⮪ All भक्त चरित्र

महात्मा प्रयागदासजी की मार्मिक कथा
महात्मा प्रयागदासजी की अधबुत कहानी - Full Story of महात्मा प्रयागदासजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [महात्मा प्रयागदासजी]- भक्तमाल


महात्मा प्रयागदास परम भगवद्भक्त और विलक्षण संत थे। उन्होंने उत्तरप्रदेशके बस्ती जनपदको अपने तपस्यापूर्ण जीवनसे धन्य और गौरवान्वित किया था। दस - ग्यारह साल पहलेकी बात है, सवा सौ सालकी अवस्थामें उन्होंने भगवती सरयूके तटस्थ कुदरहा नामक ग्राममें समाधि ली।

यह निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने किस प्रान्तमें जन्म लिया था; पर ऐसी मान्यता है कि वे पश्चिमी प्रान्तके एक राजाके पुत्र थे। बचपनमें ही पूर्वजन्मके शुभ संस्कारोंके फलस्वरूप उन्होंने संन्यास ग्रहण किया और भगवती सरयू और कूपवाहिनी (कुआनों) के तटवर्ती भूमिभागों में विचरण करके भगवान् रामकी सुमधुर भक्तिका प्रचार करने लगे।

वे शीतकालमें अपने आस-पासके ग्रामों औरनगरोंका परिभ्रमण किया करते थे। उनके साथ संतोंकी एक बड़ी मण्डली रहती थी। जिस गृहस्थका वे निमन्त्रण स्वीकार कर लेते थे, वह अपना परम सौभाग्य समझता था। वे कहीं भी एक रातसे अधिक नहीं रहते थे। भ्रमणकालमें वे सन्ध्या होते-होते किसी गृहस्थ भक्तके घर पहुँच जाते थे। रातमें उसकी सुविधाके अनुसार संतमण्डलीके लिये सूक्ष्म आहार और दुग्धपान आदिकी व्यवस्था हो जाती थी। दूसरे दिन दोपहरको भण्डारा होता था। कुछ देर विश्राम करनेके बाद वे दूसरे स्थानके लिये प्रस्थान कर देते थे। प्रस्थान करते समय उनकी शोभा यात्रामें एक विशेष दिव्यता और सात्त्विकताका दर्शन होता था; ऐसा लगता था कि भगवद्भक्ति ही साकार हो उठी है। घण्टा, घड़ियाल और शङ्खनादकी मनोरमता जड-जङ्गममें दिव्य शक्तिकी प्राणप्रतिष्ठा कर देती थी।वे भगवान् के अनन्य भक्त तो थे ही, साथ ही सिद्ध योगी भी थे। उनकी योगसाधनाकी ख्याति दूर-दूरतक फैली हुई थी। कभी-कभी शिष्यों तथा भक्तोंद्वारा बोलनेके लिये विवश किये जानेपर वे भगवान्की अनन्य भक्तिपर ही विशेष जोर देते थे। दुग्धफेनकी धवलिमासे होड़ लेनेवाली श्वेत दाढ़ी, भूरे रंगके स्वर्णिम जटाजूट, लंबे कद और गौर वर्णसे विभूषित उनकी रमणीय आकृति योगकी साकार प्रतिमा थी ।

उन्होंने आजीवन तप, सत्य और भगवद्भक्तिकी ही महिमाका बखान किया। धरतीपर भगवान्‌की महती और पुण्यमयी कृपाका उदय होनेपर ही इस तरहके विरक्तसंत और भगवद्भक्त मानवोंका ही नहीं, जगत्मात्रका कल्याण करनेके लिये उतरते हैं। महात्मा प्रयागदास बड़े लोकप्रिय महात्मा थे। झोपड़ीसे लेकर राजमहलोंतकके रहनेवालोंपर उनकी कृपा रहती थी। महसोनरेश श्रीनरेन्द्रबहादुरपाल और उनके पुत्र राजा विजयप्रतापनारायण तथा उनके राजपरिवार और समस्त आस-पासकी जनताके वे आदरास्पद थे। अपनी तपोभूमिमें उन्होंने भगवद्भक्तिकी सरस्वती बहायी, सत्य और योगकी गङ्गा उतारी, प्रेमकी कालिन्दी प्रवाहित की। उनकी समाधिस्थलीमें आज भी अनेक संत निवासकर भक्ति-प्रचार- -परम्पराकी रक्षा कर रहे हैं।



You may also like these:

Bhakt Charitra डाकू भगत


mahaatma prayaagadaasajee ki marmik katha
mahaatma prayaagadaasajee ki adhbut kahani - Full Story of mahaatma prayaagadaasajee (hindi)

