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सत्याचरणका प्रभाव  [Story To Read]
Hindi Story - Hindi Story (आध्यात्मिक कहानी)

सत्याचरणका प्रभाव

दिव्यक नामक एक व्यक्ति भगवान् बुद्धकी ख्याति सुनकर उनके पास पहुँचा। उनके दर्शनसे उसे अपार शान्ति मिली। उसने एकान्तमें उनके पास पहुँचकर विनम्रता से कहा- 'प्रभु! मुझे कुछ उपदेश करें, जिससे मेरा जीवन सफल हो।' बुद्धने पूछा- 'क्या मेरे उपदेशपर आजसे ही अमल करोगे ?' उसने कहा-'ऐसा वचन देना तो बहुत मुश्किल है।' बुद्धने कहा- 'तो अभी वापस लौट जाओ। मनमें यह पक्का तय करके ही आना कि उपदेशपर पूरी तरह अमल करोगे। यदि उपदेश सुननेके बाद तुम तमाम दुर्गुणों, हिंसा, असत्य वचन, लोभ आदिका त्याग कर सकोगे, तभी उपदेश देना सार्थक होगा।'
दिव्यकने फिर अनुरोध किया, 'आप आज ही मुझे उपदेश देनेकी कृपा करें। उसमेंसे कुछपर फौरन अमल करनेका प्रयास करूँगा। मेरे अन्दर ढेर सारे दुर्गुण हैं। उन्हें एक साथ कैसे छोड़ा जा सकता है? एक-एक करके उन्हें छोड़नेकी कोशिश करूँगा।' बुद्ध समझ गये कि दिव्यक वास्तवमें अपना जीवन बदलनेका संकल्प ले चुका है। इसलिये वह आज ही उपदेश देनेका आग्रह कर रहा है। वे मुसकराये तथा बोले-'ठीक है, आज सत्य बोलने का संकल्प ले लो, जिसका तुम आजसे ही पालन करना शुरू कर दो। एक महीने बाद आकर और उपदेश 'ले जाना।' एक सप्ताह बाद ही दिव्यक उनके पास पहुँचा और बोला- 'भगवन् ! सत्याचरणने मेरे अन्य दुर्गुण भी दूर कर डाले। आजसे मैं आपकी शरणमें ही रहूँगा।' दिव्यकका जीवन बदल चुका था। [ श्रीशिवकुमारजी गोयल ]



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satyaacharanaka prabhaava

satyaacharanaka prabhaava

divyak naamak ek vyakti bhagavaan buddhakee khyaati sunakar unake paas pahunchaa. unake darshanase use apaar shaanti milee. usane ekaantamen unake paas pahunchakar vinamrata se kahaa- 'prabhu! mujhe kuchh upadesh karen, jisase mera jeevan saphal ho.' buddhane poochhaa- 'kya mere upadeshapar aajase hee amal karoge ?' usane kahaa-'aisa vachan dena to bahut mushkil hai.' buddhane kahaa- 'to abhee vaapas laut jaao. manamen yah pakka tay karake hee aana ki upadeshapar pooree tarah amal karoge. yadi upadesh sunaneke baad tum tamaam durgunon, hinsa, asaty vachan, lobh aadika tyaag kar sakoge, tabhee upadesh dena saarthak hogaa.'
divyakane phir anurodh kiya, 'aap aaj hee mujhe upadesh denekee kripa karen. usamense kuchhapar phauran amal karaneka prayaas karoongaa. mere andar dher saare durgun hain. unhen ek saath kaise chhoda़a ja sakata hai? eka-ek karake unhen chhoda़nekee koshish karoongaa.' buddh samajh gaye ki divyak vaastavamen apana jeevan badalaneka sankalp le chuka hai. isaliye vah aaj hee upadesh deneka aagrah kar raha hai. ve musakaraaye tatha bole-'theek hai, aaj saty bolane ka sankalp le lo, jisaka tum aajase hee paalan karana shuroo kar do. ek maheene baad aakar aur upadesh 'le jaanaa.' ek saptaah baad hee divyak unake paas pahuncha aur bolaa- 'bhagavan ! satyaacharanane mere any durgun bhee door kar daale. aajase main aapakee sharanamen hee rahoongaa.' divyakaka jeevan badal chuka thaa. [ shreeshivakumaarajee goyal ]

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