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छोटोंसे भी सलाह लें  [Shikshaprad Kahani]
छोटी सी कहानी - प्रेरक कथा (Wisdom Story)

छोटोंसे भी सलाह लें

हमारे जीवनमें अनेक समस्याएँ आती हैं। उनका समाधान हम स्वयंके विचारोंसे कर लेते हैं। कठिन समस्याओंको अपने समाजके विभिन्न व्यक्तियोंकी सलाह- सीखसे हल करते हैं। समाजके विभिन्न व्यक्तियोंमें अपने तथा दूसरोंके परिवारके सभी छोटे बड़े सदस्य सम्मिलित हैं। कभी-कभी बड़ोंसे प्राप्त सलाहसे अधिक उपयोगी सीख अपनेसे छोटोंसे मिल जाती है। श्रीलालबहादुर शास्त्री हमारे देशके चिरस्मरणीय एवं माननीय प्रधानमन्त्री रहे हैं। उन्हें अपनेसे छोटोंसे तथा घरके सेवकों (माली, रसोइया आदि) से भी अपनी समस्याओंपर विचार-विमर्श करनेकी आदत थी। सलाह लेनेवाले व्यक्तिके सम्मुख ही वे अपने सेवकोंसे सलाह लेने लग जाते- 'क्यों भाई ! तुम्हारी इसपर क्या राय है, क्या ख्याल है ?' और पहले अपनी सलाह नहीं देते। एक बार ऐसी स्थितिपर सलाह लेनेवाले उनके एक मित्रने कह दिया- 'शास्त्रीजी ! मुझे आपका यह व्यवहार आजतक समझमें नहीं आया। मैं आपसे इस विषयपर चर्चा कर रहा हूँ और आप अपने सेवकसे सलाह माँग रहे हैं।'
शास्त्रीजीने अपने मित्रको बताया कि कभी कभी अच्छी बात (सलाह) छोटे व्यक्तिसे भी मिल जाती है। उन्होंने उस मित्रको एक उपयोगी मार्मिक प्रसंग सुनाया
गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्तके जनक न्यूटनके घर उनकी बिल्लीने बच्चे दिये। रातको जब घरके सारे दरवाजे बन्द हो जाते तो बिल्ली और उसके बच्चे बाहर निकलनेके लिये उत्पात मचाते। न्यूटनने बढ़ईको बुलाकर कहा इस दरवाजे में दो छेद कर दो-एक छोटा, एक बड़ा। बड़ा छेद बिल्लीके लिये और छोटा छेद बच्चोंके लिये।' बढ़ईने कहा-'साहब! दो छेदकी तो जरूरत ही नहीं है, एक बड़ा छेद ही पर्याप्त है; क्योंकि जिस छेदसे बिल्ली निकल जायगी, उस छेदसे उसके बच्चे भी बड़ी आसानीसे निकल जायँगे।' यह बात सुनकर न्यूटन हैरान हो गये कि इतनी छोटी-सी बात उनकी समझमें क्यों नहीं आयी।
इसी प्रकार 'महाभारत' की अपनी टीकामें चक्रवर्ती राजगोपालाचारीने छोटोंकी राय एवं सलाहपर अपने विचार व्यक्त किये हैं कि धर्मराज युधिष्ठिर किसी भी उत्पन्न समस्यापर सर्वप्रथम अपने छोटे भाइयों-नकुल सहदेवसे उनके विचार लेते हुए अर्जुनसे पूछते, फिर भीमसे। उनका कहना था कि धर्मराजके इस क्रमसे छोटेसे लेकर बड़ेतक-से पूछनेकी प्रक्रिया उचित थी। छोटे भाई अपने विचार निःसंकोच प्रकट करते थे, वरना उन्हें अपने बड़े भाईके विरोधमें कहनेका भय रहता। वे एक-दूसरेका मान-सम्मान करते थे।
निःसन्देह कभी-कभी छोटे आदमी भी बड़े कामकी बात सुझा देते हैं। [ श्रीचेतनाजी गुप्ता ]



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chhotonse bhee salaah len

chhotonse bhee salaah len

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shaastreejeene apane mitrako bataaya ki kabhee kabhee achchhee baat (salaaha) chhote vyaktise bhee mil jaatee hai. unhonne us mitrako ek upayogee maarmik prasang sunaayaa
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nihsandeh kabhee-kabhee chhote aadamee bhee bada़e kaamakee baat sujha dete hain. [ shreechetanaajee gupta ]

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