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चूड़ीवाले बाबा  [छोटी सी कहानी]
Spiritual Story - Hindi Story (हिन्दी कथा)

चूड़ीवाले बाबा

नाम तो था उनका जमील खाँ, पर सब कहते थे उन्हें 'चूड़ीवाले बाबा'। वे रहते थे शहरमें, पर काम करते थे गाँवोंमें। उनका काम था चूड़ी बेचना।
सुना है, पहले वे चूड़ियोंकी गठरीको अपनी कमरपर बाँधकर ले जाया करते थे, पर इधर कई सालसे उन्होंने एक गधी खरीद ली थी। अब वे अपनी चूड़ियाँ उसकी कमरपर लादकर गाँव जाया करते थे। ज्योंही वे किसी गाँवमें पहुँचते, बच्चे उन्हें देखते ही हल्ला मचा देते 'चूड़ीवाले बाबा आ गये, चूड़ीवाले बाबा आ गये।
वे घरसे चलते समय गधीको हाँकनेके लिये एक छड़ी हाथमें ले लेते थे, पर मारते कभी न थे। उनका गधी हाँकनेका ढंग भी निराला था। वे कभी कहते 'चल बेटी, चल!' कभी कहते-'जल्दी-जल्दी चल रानी, गाँव पहुँचना है।' कभी कहते-'मेरी लाडो रानी, झपटी चल, गाँवोंमें बहू-बेटियाँ इन्तजार कर रही होंगी।' कभी कहते- 'धीरे-धीरे तो आलसी लोग चलते हैं, तू तो मेरी कमेरी (बहुत काम करनेवाली) बिटिया है।' जब उनकी गधी तेज चलती, तो बूढ़े मियाँ उसपर लाड़ बरसाते हुए कहते-'वाह-वाह, मेरी चन्दा बेटी तो हिरनीकी चाल चलती है।' कभी उनका लाड़ और भी ज्यादा उमड़ता, तो वे उसका पुट्ठा थपथपाकर कहते- 'आज बहुत काम किया है मेरी सूरजमुखीने, शामको मट्टेमें भिगोकर तुझे ऐसी रोटी खिलाऊँगा, जैसी राजाकी घोड़ीने भी कभी नहीं खायी होगी।'
बूढ़े बाबाकी बातें राह चलते लोग सुनते और मुसकराते।। एक दिन एक आदमीने चूड़ीवाले बाबाको रोककर पूछा 'दुनियाभरके तांगेवाले, गधेवाले अपने जानवरोंको गालियाँ देकर हाँकते हैं, पर आप अपनी गधीको गाली देना तो दूर,
लाइसे हाँकते हैं, यह क्या बात है ?"
बूढ़े बाबाने जवाब दिया- 'मेरा काम चूड़ियाँका है और चूड़ियाँ पहनती हैं स्त्रियाँ। मुझे सारे दिन स्त्रियोंके बोचमें रहना पड़ता है। मैं अगर अपनी गधीको गाली हूँ, तो मेरी जीभको गाली देनेकी आदत पड़ जायगी। सभी जानते हैं कि आदत समय-बेसमय नहीं देखती। उस हालतमें स्त्रियोंके बीचमें भी किसी दिन मेरे मुँहसे अचानक गाली निकल सकती है। अब सभी बहू बेटियाँ मुझे अपने बाबाकी तरह, अपने घरका आदमी मानती हैं, मेरा सम्मान करती हैं, पर मैं गाली बकने लगू तो वे मेरा सम्मान क्यों करेंगी ? तब तो मेरा सम्मान भी जायगा और रोजगार भी। इसलिये मैं अपनी गधीसे भी उसी भाषामें बात करता हूँ, जिसमें बहनों-बेटियोंसे करता हूँ। मैं बुरी बातके पास ही क्यों आऊँ ?'
बड़े मार्केकी और बड़े कामकी बात कही चूड़ीवाले बाबाने। हम लापरवाही में बुरी बातोंको अपने पास आने देते हैं। फिर वे हमारी आदत बन जाती हैं और कोशिश करनेपर भी हमारा पीछा नहीं छोड़तीं। हम देखते रहते हैं कि वे हमारा नुकसान कर रही हैं, हमारी कीमत कम कर रही हैं। हम उनसे बचना भी चाहते हैं, पर बच नहीं पाते और उनका शिकार होते रहते हैं। पहली जरूरत इस बातकी है कि हम यह समझ लें कि कौन-सी बात बुरी है और कौन-सी अच्छी। दूसरी जरूरत यह है कि हम बुरी बातों से बचने और अच्छी बातोंको अपनानेकी आदत डाल लें। जीवनकी एक खास बात यह है कि जो अच्छी बातोंको अपनानेकी आदत डाल लेता है, बुरी बातें उससे अपने आप ही दूर रहने लगती हैं।