[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [mahaatma prayaagadaasajee]- Bhaktmaal


mahaatma prayaagadaas param bhagavadbhakt aur vilakshan sant the. unhonne uttarapradeshake bastee janapadako apane tapasyaapoorn jeevanase dhany aur gauravaanvit kiya thaa. das - gyaarah saal pahalekee baat hai, sava sau saalakee avasthaamen unhonne bhagavatee sarayooke tatasth kudaraha naamak graamamen samaadhi lee.

yah nishchayapoorvak naheen kaha ja sakata ki unhonne kis praantamen janm liya thaa; par aisee maanyata hai ki ve pashchimee praantake ek raajaake putr the. bachapanamen hee poorvajanmake shubh sanskaaronke phalasvaroop unhonne sannyaas grahan kiya aur bhagavatee sarayoo aur koopavaahinee (kuaanon) ke tatavartee bhoomibhaagon men vicharan karake bhagavaan raamakee sumadhur bhaktika prachaar karane lage.

ve sheetakaalamen apane aasa-paasake graamon auranagaronka paribhraman kiya karate the. unake saath santonkee ek bada़ee mandalee rahatee thee. jis grihasthaka ve nimantran sveekaar kar lete the, vah apana param saubhaagy samajhata thaa. ve kaheen bhee ek raatase adhik naheen rahate the. bhramanakaalamen ve sandhya hote-hote kisee grihasth bhaktake ghar pahunch jaate the. raatamen usakee suvidhaake anusaar santamandaleeke liye sookshm aahaar aur dugdhapaan aadikee vyavastha ho jaatee thee. doosare din dopaharako bhandaara hota thaa. kuchh der vishraam karaneke baad ve doosare sthaanake liye prasthaan kar dete the. prasthaan karate samay unakee shobha yaatraamen ek vishesh divyata aur saattvikataaka darshan hota thaa; aisa lagata tha ki bhagavadbhakti hee saakaar ho uthee hai. ghanta, ghada़iyaal aur shankhanaadakee manoramata jada-jangamamen divy shaktikee praanapratishtha kar detee thee.ve bhagavaan ke anany bhakt to the hee, saath hee siddh yogee bhee the. unakee yogasaadhanaakee khyaati doora-dooratak phailee huee thee. kabhee-kabhee shishyon tatha bhaktondvaara bolaneke liye vivash kiye jaanepar ve bhagavaankee anany bhaktipar hee vishesh jor dete the. dugdhaphenakee dhavalimaase hoda़ lenevaalee shvet daadha़ee, bhoore rangake svarnim jataajoot, lanbe kad aur gaur varnase vibhooshit unakee ramaneey aakriti yogakee saakaar pratima thee .

unhonne aajeevan tap, saty aur bhagavadbhaktikee hee mahimaaka bakhaan kiyaa. dharateepar bhagavaan‌kee mahatee aur punyamayee kripaaka uday honepar hee is tarahake viraktasant aur bhagavadbhakt maanavonka hee naheen, jagatmaatraka kalyaan karaneke liye utarate hain. mahaatma prayaagadaas bada़e lokapriy mahaatma the. jhopada़eese lekar raajamahalontakake rahanevaalonpar unakee kripa rahatee thee. mahasonaresh shreenarendrabahaadurapaal aur unake putr raaja vijayaprataapanaaraayan tatha unake raajaparivaar aur samast aasa-paasakee janataake ve aadaraaspad the. apanee tapobhoomimen unhonne bhagavadbhaktikee sarasvatee bahaayee, saty aur yogakee ganga utaaree, premakee kaalindee pravaahit kee. unakee samaadhisthaleemen aaj bhee anek sant nivaasakar bhakti-prachaara- -paramparaakee raksha kar rahe hain.

898 Views

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
READ NOW FREE
9 Must Have Qualities Of A Good Vaishnav Devotee15 Obstacles That Can Easily Derail Us From Our Path Of Bhakti14 Tips To Overcome Tough Times Through Devotional Love For God8 Yardsticks To Evaluate If My Bhakti Is Increasing?



Bhajan Lyrics View All

बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली

New Bhajan Lyrics View All

मेरी अर्ज़ी लगी होगी चरणों में रखी
श्री श्याम प्रभु तुमने थोड़ी तो पढ़ी
बरसों का हुआ इंतजार खत्म,
आयी ख़ुशी की बहारे,
शुभ अवसर घर आयो,
आओजी मेरे गणपति देव,
तेरा पल पल बीता जाए मुख से जप ले नमः
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय...
कागा बोलया बनेरे उत्ते बैके,
गुरा ने तैनु याद करया,