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सत्य- पालनसे राज्य-प्राप्ति  [प्रेरक कथा]
प्रेरक कथा - Hindi Story (प्रेरक कथा)

सत्य- पालनसे राज्य-प्राप्ति

हंगरीके राजा मत्थियसका एक गड़रिया था। वह सत्यको परमेश्वर मानकर आदर करता था। उसने प्रण कर लिया था कि प्राण भले ही चले जायँ, परंतु सत्य बोलना कभी न छोड़ेंगा। धीरे-धीरे उसके सत्य भाषणका लोहा सब लोग मानने लगे। हंगरीका राजा उस गड़रियेको प्राणोंसे बढ़कर मानता था और उसकी प्रशंसा किये बिना उससे रहा नहीं जाता था। एक बार प्रशियाके राजासे उन्होंने गड़रियेकी सच्चाईकी प्रशंसा कर दी। प्रशियाके राजाको विश्वास न हुआ कि कोई व्यक्ति इतना सच्चा हो सकता है। उन्होंने कहा- 'मैं उसे झूठ बोलनेके लिये विवश कर दूँगा।' हंगरीके राजाको अपने गड़रियेकी सत्यनिष्ठापर पूरा-पूरा भरोसा था। उन्होंने दृढ़ताके साथ कहा- 'गड़रियाको कभी सत्यनिष्ठासे डिगाया नहीं जा सकता । '
प्रशियाके राजाने कहा- 'उसे मैं सत्यनिष्ठासे डिगा ही दूँगा । यदि ऐसा न कर सका तो आधा राज्य आपको दे दूँगा। पर याद रखना, यदि उसे सत्यसे डिगा दिया तो तुम्हें आधा राज्य मुझे देना पड़ेगा।' दोनोंने शर्तको स्वीकार कर लिया। मत्थियसके पास सुनहले रंगका एक मेमना था। जब गड़रिया मेमनोंको चरागाहमें ले गया, तब प्रशियाके राजाने उसे बहुत बड़ी रकम थमाकर कहा कि 'यह सुनहला मेमना मुझे दे दो। अपने राजासे कह देना कि उसे भेड़िया उठा ले गया।'
गड़रियाने विनम्रता से कहा- 'सरकार! मैं झूठ नहीं बोल सकता।' राजाने धनकी रकम बढ़ाते हुए कहा- 'लो यह भरी हुई थैली, इससे तुम जीवनभरके लिये सुखी हो जाओगे। तुम्हारा कोई-न-कोई मेमना प्रतिदिन खोता ही रहता है। इस बार भेड़िया तुम्हारे सुनहले मेमनाको उठा ले गया, यह राजासे कह देना । इतना कहने से तुम्हारा क्या बिगड़ेगा।'
गड़रियाने राजा साहबका खूब सम्मान किया और कहा- 'सरकार! मैं सत्यकी हत्या नहीं करूँगा, क्षमा करें।' राजा घबड़ा गया। उसे अपना आधा राज्य अपने हाथसे जाता दीख पड़ा। अपनी बेटीसे उसने इस काममें सहायता माँगी। उसकी बेटी एक तो बहुत सुन्दर थी और दूसरे कौन-सा काम कैसे बनाया जाय, इसका तरीका उसे ज्ञात था । राजकुमारी गड़रियेके पास आयी और उससे मीठी-मीठी बातें करने लगी। उसे कुछ खिलाया और पीनेके लिये मंदिरा दी। पीनेसे गड़रियेकी चेतना कमजोर पड़ती गयी। उधर राजकुमारीकी मीठी बातोंमें आकर गड़रियेने मेमना राजकुमारीको दे दिया। प्रशियाके राजाकी प्रसन्नताकी सीमा न थी। वे समयसे पहले ही मत्थियसके राजमहलमें जा पहुँचे।
इधर गड़रियेका जब नशा उतरा, तब वह समझ पाया कि उससे सुनहला मेमना धोखेसे ले लिया गया है, किंतु वह घबराया नहीं; क्योंकि सत्य बोलनेवाले घबराते नहीं। सत्य स्वयं दूध का दूध पानी-का-पानी अलग कर देता है। गड़रियाने इस घटनाको भरे दरबारमें ज्यों-का-त्यों सुना दिया।
प्रशियानरेश शर्त हार चुके थे। उन्हें आधा राज्य देना पड़ा। मत्थियसने इस आधे राज्यको अपने गड़रियेको सौंपते हुए कहा-'यह तुम्हारे सत्य भाषणका पुरस्कार है।' उधर प्रशियानरेश भी उस गड़रियेकी सत्यनिष्ठाके सामने श्रद्धासे अवनत हो गया। उसने अपनी राजकन्यासे उस गड़रियाका विवाह कर दिया।
इस प्रकार सत्यने एक अकिंचनको राजा बना दिया।



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satya- paalanase raajya-praapti

satya- paalanase raajya-praapti

hangareeke raaja matthiyasaka ek gada़riya thaa. vah satyako parameshvar maanakar aadar karata thaa. usane pran kar liya tha ki praan bhale hee chale jaayan, parantu saty bolana kabhee n chhoda़engaa. dheere-dheere usake saty bhaashanaka loha sab log maanane lage. hangareeka raaja us gada़riyeko praanonse badha़kar maanata tha aur usakee prashansa kiye bina usase raha naheen jaata thaa. ek baar prashiyaake raajaase unhonne gada़riyekee sachchaaeekee prashansa kar dee. prashiyaake raajaako vishvaas n hua ki koee vyakti itana sachcha ho sakata hai. unhonne kahaa- 'main use jhooth bolaneke liye vivash kar doongaa.' hangareeke raajaako apane gada़riyekee satyanishthaapar pooraa-poora bharosa thaa. unhonne dridha़taake saath kahaa- 'gada़riyaako kabhee satyanishthaase digaaya naheen ja sakata . '
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is prakaar satyane ek akinchanako raaja bana diyaa.

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