⮪ All भक्त चरित्र

महात्मा बालि की मार्मिक कथा
महात्मा बालि की अधबुत कहानी - Full Story of महात्मा बालि (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [महात्मा बालि]- भक्तमाल


उमा दारु जोषित की नाई सहि नचात रामु गोसाई ॥

देवराज इन्द्रके अंशसे उत्पन्न किष्किन्धानरेश वानरराज बालि अमित पराक्रमी थे। वे सन्ध्या, पूजन, देवाराधन करते थे। ब्राह्मणों तथा गौओंके भक्त थे। उनमें न कोई अधर्म था और न उनको प्रमाद ही स्पर्श करता था। उनका अपार ऐश्वर्य और महान् धन-वैभव था। पराक्रम इतना महान् था कि युद्धके लिये आये राक्षसराज रावणको उन्होंने नन्हें-से कीड़ेकी भाँति पकड़कर अपनी काँख (बगल) में छः महीने दबाये रखा और फिर लाकर घरमें बाँध दिया। महर्षि पुलस्त्यके कहनेपर उन्होंने दशाननको छोड़ा। बालिके भयसे राक्षस उनके राज्य में उत्पात नहीं करते थे। परंतु प्रारब्धकी महिमा अपार है। अपने छोटे भाई सुग्रीवसे उनको चिढ़ हो गयी। सुग्रीवको मारकर उन्होंने निकाल दिया और उसकी सम्पत्ति तथा स्त्री छीन ली।

बालिको सुग्रीव प्राणोंके समान प्रिय थे और सुग्रीव भी बालिका पिताके समान आदर करते थे। एक दिन मयका पुत्र मायावी नामक राक्षस आया और आधी रातको नगरद्वारपर आकर उसने बालिको युद्धके लिये ललकारा। बालि दौड़ पड़े। राक्षस भागकर एक गुफामें घुस गया। सुग्रीव भी बड़े भाईके साथ दौड़े आये थे। उन्हें द्वारपर पन्द्रह दिनतक प्रतीक्षा करनेको कहकर बाति गुफाएँ चले गये। सुग्रीव एक महीने वहाँ बैठे रहे। अन्तमें जब गुफासे रक्तकी धारा निकली, तब उन्होंने निश्चय किया कि 'राक्षसने मेरे भाईको मार दिया।' तब गुफाद्वारपर शिला रखकर प्राणभयसे वे भाग आये। मन्त्रियोंने आते ही उन्हें राज्यतिलक कर दिया। कुछ समय बाद असुरको मारकर बालि लौटे। गुफाद्वार बन्द देखकर उन्हें क्रोध आया। शिला हटाकर नगरमें आनेपर जब उन्होंने सुग्रीवको राजा बना देखा, तब उन्हें ऐसा लगा कि जान-बूझकर सुग्रीवने ही मुझे गुफामें बन्द करके मार डालना चाहा था; अतः वे सुग्रीवपर टूट पड़े। घायल होकर सुग्रीव भाग खड़े हुए। इस प्रकार केवल भ्रमके कारण इतना बड़ा अनर्थ हो गया।

बालिने दुन्दुभि नामक राक्षसको मारकर एक बार ऋष्यमूक पर्वतपर फेंक दिया था। उस राक्षसके रक्तसे मतंग ऋषिका आश्रम अपवित्र हो गया। इससे ऋषिने शापदिया' बालि इस पर्वतपर आते ही मर जायगा।' इससे बालि वहाँ नहीं जाते थे। सुग्रीव उसी पर्वतपर रहने लगे। वहाँ मर्यादापुरुषोत्तम श्रीरामसे उनकी मित्रता हुई। श्रीरामने उन्हें बालिसे युद्ध करने भेजा। जब सुग्रीवकी ललकार सुनकर बालि दौड़े, तब ताराने पैर पकड़कर उन्हें समझाना चाहा। उस समय वालिने कहा- 'तारा! श्रीराम तो समदर्शी हैं और यदि कदाचित् वे मुझे मारेंगे भी, तो मैं सदाके लिये सनाथ हो जाऊँगा।'

बालि श्रीरामके स्वरूपको जानते थे। जब प्रभुने उनकी छाती में बाण मारा और वे गिर पड़े, तब सर्वेश्वर उनके सम्मुख आये। बालिने उन्हें उलाहना दिया छिपकर मारनेके लिये; किंतु 'हृदयं प्रेम मुख वचन कठोरा' को वे सर्वान्तर्यामी भलीभांति जानते थे। बालि कहें कुछ भी, उनकी अवस्था तो दूसरी ही थी-

