मा लोग उसको कितना प्यार करते हैं। यह स्त्री अपने सगे सम्बन्धियोंके यहाँ जाकर भी अपने पतिकी निन्दा करती थी। इस स्त्रीने अपनी बुराइयोंको छिपानेके लिये यही एक साधन निकाल रखा था। पर इस स्त्रीको कोई समझा न पाया।

एक दिन इसको एक अच्छे महात्मा मिल गये। यह उन महात्माके दर्शन करने गयी। प्रातः कालका समय था। इसने उनसे अपने पतिकी निन्दा की। महात्माजीनेपूछा- 'तुम्हारे पतिने भी कहीं किसीसे तुम्हारी निन्दा | की है ?' स्त्रीने कहा- 'नहीं!' महात्माने उत्तर दिया कि 'आज मैंने तुम्हारा दर्शन किया। अतः मैं तीन दिनका मौन साधन और उपवास करूँगा।' और यह कहकर वे चुप हो गये तथा कानमें अँगुली लगा ली। स्त्री वहाँसे चल दी। वह फिर दूसरे दिन महात्माजीके पास गयी। महात्माजीने लिखकर बताया कि 'आज फिर तुम्हें देख लिया इससे अब पाँच रोजतक उपवास रहेगा।' स्त्री लौटकर चली गयी। स्त्रीसे न रहा गया। उसने सारा हाल अपने पतिसे कहा। पतिने कहा- 'अच्छा पाँच रोज समाप्त होनेपर चलेंगे।' जिस समय महात्माजीका उपवास समाप्त होनेवाला था, उसके पति फल लेकर महात्माजीके पास गये। महात्माजीने फल खाकर उसके पतिको आशीर्वाद दिया। तब उसके पतिने कहा कि 'आपको मेरी स्त्रीने बड़ा कष्ट दिया, इसके लिये मैं 4 आपसे क्षमा माँगता हूँ और आपको यह जानकर खुशी होगी कि मेरी स्त्रीने अब मेरी निन्दा करना छोड़ दिया है।' महात्माजीने कहा-'अच्छे और बुरे पुरुषोंके सङ्गका यही फल होता है। '



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sachche mahaatmaake darshanase laabha

ek stree hamesha apane patiko ninda kiya karatee thee. yah stree pooja karane aur maala pheranemen to apana kaaphee samay lagaatee thee; parantu paakhandee mahaatmaaonke photo rakhakar unapar chandan aur phool chadha़aaya karatee thee. is streene raamaayanakee kaee aavritti kee par paakhandiyonke pheramen pada़ee rahaneke kaaran isako is baataka jnaan naheen ho saka ki jis patikee vah ninda karatee phiratee hai vah usake liye kya hai. yah beeson mahaatmaaonke paas gayee. sab usase bada़e pyaarase bolate the aur apane paas baithaate the. vah yah dekhakar bada़ee prasann hotee thee ki mahaatma log usako kitana pyaar karate hain. yah stree apane sage sambandhiyonke yahaan jaakar bhee apane patikee ninda karatee thee. is streene apanee buraaiyonko chhipaaneke liye yahee ek saadhan nikaal rakha thaa. par is streeko koee samajha n paayaa.

ek din isako ek achchhe mahaatma mil gaye. yah un mahaatmaake darshan karane gayee. praatah kaalaka samay thaa. isane unase apane patikee ninda kee. mahaatmaajeenepoochhaa- 'tumhaare patine bhee kaheen kiseese tumhaaree ninda | kee hai ?' streene kahaa- 'naheen!' mahaatmaane uttar diya ki 'aaj mainne tumhaara darshan kiyaa. atah main teen dinaka maun saadhan aur upavaas karoongaa.' aur yah kahakar ve chup ho gaye tatha kaanamen angulee laga lee. stree vahaanse chal dee. vah phir doosare din mahaatmaajeeke paas gayee. mahaatmaajeene likhakar bataaya ki 'aaj phir tumhen dekh liya isase ab paanch rojatak upavaas rahegaa.' stree lautakar chalee gayee. streese n raha gayaa. usane saara haal apane patise kahaa. patine kahaa- 'achchha paanch roj samaapt honepar chalenge.' jis samay mahaatmaajeeka upavaas samaapt honevaala tha, usake pati phal lekar mahaatmaajeeke paas gaye. mahaatmaajeene phal khaakar usake patiko aasheervaad diyaa. tab usake patine kaha ki 'aapako meree streene bada़a kasht diya, isake liye main 4 aapase kshama maangata hoon aur aapako yah jaanakar khushee hogee ki meree streene ab meree ninda karana chhoda़ diya hai.' mahaatmaajeene kahaa-'achchhe aur bure purushonke sangaka yahee phal hota hai. '

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