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जीवनचरित कैसे लिखना चाहिये  [Wisdom Story]
Wisdom Story - आध्यात्मिक कहानी (Story To Read)

आर्यसमाजके संस्थापक श्रीस्वामी दयानन्दजी सरस्वतीके अत्यन्त निकटके श्रद्धालु भक्तोंमें थे पंजाबके पण्डित श्रीगुरुदत्तजी विद्यार्थी । स्वामीजीके देहावसान के अनन्तर उनके एक दूसरे श्रद्धालु अनुयायीने पण्डित गुरुदत्तजीसे कहा-'पण्डितजी! स्वामीजी महायोगी थे। आपको उनके घनिष्ठ सम्पर्कमें रहनेका सुअवसर मिला है। आपको उनके सम्बन्धमें विस्तृत जानकारी है। आप स्वामीजीका एक जीवनचरित क्यों नहीं लिखते ?'

पण्डित गुरुदत्तजी बड़ी गम्भीरतासे बोले 'स्वामीजीका जीवनचरित लिखनेका मैं प्रयत्न कर रहाहूँ। थोड़ा प्रारम्भ भी कर चुका हूँ।' बड़ी उत्सुकतासे उस श्रद्धालुने पूछा- 'यह जीवन-चरित कब सम्पूर्ण होगा? कबतक प्रकाशित हो जायगा।'

गुरुदत्तजी बोले- 'आप यह धारणा मत बनायें कि मैं कागजपर कोई जीवनचरित लिख रहा हूँ। मेरे विचारसे तो महापुरुषोंका जीवनचरित मनुष्योंके स्वभावमें लिखा जाना चाहिये। मैं इसी प्रकार प्रयत्न कर रहा हूँ कि मेरा जीवन स्वामीजीके पद-चिह्नोंपर चले ।'

- सु0 सिं0



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jeevanacharit kaise likhana chaahiye

aaryasamaajake sansthaapak shreesvaamee dayaanandajee sarasvateeke atyant nikatake shraddhaalu bhaktonmen the panjaabake pandit shreegurudattajee vidyaarthee . svaameejeeke dehaavasaan ke anantar unake ek doosare shraddhaalu anuyaayeene pandit gurudattajeese kahaa-'panditajee! svaameejee mahaayogee the. aapako unake ghanishth samparkamen rahaneka suavasar mila hai. aapako unake sambandhamen vistrit jaanakaaree hai. aap svaameejeeka ek jeevanacharit kyon naheen likhate ?'

pandit gurudattajee bada़ee gambheerataase bole 'svaameejeeka jeevanacharit likhaneka main prayatn kar rahaahoon. thoda़a praarambh bhee kar chuka hoon.' bada़ee utsukataase us shraddhaalune poochhaa- 'yah jeevana-charit kab sampoorn hogaa? kabatak prakaashit ho jaayagaa.'

gurudattajee bole- 'aap yah dhaarana mat banaayen ki main kaagajapar koee jeevanacharit likh raha hoon. mere vichaarase to mahaapurushonka jeevanacharit manushyonke svabhaavamen likha jaana chaahiye. main isee prakaar prayatn kar raha hoon ki mera jeevan svaameejeeke pada-chihnonpar chale .'

- su0 sin0

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