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कैसे एक प्रश्न से ही गुरु ने अपने शिष्यों की योग्यता का स्तर जान लिया ? आँख और कान में क्या भेद है?

आँख और कानमें भेद

एक संतके पास तीन मनुष्य शिष्य बनने के लिये गये। संतने उनसे पूछा- बताओ, आँख और कान कितना अन्तर है?"

इसपर पहलेने कहा- महाराज पाँच अंगुलका अन्तर है।

दूसरेने कहा-'महाराज जगत् आँखा देखा हुआ कानके सुने हुएसे अधिक प्रमाणित माना जाता है। यही आँख और कानका भेद है।

तीसरा बोला-'महाराज आँख और कान में और भी भेद हैं। आँखसे कानकी विशेषता है। आंख लौकिक पदार्थोंको ही दिखलाती है; परंतु कान परमार्थतत्वको भी जतानेवाला है। यह विशेष अंतर है।

संत ने पहले को शिष्य रूप से स्वीकार नहीं किया।
दूसरेको उपासनाका और तीसरेको ब्रह्मज्ञानका उपदेश दिया।



kaise ek prashn se hee guru ne apane shishyon kee yogyata ka star jaan liya ? aankh aur kaan men kya bhed hai?

aankh aur kaanamen bheda

ek santake paas teen manushy shishy banane ke liye gaye. santane unase poochhaa- bataao, aankh aur kaan kitana antar hai?"

isapar pahalene kahaa- mahaaraaj paanch angulaka antar hai.

doosarene kahaa-'mahaaraaj jagat aankha dekha hua kaanake sune huese adhik pramaanit maana jaata hai. yahee aankh aur kaanaka bhed hai.

teesara bolaa-'mahaaraaj aankh aur kaan men aur bhee bhed hain. aankhase kaanakee visheshata hai. aankh laukik padaarthonko hee dikhalaatee hai; parantu kaan paramaarthatatvako bhee jataanevaala hai. yah vishesh antar hai.

sant ne pahale ko shishy roop se sveekaar naheen kiyaa.
doosareko upaasanaaka aur teesareko brahmajnaanaka upadesh diyaa.



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