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शंकरजीको गंगाजलसे स्नान कराते ही वर्षा हुई

यह जुलाई, सन् १९८२ ई० में मिरजापुरमें घटित, चमत्कारपूर्ण दैवी घटना है। इस घटनासे कई वर्ष पूर्व भी प्रबल अवर्षणकी स्थिति बनी थी। श्रावणमासमें धूल उड़ रही थी, भीषण गर्मी और उमससे त्राण पाना कठिन हो गया था। बादलका एक टुकड़ा भी आसमानपर दिखायी नहीं पड़ता था । वर्षाके लिये सर्वत्र त्राहि-त्राहि मची थी। ऐसी भीषण स्थितिमें नगरके लोगोंने शंकरजीको गंगास्नान करानेका निश्चयकर लगभग दो सौ लोगों की टोली बनाकर घड़ों में गंगाजीका जल भरकर बदलीघाट स्थित शंकरजीका अभिषेक प्रारम्भ किया। गंगा किनारेसे मन्दिरतक लोगोंको दो पंक्तियोंमें खड़ा किया गया। एक तरफसे खाली घड़े गंगाके किनारेतक हाथों-हाथ पहुँचते थे, तो दूसरी ओरसे गंगाजलसे भरे घड़े उसी प्रकार मन्दिरतक आते थे और शंकरजीपर गंगाजल चढ़ाया जाता था। भगवान् शंकरको प्रातः कालसे ही स्नान कराना आरम्भ हुआ । अपराह्नमें अचानक आकाश मेघाच्छादित हो गया और देखते-देखते वर्षाकी फुहार ही नहीं पड़ी, अपितु एक घण्टेतक मूसलाधार वृष्टि भी हुई। भक्तोंकेसाथ साधारण जन और पशु-पक्षी सभीको गर्मीके भीषण कष्टसे त्राण मिला। शिवजीकी इस कृपासे लोग चमत्कृत तथा धन्य हो गये।

शिव-अभिषेकके फलस्वरूप वर्षा होनेके पुराने प्रसंगको वयोवृद्धोंसे सुनकर, उससे उत्साहित और प्रेरित हो, नगरके श्रद्धालु, आस्तिक लोगोंने गंगाजीसे १२०० मीटरकी दूरी तय करते हुए बदलीघाट-स्थित मन्दिरमें गत १२ जुलाई, सन् १९८२ ई०-को शंकरजीका गंगाजल से अनवरत अभिषेकसहित पूजन-अर्चन किया। शिवजीकी कृपासे थोड़ी ही देर बाद बादलोंसे विहीन आकाश मेघाच्छादित हो गया और अपराह्नमें लगभग ढाई बजेसे चार बजेतक खूब जमकर वर्षा हुई। शंकरजीकी इस कृपासे सर्वत्र प्रसन्नता छा गयी। आगे भी कई दिनोंतक वर्षा होते रहनेसे भीषण गर्मी तथा जलाभावके कष्टसे सभीको मुक्ति मिली। इस प्रकार भगवान् आशुतोषकी कृपासे भगवद्विश्वासी, आस्तिक लोगोंके श्रद्धा-विश्वासकी विजय हुई।

[ श्रीवल्लभदासजी बिन्नानी 'ब्रजेश' ]



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shankarajeeko gangaajalase snaan karaate hee varsha huee

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