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रसिकभक्त प्रेमगोपीजी की मार्मिक कथा
रसिकभक्त प्रेमगोपीजी की अधबुत कहानी - Full Story of रसिकभक्त प्रेमगोपीजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [रसिकभक्त प्रेमगोपीजी]- भक्तमाल


रसिकभक्त प्रेमगोपीजीकी उपासना गोपीभावकी थी, वे उच्च कोटिके रसिक थे। राजस्थानके भक्तिक्षेत्रमें उनका नाम चिरस्मरणीय है। उनका जन्म जोधपुरके एक प्रतिष्ठित ब्राह्मणकुलमें हुआ था। उनका पहला नाम सुरेशचन्द्र था। उनकी अभिरुचि विशेषतया भक्ति और वैराग्यमें थी। घरवालोंने उनको विवाह बन्धनमें फँसाकर घरमें ही रखना चाहा, पर वे इस प्रयत्नमें सर्वथा विफल रहे। प्रेमगोपीजी नित्य नये पदकी रचना करके भगवान् श्रीकृष्णके चरणोंमें समर्पित किया करते थे। केवल श्रीकृष्णलीलापर ही उन्होंने तेरह सौ पदोंकी रचना की थी। उनके जीवनका अधिकांश समय सखीवेषमें ही बीता। उनके पदोंमें निर्गुण तथा सगुण उपासनाका अत्यन्त मधुर सम्मिश्रण हुआ है। संयोग और वियोग दोनों तरहके भावोंका समीचीन समन्वय पाया जाता है। उन्होंने अभी हाल में ही शरीर त्याग किया है। जोधपुर,
बड़ौदा आदि स्थानोंमें उनके बहुत-से अनुयायी हैं।



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[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [rasikabhakt premagopeejee]- Bhaktmaal


rasikabhakt premagopeejeekee upaasana gopeebhaavakee thee, ve uchch kotike rasik the. raajasthaanake bhaktikshetramen unaka naam chirasmaraneey hai. unaka janm jodhapurake ek pratishthit braahmanakulamen hua thaa. unaka pahala naam sureshachandr thaa. unakee abhiruchi visheshataya bhakti aur vairaagyamen thee. gharavaalonne unako vivaah bandhanamen phansaakar gharamen hee rakhana chaaha, par ve is prayatnamen sarvatha viphal rahe. premagopeejee nity naye padakee rachana karake bhagavaan shreekrishnake charanonmen samarpit kiya karate the. keval shreekrishnaleelaapar hee unhonne terah sau padonkee rachana kee thee. unake jeevanaka adhikaansh samay sakheeveshamen hee beetaa. unake padonmen nirgun tatha sagun upaasanaaka atyant madhur sammishran hua hai. sanyog aur viyog donon tarahake bhaavonka sameecheen samanvay paaya jaata hai. unhonne abhee haal men hee shareer tyaag kiya hai. jodhapur,
baड़auda aadi sthaanonmen unake bahuta-se anuyaayee hain.

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