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सहनशीलता  [Short Story]
Hindi Story - छोटी सी कहानी (प्रेरक कथा)

भगवान् बुद्ध किसी जन्ममें भैंसेकी योनिमें थे। जंगली भैंसा होनेपर भी बोधिसत्त्व अत्यन्त शान्त थे उनके सीधेपनका लाभ उठाकर एक बंदर उन्हें बहुत तंग करता था। वह कभी उनकी पीठपर चढ़कर कूदता, कभी उनके सींग पकड़कर हिलाता और कभी पूँछ खींचता था। कभी-कभी तो उनकी आँखमें भी अंगुली डाल देता था। परंतु बोधिसत्त्व सदा शान्त ही रहते थे। यह देखकर देवताओंने कहा-' ओ शान्तमूर्ति ! इस दुष्ट बंदरको दण्ड देना चाहिये। इसने क्या तुमकोखरीद लिया है या तुम इससे डरते हो ?'

बोधिसत्त्व बोले- 'देवगण! न इस बंदरने मुझे खरीदा है न मैं इससे डरता हूँ। इसकी दुष्टता भी मैं समझता हूँ और केवल सिरके एक झटकेसे अपने सींगद्वारा इसे फाड़ डालने-जितना बल भी मुझमें है। परंतु मैं इसके अपराध क्षमा करता हूँ। अपनेसे बलवान्के अपराध तो सभी विवश होकर सहन करते हैं। सहनशीलता तो वह है जब अपनेसे निर्बलके अपराध सहन किये जायें।' -सु0 सिंह



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sahanasheelataa

bhagavaan buddh kisee janmamen bhainsekee yonimen the. jangalee bhainsa honepar bhee bodhisattv atyant shaant the unake seedhepanaka laabh uthaakar ek bandar unhen bahut tang karata thaa. vah kabhee unakee peethapar chaढ़kar koodata, kabhee unake seeng pakada़kar hilaata aur kabhee poonchh kheenchata thaa. kabhee-kabhee to unakee aankhamen bhee angulee daal deta thaa. parantu bodhisattv sada shaant hee rahate the. yah dekhakar devataaonne kahaa-' o shaantamoorti ! is dusht bandarako dand dena chaahiye. isane kya tumakokhareed liya hai ya tum isase darate ho ?'

bodhisattv bole- 'devagana! n is bandarane mujhe khareeda hai n main isase darata hoon. isakee dushtata bhee main samajhata hoon aur keval sirake ek jhatakese apane seengadvaara ise phaaड़ daalane-jitana bal bhee mujhamen hai. parantu main isake aparaadh kshama karata hoon. apanese balavaanke aparaadh to sabhee vivash hokar sahan karate hain. sahanasheelata to vah hai jab apanese nirbalake aparaadh sahan kiye jaayen.' -su0 sinha

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