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भक्त रामरूपजी की मार्मिक कथा
भक्त रामरूपजी की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त रामरूपजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त रामरूपजी]- भक्तमाल


भक्तवर रामरूपजीका जन्म सं0 1801 वि0 में दिल्लीके सन्निकट जयसिंहपुर ग्राममें हुआ था। वे गौड़ ब्राह्मण थे। बचपन से ही वे माता-पिताके सम्पर्क-सुखसे वञ्चित रहे। जब वे तीन मासके थे, तभी उनकी माताका देहान्त हो गया और पिता महाराम सदा नौकरीपर ही रहते थे। उनके पालन-पोषण और शिक्षाका भार धायपर आ पड़ा; पर वे दस सालके भी नहीं हुए थे कि वह भी चल बसी। रामरूपजीने इन परिस्थितियोंसे पूरा-पूरा लाभ उठाया। बचपनसे ही उनमें वैराग्य, भक्ति और संत-सेवाकी भावनाएँ उठा करती थीं। धायके भाईने उनमें भक्तिके अङ्कुर प्रस्फुटित होते देखकर उनको तत्कालीन महात्मा चरणदासजीके चरणाश्रयमें पहुँचा दिया। चरणदासजी उनपर बड़ी कृपारखते थे। गुरुके आशीर्वादसे वे कुछ भक्तोंको साथ लेकर आसपासके ग्रामोंमें भगवद्भक्तिके प्रचारके लिये निकल पड़े। लोग उनकी सादगी और सच्ची भक्ति-निष्ठासे बहुत प्रभावित हुए। इस भ्रमणकालमें एक गुफामें श्रीशुकदेवकी मूर्ति भी मिली थी। दिल्लीमें गुरु- आश्रममें लाकर विधिपूर्वक उन्होंने उसकी प्राण-प्रतिष्ठा की।

संवत् 1847 वि0 में उन्होंने परमधाम-लाभ किया। वे सत्सङ्गपर विशेष जोर देते थे; सत्सङ्गको ही ज्ञान, भक्ति और वैराग्य-प्राप्तिका साधन मानते थे । रामनाममें उनकी अडिग श्रद्धा और आस्था थी। योग, यज्ञ, तप और दानसे भी बढ़कर रामनाम उच्चारण ही उनके लिये अधिकाधिक श्रेयस्कर था ।



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bhaktavar raamaroopajeeka janm san0 1801 vi0 men dilleeke sannikat jayasinhapur graamamen hua thaa. ve gauda़ braahman the. bachapan se hee ve maataa-pitaake samparka-sukhase vanchit rahe. jab ve teen maasake the, tabhee unakee maataaka dehaant ho gaya aur pita mahaaraam sada naukareepar hee rahate the. unake paalana-poshan aur shikshaaka bhaar dhaayapar a pada़aa; par ve das saalake bhee naheen hue the ki vah bhee chal basee. raamaroopajeene in paristhitiyonse pooraa-poora laabh uthaayaa. bachapanase hee unamen vairaagy, bhakti aur santa-sevaakee bhaavanaaen utha karatee theen. dhaayake bhaaeene unamen bhaktike ankur prasphutit hote dekhakar unako tatkaaleen mahaatma charanadaasajeeke charanaashrayamen pahuncha diyaa. charanadaasajee unapar bada़ee kripaarakhate the. guruke aasheervaadase ve kuchh bhaktonko saath lekar aasapaasake graamonmen bhagavadbhaktike prachaarake liye nikal pada़e. log unakee saadagee aur sachchee bhakti-nishthaase bahut prabhaavit hue. is bhramanakaalamen ek guphaamen shreeshukadevakee moorti bhee milee thee. dilleemen guru- aashramamen laakar vidhipoorvak unhonne usakee praana-pratishtha kee.

sanvat 1847 vi0 men unhonne paramadhaama-laabh kiyaa. ve satsangapar vishesh jor dete the; satsangako hee jnaan, bhakti aur vairaagya-praaptika saadhan maanate the . raamanaamamen unakee adig shraddha aur aastha thee. yog, yajn, tap aur daanase bhee badha़kar raamanaam uchchaaran hee unake liye adhikaadhik shreyaskar tha .

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