पुनि पुनि चितड़ चरन चित दीन्हा। सुफल जन्म माना प्रभु चीन्हा ॥

भगवान्ने भी बालिके वचनका उत्तर देकर बताया कि यह जानकर भी कि सुग्रीव भगवान्‌के आश्रित हैं, उन्हें मारनेका प्रयत्न अहङ्कारवश ही किया गया। बालिके हृदयमें प्रेम था। वे विवाद करनेकी स्थितिमें भी नहीं थे। उन्होंने कहा- 'नाथ! आप स्वामी हैं, समर्थ हैं। आपसे मेरी चतुराई नहीं चल सकती; किंतु अब अन्त समयमें जब मैं आपकी परम गति पा रहा हूँ, तब भी क्या पापी ही हूँ?'

दयामयने बालिके शरीरको अमर कर देनेको कहा।

बालिने उत्तर दिया- 'प्रभु! ऐसा सुअवसर बार-बार हाथ नहीं लगता।"

जन्म जन्म मुनि जतन कराही अंत राम कहि आवत नाहीं ॥
जासु नाम बल संकर कासी देत सबहि सम गति अविनासी ॥
मम लोचन गोचर सोड़ आवा बहुरि कि प्रभु अस वनिहि बनावा ।।

बालिने भगवान्की स्तुति की और वरदान माँगा - 'नाथ ! | कर्मवश जिस भी योनिमें जन्म ग्रहण करूँ, वहाँ मेरा आपके श्रीचरणोंमें प्रेम रहे-

जेहिं जोनि जन्मीं कर्म बस तहँ राम पद अनुरागऊँ ।।

वह दिव्य झाँकी उस धन्यभाग्यके सम्मुख थी स्याम गात सिर जटा बनाएँ। अरून नयन सर चाप चढ़ाएँ श्रीरामके चरणोंमें चित्तको लगाकर इस छविका दर्शन करते बालिने इस प्रकार शरीर छोड़ दिया-

'सुमन माल जिमि कंठ ते गिरत न जानइ नाग ॥



You may also like these:



mahaatma baali ki marmik katha
mahaatma baali ki adhbut kahani - Full Story of mahaatma baali (hindi)

[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [mahaatma baali]- Bhaktmaal


uma daaru joshit kee naaee sahi nachaat raamu gosaaee ..

devaraaj indrake anshase utpann kishkindhaanaresh vaanararaaj baali amit paraakramee the. ve sandhya, poojan, devaaraadhan karate the. braahmanon tatha gauonke bhakt the. unamen n koee adharm tha aur n unako pramaad hee sparsh karata thaa. unaka apaar aishvary aur mahaan dhana-vaibhav thaa. paraakram itana mahaan tha ki yuddhake liye aaye raakshasaraaj raavanako unhonne nanhen-se keeda़ekee bhaanti pakada़kar apanee kaankh (bagala) men chhah maheene dabaaye rakha aur phir laakar gharamen baandh diyaa. maharshi pulastyake kahanepar unhonne dashaananako chhoda़aa. baalike bhayase raakshas unake raajy men utpaat naheen karate the. parantu praarabdhakee mahima apaar hai. apane chhote bhaaee sugreevase unako chidha़ ho gayee. sugreevako maarakar unhonne nikaal diya aur usakee sampatti tatha stree chheen lee.

baaliko sugreev praanonke samaan priy the aur sugreev bhee baalika pitaake samaan aadar karate the. ek din mayaka putr maayaavee naamak raakshas aaya aur aadhee raatako nagaradvaarapar aakar usane baaliko yuddhake liye lalakaaraa. baali dauda़ pada़e. raakshas bhaagakar ek guphaamen ghus gayaa. sugreev bhee bada़e bhaaeeke saath dauda़e aaye the. unhen dvaarapar pandrah dinatak prateeksha karaneko kahakar baati guphaaen chale gaye. sugreev ek maheene vahaan baithe rahe. antamen jab guphaase raktakee dhaara nikalee, tab unhonne nishchay kiya ki 'raakshasane mere bhaaeeko maar diyaa.' tab guphaadvaarapar shila rakhakar praanabhayase ve bhaag aaye. mantriyonne aate hee unhen raajyatilak kar diyaa. kuchh samay baad asurako maarakar baali laute. guphaadvaar band dekhakar unhen krodh aayaa. shila hataakar nagaramen aanepar jab unhonne sugreevako raaja bana dekha, tab unhen aisa laga ki jaana-boojhakar sugreevane hee mujhe guphaamen band karake maar daalana chaaha thaa; atah ve sugreevapar toot pada़e. ghaayal hokar sugreev bhaag khada़e hue. is prakaar keval bhramake kaaran itana baड़a anarth ho gayaa.

