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विडालव्रतवालोंसे सावधान रहना चाहिये  [छोटी सी कहानी]
शिक्षदायक कहानी - शिक्षदायक कहानी (प्रेरक कहानी)

विडालव्रतवालोंसे सावधान रहना चाहिये

एक बार एक बिलाव शक्तिहीन ही जानेके कारण गंगाजीके तटपर हाथ उठाकर खड़ा हो गया और सब प्राणियोंको अपना विश्वास दिलानेके लिये 'मैं धर्माचरण कर रहा हूँ' ऐसी घोषणा करने लगा। इस प्रकार बहुत समय बीत जानेपर पक्षियोंको उसपर विश्वास हो गया और वे उसका सम्मान करने लगे। उसने भी समझा कि मेरा कपट सफल हो गया। फिर बहुत दिनों बाद वहाँ चूहे भी आये और उस तपस्वीको देखकर सोचने लगे कि 'हमारे शत्रु बहुत हैं; इसलिये हमारा मामा बनकर यह बिलाव हममेंसे जो बूढ़े और बालक हैं, उनकी रक्षा किया करे।' तब उन सबने उस विडालके पास जाकर कहा, 'आप हमारे रक्षक और परम सुहृद हैं। अतः हम सब आपकी शरणमें आये हैं। आप हमारी रक्षा करें।'
चूहोंकि इस प्रकार कहने पर उन्हें भक्षण करने की नीयत से विडालने कहा- 'मैं तप भी करूँ और तुम सबकी रक्षा भी करूँ- ये दोनों काम होने का तो मुझे कोई ढंग नहीं दिखायी देता। फिर भी तुम्हारा हित करनेके लिये मुझे तुम्हारी बात भी अवश्य माननी चाहिये। तुम्हें भी नित्यप्रति मेरा एक काम करना होगा। मैं कठोर नियमोंका पालन करते-करते बहुत. थक गया हूँ। मुझे अपनेमें चलने-फिरनेकी तनिक भी शक्ति दिखायी नहीं देती। अतः आजसे मुझे तुम नित्यप्रति नदीके तीरतक पहुँचा दिया करो।'चूहोंने 'बहुत अच्छा' कहकर उसकी बात स्वीकार कर ली और सब बूढ़े बालक उसीको सौंप दिये।
'फिर तो वह पापी बिलाव उन चूहोंको खा खाकर मोटा हो गया। इधर चूहोंकी संख्या दिनोंदिन कम होने लगी। तब उन सबने आपसमें मिलकर कहा, 'क्यों जी! मामा तो रोज-रोज फूलता जा रहा है और हम बहुत घट गये हैं। इसका क्या कारण है ?' तबउनमें कोलिक नामका जो सबसे बूढ़ा चूहा था, उसने
कहा- 'मामाको धर्मकी परवा थोड़े ही है। इसने तो ढोंग रचकर ही हमसे मेल-जोल बढ़ा लिया है। इसके अंग बराबर पुष्ट होते जा रहे हैं और हमलोग घट रहे हैं। सात-आठ दिनसे डिंडिक चूहा भी दिखायी नहीं दे रहा है।' कोलिककी यह बात सुनकर सब चूहे भाग गये और वह दुष्ट बिलाव भी अपना सा मुँह लेकर चला गया; क्योंकि उसने तो केवल धर्माचरणका ढोंग रच रखा था। इससे हमें शिक्षा मिलती है कि समाजमें हम सतर्क होकर रहें, जिससे धर्म-कर्म, शास्त्रज्ञान आदिका मिथ्या प्रदर्शन करते हुए अपने ही निहित स्वार्थीके साधक पाखण्डियोंके जालमें न फँस सकें। शास्त्रका यह स्पष्ट आदेश है कि विडालके जैसा कपटपूर्ण आचरण करनेवालोंको तनिक भी अवकाश नहीं देना चाहिये, नहीं तो सर्वनाश अवश्यम्भावी है।



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vidaalavratavaalonse saavadhaan rahana chaahiye

vidaalavratavaalonse saavadhaan rahana chaahiye

ek baar ek bilaav shaktiheen hee jaaneke kaaran gangaajeeke tatapar haath uthaakar khada़a ho gaya aur sab praaniyonko apana vishvaas dilaaneke liye 'main dharmaacharan kar raha hoon' aisee ghoshana karane lagaa. is prakaar bahut samay beet jaanepar pakshiyonko usapar vishvaas ho gaya aur ve usaka sammaan karane lage. usane bhee samajha ki mera kapat saphal ho gayaa. phir bahut dinon baad vahaan choohe bhee aaye aur us tapasveeko dekhakar sochane lage ki 'hamaare shatru bahut hain; isaliye hamaara maama banakar yah bilaav hamamense jo boodha़e aur baalak hain, unakee raksha kiya kare.' tab un sabane us vidaalake paas jaakar kaha, 'aap hamaare rakshak aur param suhrid hain. atah ham sab aapakee sharanamen aaye hain. aap hamaaree raksha karen.'
choohonki is prakaar kahane par unhen bhakshan karane kee neeyat se vidaalane kahaa- 'main tap bhee karoon aur tum sabakee raksha bhee karoon- ye donon kaam hone ka to mujhe koee dhang naheen dikhaayee detaa. phir bhee tumhaara hit karaneke liye mujhe tumhaaree baat bhee avashy maananee chaahiye. tumhen bhee nityaprati mera ek kaam karana hogaa. main kathor niyamonka paalan karate-karate bahuta. thak gaya hoon. mujhe apanemen chalane-phiranekee tanik bhee shakti dikhaayee naheen detee. atah aajase mujhe tum nityaprati nadeeke teeratak pahuncha diya karo.'choohonne 'bahut achchhaa' kahakar usakee baat sveekaar kar lee aur sab boodha़e baalak useeko saunp diye.
'phir to vah paapee bilaav un choohonko kha khaakar mota ho gayaa. idhar choohonkee sankhya dinondin kam hone lagee. tab un sabane aapasamen milakar kaha, 'kyon jee! maama to roja-roj phoolata ja raha hai aur ham bahut ghat gaye hain. isaka kya kaaran hai ?' tabaunamen kolik naamaka jo sabase boodha़a chooha tha, usane
kahaa- 'maamaako dharmakee parava thoda़e hee hai. isane to dhong rachakar hee hamase mela-jol badha़a liya hai. isake ang baraabar pusht hote ja rahe hain aur hamalog ghat rahe hain. saata-aath dinase dindik chooha bhee dikhaayee naheen de raha hai.' kolikakee yah baat sunakar sab choohe bhaag gaye aur vah dusht bilaav bhee apana sa munh lekar chala gayaa; kyonki usane to keval dharmaacharanaka dhong rach rakha thaa. isase hamen shiksha milatee hai ki samaajamen ham satark hokar rahen, jisase dharma-karm, shaastrajnaan aadika mithya pradarshan karate hue apane hee nihit svaartheeke saadhak paakhandiyonke jaalamen n phans saken. shaastraka yah spasht aadesh hai ki vidaalake jaisa kapatapoorn aacharan karanevaalonko tanik bhee avakaash naheen dena chaahiye, naheen to sarvanaash avashyambhaavee hai.

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