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श्रीनर्मदा-नमनसे विष एवं सर्प-भयका शमन

नर्मदायै नमः प्रातर्नर्मदायै नमो निशि । नमोऽस्तु नर्मदे तुभ्यं त्राहि मां विषसर्पतः ॥

'नर्मदाको प्रातःकाल नमस्कार है और रात्रिकालमें भी नर्मदाको नमस्कार है। हे नर्मदे! तुमको बारंबार नमस्कार है, तुम मेरी विष और सर्पसे रक्षा करो।' इस मन्त्रका उच्चारण करते हुए दिन अथवा रात्रिमें किसी समय भी अन्धकारमें जानेसे सर्प नहीं काटता तथा इस मन्त्रका स्मरण करनेसे अनजानेमें विष मिश्रित भोजन भी घातक नहीं होता । [ श्रीविष्णुपुराण ३ । ३ । १३]



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shreenarmadaa-namanase vish evan sarpa-bhayaka shamana

narmadaayai namah praatarnarmadaayai namo nishi . namo'stu narmade tubhyan traahi maan vishasarpatah ..

'narmadaako praatahkaal namaskaar hai aur raatrikaalamen bhee narmadaako namaskaar hai. he narmade! tumako baaranbaar namaskaar hai, tum meree vish aur sarpase raksha karo.' is mantraka uchchaaran karate hue din athava raatrimen kisee samay bhee andhakaaramen jaanese sarp naheen kaatata tatha is mantraka smaran karanese anajaanemen vish mishrit bhojan bhee ghaatak naheen hota . [ shreevishnupuraan 3 . 3 . 13]

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