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भक्त केशवदासजी की मार्मिक कथा
भक्त केशवदासजी की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त केशवदासजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त केशवदासजी]- भक्तमाल


भक्त केशवदासजी जातिके चारण थे। काठियावाड़ में आंबरडी गाँवके निवासी थे। लड़कपनसे ही साधु-संतोंकी सेवा करते थे । 45 वर्षकी उम्रमें आपने मेघ स्वामीसे दीक्षा ली। उसके बाद उनके जीवनमें महान् परिवर्तन हुआ और वे भजन, ध्यान, समाधिमें ही सारा समय लगाने लगे। वे महान् विवेकशील थे। बहुत दूर-दूरसे साधक और भक्तउनका सत्सङ्ग करने आते थे। बालदास नामक खूनी चारणको उन्होंने अपने उपदेशसे उच्च कोटिका साधु बना दिया था। दीक्षा लेनेके बाद वे ध्रांगध्राके पास कांतरोडी गाँवमें रहने लगे। उनको समाधिका पूरा अनुभव था। संवत् 1960 में उनका देहान्त हुआ। आज भी हजारों आदमी उनकी समाधिका दर्शन करके पवित्र होते हैं।



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bhakt keshavadaasajee jaatike chaaran the. kaathiyaavaada़ men aanbaradee gaanvake nivaasee the. lada़kapanase hee saadhu-santonkee seva karate the . 45 varshakee umramen aapane megh svaameese deeksha lee. usake baad unake jeevanamen mahaan parivartan hua aur ve bhajan, dhyaan, samaadhimen hee saara samay lagaane lage. ve mahaan vivekasheel the. bahut doora-doorase saadhak aur bhaktaunaka satsang karane aate the. baaladaas naamak khoonee chaaranako unhonne apane upadeshase uchch kotika saadhu bana diya thaa. deeksha leneke baad ve dhraangadhraake paas kaantarodee gaanvamen rahane lage. unako samaadhika poora anubhav thaa. sanvat 1960 men unaka dehaant huaa. aaj bhee hajaaron aadamee unakee samaadhika darshan karake pavitr hote hain.

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