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chooda़eevaale baabaa

chooda़eevaale baabaa

naam to tha unaka jameel khaan, par sab kahate the unhen 'chooda़eevaale baabaa'. ve rahate the shaharamen, par kaam karate the gaanvonmen. unaka kaam tha chooda़ee bechanaa.
suna hai, pahale ve chooda़iyonkee gathareeko apanee kamarapar baandhakar le jaaya karate the, par idhar kaee saalase unhonne ek gadhee khareed lee thee. ab ve apanee chooda़iyaan usakee kamarapar laadakar gaanv jaaya karate the. jyonhee ve kisee gaanvamen pahunchate, bachche unhen dekhate hee halla macha dete 'chooda़eevaale baaba a gaye, chooda़eevaale baaba a gaye.
ve gharase chalate samay gadheeko haankaneke liye ek chhada़ee haathamen le lete the, par maarate kabhee n the. unaka gadhee haankaneka dhang bhee niraala thaa. ve kabhee kahate 'chal betee, chala!' kabhee kahate-'jaldee-jaldee chal raanee, gaanv pahunchana hai.' kabhee kahate-'meree laado raanee, jhapatee chal, gaanvonmen bahoo-betiyaan intajaar kar rahee hongee.' kabhee kahate- 'dheere-dheere to aalasee log chalate hain, too to meree kameree (bahut kaam karanevaalee) bitiya hai.' jab unakee gadhee tej chalatee, to boodha़e miyaan usapar laada़ barasaate hue kahate-'vaaha-vaah, meree chanda betee to hiraneekee chaal chalatee hai.' kabhee unaka laada़ aur bhee jyaada umada़ta, to ve usaka puttha thapathapaakar kahate- 'aaj bahut kaam kiya hai meree soorajamukheene, shaamako mattemen bhigokar tujhe aisee rotee khilaaoonga, jaisee raajaakee ghoda़eene bhee kabhee naheen khaayee hogee.'
boodha़e baabaakee baaten raah chalate log sunate aur musakaraate.. ek din ek aadameene chooda़eevaale baabaako rokakar poochha 'duniyaabharake taangevaale, gadhevaale apane jaanavaronko gaaliyaan dekar haankate hain, par aap apanee gadheeko gaalee dena to door,
laaise haankate hain, yah kya baat hai ?"
boodha़e baabaane javaab diyaa- 'mera kaam chooda़iyaanka hai aur chooda़iyaan pahanatee hain striyaan. mujhe saare din striyonke bochamen rahana pada़ta hai. main agar apanee gadheeko gaalee hoon, to meree jeebhako gaalee denekee aadat pada़ jaayagee. sabhee jaanate hain ki aadat samaya-besamay naheen dekhatee. us haalatamen striyonke beechamen bhee kisee din mere munhase achaanak gaalee nikal sakatee hai. ab sabhee bahoo betiyaan mujhe apane baabaakee tarah, apane gharaka aadamee maanatee hain, mera sammaan karatee hain, par main gaalee bakane lagoo to ve mera sammaan kyon karengee ? tab to mera sammaan bhee jaayaga aur rojagaar bhee. isaliye main apanee gadheese bhee usee bhaashaamen baat karata hoon, jisamen bahanon-betiyonse karata hoon. main buree baatake paas hee kyon aaoon ?'
bada़e maarkekee aur bada़e kaamakee baat kahee chooda़eevaale baabaane. ham laaparavaahee men buree baatonko apane paas aane dete hain. phir ve hamaaree aadat ban jaatee hain aur koshish karanepar bhee hamaara peechha naheen chhoda़teen. ham dekhate rahate hain ki ve hamaara nukasaan kar rahee hain, hamaaree keemat kam kar rahee hain. ham unase bachana bhee chaahate hain, par bach naheen paate aur unaka shikaar hote rahate hain. pahalee jaroorat is baatakee hai ki ham yah samajh len ki kauna-see baat buree hai aur kauna-see achchhee. doosaree jaroorat yah hai ki ham buree baaton se bachane aur achchhee baatonko apanaanekee aadat daal len. jeevanakee ek khaas baat yah hai ki jo achchhee baatonko apanaanekee aadat daal leta hai, buree baaten usase apane aap hee door rahane lagatee hain.

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