baaline dundubhi naamak raakshasako maarakar ek baar rishyamook parvatapar phenk diya thaa. us raakshasake raktase matang rishika aashram apavitr ho gayaa. isase rishine shaapadiyaa' baali is parvatapar aate hee mar jaayagaa.' isase baali vahaan naheen jaate the. sugreev usee parvatapar rahane lage. vahaan maryaadaapurushottam shreeraamase unakee mitrata huee. shreeraamane unhen baalise yuddh karane bhejaa. jab sugreevakee lalakaar sunakar baali dauड़e, tab taaraane pair pakada़kar unhen samajhaana chaahaa. us samay vaaline kahaa- 'taaraa! shreeraam to samadarshee hain aur yadi kadaachit ve mujhe maarenge bhee, to main sadaake liye sanaath ho jaaoongaa.'

baali shreeraamake svaroopako jaanate the. jab prabhune unakee chhaatee men baan maara aur ve gir pada़e, tab sarveshvar unake sammukh aaye. baaline unhen ulaahana diya chhipakar maaraneke liye; kintu 'hridayan prem mukh vachan kathoraa' ko ve sarvaantaryaamee bhaleebhaanti jaanate the. baali kahen kuchh bhee, unakee avastha to doosaree hee thee-

puni puni chitaड़ charan chit deenhaa. suphal janm maana prabhu cheenha ..

bhagavaanne bhee baalike vachanaka uttar dekar bataaya ki yah jaanakar bhee ki sugreev bhagavaan‌ke aashrit hain, unhen maaraneka prayatn ahankaaravash hee kiya gayaa. baalike hridayamen prem thaa. ve vivaad karanekee sthitimen bhee naheen the. unhonne kahaa- 'naatha! aap svaamee hain, samarth hain. aapase meree chaturaaee naheen chal sakatee; kintu ab ant samayamen jab main aapakee param gati pa raha hoon, tab bhee kya paapee hee hoon?'

dayaamayane baalike shareerako amar kar deneko kahaa.

baaline uttar diyaa- 'prabhu! aisa suavasar baara-baar haath naheen lagataa."

janm janm muni jatan karaahee ant raam kahi aavat naaheen ..
jaasu naam bal sankar kaasee det sabahi sam gati avinaasee ..
mam lochan gochar soda़ aava bahuri ki prabhu as vanihi banaava ..

baaline bhagavaankee stuti kee aur varadaan maanga - 'naath ! | karmavash jis bhee yonimen janm grahan karoon, vahaan mera aapake shreecharanonmen prem rahe-

jehin joni janmeen karm bas tahan raam pad anuraagaoon ..

vah divy jhaankee us dhanyabhaagyake sammukh thee syaam gaat sir jata banaaen. aroon nayan sar chaap chadha़aaen shreeraamake charanonmen chittako lagaakar is chhavika darshan karate baaline is prakaar shareer chhoda़ diyaa-

'suman maal jimi kanth te girat n jaanai naag ..

192 Views

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
READ NOW FREE
9 Must Have Qualities Of A Good Vaishnav Devotee14 Tips To Overcome Tough Times Through Devotional Love For God15 Obstacles That Can Easily Derail Us From Our Path Of BhaktiWhat Is Navdha Bhakti? And Why Is It So Important For Us?



Bhajan Lyrics View All

हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे
किशोरी तेरे चरणन में, महारानी तेरे
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
मेरी बाँह पकड़ लो इक बार,सांवरिया
मैं तो जाऊँ तुझ पर कुर्बान, सांवरिया
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
बहुत बड़ा दरबार तेरो बहुत बड़ा दरबार,
चाकर रखलो राधा रानी तेरा बहुत बड़ा
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है

New Bhajan Lyrics View All

हे अतुलित बलशाली, जय जय महाँवीर हनुमान
महाँवीर हनुमान, जय जय महाँवीर हनुमान
मन रोये मेरा जब भी तब ओ मेरे सांवरे,
मुझे तू नज़र आये बस तू ही नज़र आये,
राम जय जय राम श्री राम जय जय राम,
मैं तो राम ही राम पुकारू,
गणपती बाबा दया करो,
हर चिंतक की चिंता हरो,
सांवरिया मत फोड़े मटकी,
कसम तोहै दाऊ भैया की, भैया की,