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मैं श्रीकृष्णसे मिलने जा रहा हूँ  [बोध कथा]
हिन्दी कहानी - आध्यात्मिक कथा (Story To Read)

लगभग सौ वर्ष पहलेकी बात है। सौराष्ट्रके प्रसिद्ध वैष्णव कवि अभिनव नरसी मेहता- दयाराम भाईने श्रीकृष्ण लीलापर सरस गान लिखकर अपने-आपको अमर कर लिया। उनका समस्त जीवन रास-रसिक नन्दनन्दनके चरणोंपर समर्पित था। वे उन्हींके लिये सारे काम करते थे। उन्हींकी प्रसन्नताके लिये खाते-पीते और कपड़ा पहनते थे। वे कीमती से कीमती कपड़े पहनकर अपने आराध्यदेवका दर्शन करनेके लिये मन्दिरमें जाया करते थे।

एक दिन वे अच्छी तरह बन-ठनकर कहीं जा रहे थे। उनका शरीर बड़ा सुन्दर और मुख कान्तिपूर्ण था । उन्होंने हरी किनारीकी अहमदाबादी धोती पहन रखी थी, बंडी झीनी मलमलकी थी, अँगरखा बड़ा सुन्दर था;सिरपर लाल रंगकी नागरी पगड़ी थी। बगलमें सितार दबाये वे चले जा रहे थे कि किसी मित्रने छेड़ ही तो | दिया कि 'कहाँ जा रहे हैं ? किसीसे मिलनेका कार्यक्रम तो नहीं है ?'

दयाराम भाईका रोम-रोम मित्रके प्रश्नसे पुलकित हो उठा। आँखोंसे प्रेमाश्रु झरने लगे। वे कुछ आत्म-विभोर होकर जडके समान खड़े रहे। देरतक

"भैया! श्रीकृष्णसे बढ़कर मेरे लिये दूसरा कौन है। उनकी रूप-माधुरीसे बड़ी संसारमें दूसरी वस्तु है ही क्या। आपने कितनी सुन्दर बात पूछी है। बड़े भाग्यसे आपका दर्शन मिल गया। इस समय मैं अपने परमाराध्य प्रियतम श्रीकृष्णसे मिलने जा रहा हूँ।" दयाराम भाईने मित्रके प्रति आभार प्रकट किया और चल पड़े।

रा0 श्री0



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main shreekrishnase milane ja raha hoon

lagabhag sau varsh pahalekee baat hai. sauraashtrake prasiddh vaishnav kavi abhinav narasee mehataa- dayaaraam bhaaeene shreekrishn leelaapar saras gaan likhakar apane-aapako amar kar liyaa. unaka samast jeevan raasa-rasik nandanandanake charanonpar samarpit thaa. ve unheenke liye saare kaam karate the. unheenkee prasannataake liye khaate-peete aur kapada़a pahanate the. ve keematee se keematee kapada़e pahanakar apane aaraadhyadevaka darshan karaneke liye mandiramen jaaya karate the.

ek din ve achchhee tarah bana-thanakar kaheen ja rahe the. unaka shareer bada़a sundar aur mukh kaantipoorn tha . unhonne haree kinaareekee ahamadaabaadee dhotee pahan rakhee thee, bandee jheenee malamalakee thee, angarakha bada़a sundar thaa;sirapar laal rangakee naagaree pagada़ee thee. bagalamen sitaar dabaaye ve chale ja rahe the ki kisee mitrane chheda़ hee to | diya ki 'kahaan ja rahe hain ? kiseese milaneka kaaryakram to naheen hai ?'

dayaaraam bhaaeeka roma-rom mitrake prashnase pulakit ho uthaa. aankhonse premaashru jharane lage. ve kuchh aatma-vibhor hokar jadake samaan khada़e rahe. derataka

"bhaiyaa! shreekrishnase badha़kar mere liye doosara kaun hai. unakee roopa-maadhureese bada़ee sansaaramen doosaree vastu hai hee kyaa. aapane kitanee sundar baat poochhee hai. bada़e bhaagyase aapaka darshan mil gayaa. is samay main apane paramaaraadhy priyatam shreekrishnase milane ja raha hoon." dayaaraam bhaaeene mitrake prati aabhaar prakat kiya aur chal pada़e.

raa0 shree0

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