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भक्त रोमहर्षणजी की मार्मिक कथा
भक्त रोमहर्षणजी की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त रोमहर्षणजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त रोमहर्षणजी]- भक्तमाल


आलोड्य सर्वशास्त्राणि विचार्य च पुनः पुनः ।
इदमेकं सुनिष्पन्नं ध्येयो नारायणः सदा ॥

'सब शास्त्रोंका मन्थन करके तथा पुनः पुनः विचार करके यही निष्कर्ष निकाला है कि भगवान् नारायण ही सदा ध्यान करने योग्य हैं।'

श्री रोमहर्षणजी सूत जातिके थे। ये भगवान् वेदव्यासजीके परम प्रिय शिष्य थे। भगवान् व्यासने इन्हें समस्त पुराणोंको पढ़ाया और आशीर्वाद दिया कि 'तुम समस्त पुराणोंके वक्ता होओगे।' इसीलिये ये समस्त पुराणोंके वक्ता माने जाते हैं। ये सदा ऋषियोंके आश्रमोंमें घूमते रहते थे और सबको पुराणोंकी कथा सुनाया करते थे। नैमिषारण्यमें अठासी हजार ऋषि निवास करते थे। सूतजी उनके यहाँ सदा कथा कहा करते थे यद्यपि ये सूत जातिके थे, फिर भी पुराणोंके वक्ता होनेके कारण समस्त ऋषि इनका आदर करते थे और उच्चासनपर बिठाकर इनकी पूजा करते थे। इनकी कथा इतनी अद्भुत होती थी कि आसपासके ऋषिगण जब सुन लेते थे कि अमुक जगह सूतजी आये हैं, तब सभी दौड़-दौड़कर इनके पास आ जाते और विचित्र कथाएँ सुननेके लिये इन्हें घेरकर चारों ओर बैठ जाते। पहले तो ये सब ऋषियोंकी पूजा करते, उनका कुशल प्रश्न पूछते और कहते—'ऋषियो! आप कौन-सी कथा मुझसे सुनना चाहते हैं?' इनके प्रश्नको सुनकर शौनक या कोई वृद्ध ऋषि किसी तरहका प्रश्न कर देते और कह देते - 'रोमहर्षणसूतजी! यदि हमारा यह प्रश्न पौराणिक हो और पुराणोंमें गाया हो, तो इसका उत्तर दीजिये।'

ऐसी कौन-सी बात है, जो पुराणोंमें न हो। पहले तो सूत उनके प्रश्नका अभिनन्दन करते और फिर कहते- 'आपका यह प्रश्न पौराणिक ही है। इसके सम्बन्धमें मैंने अपने गुरु भगवान् व्याससे जो कुछ सुना है, उसे आपके सामने कहता हूँ, सावधान होकर सुनिये।' इतना कहकर सूतजी कथाका आरम्भ करते और यथावत् समस्त प्रश्नोंका उत्तर देते हुए कथाएँ सुनाते । इस प्रकार ये सदा भगवल्लीलाकीर्तनमें लगे रहते थे। | इनसे बढ़कर भगवान्‌का कीर्तनकार कौन होगा। इनकी मृत्यु भगवान् बलदेवजीके द्वारा हुई। नैमिषारण्यमें तीर्थयात्रा करते हुए बलदेवजी पहुँचे। ये उस समय व्यासासनपर बैठे थे। उन्हें देखकर उठे नहीं। इसपर बलरामजीको क्रोध आ गया और उन्होंने इनका सिर काट लिया। ऋषियोंने बलरामजीसे कहा- 'यह आपने अच्छा नहीं किया, हमने इन्हें दीर्घ आयु देकर इस उच्चासनपर बिठाया था। आपको ब्रह्महत्याका पाप लगा है, आप प्रायश्चित्त करें।' ऋषियोंकी आज्ञा बलदेवजीने शिरोधार्य की और उन्होंने जैसा प्रायश्चित्त बताया था, वैसा किया। उस समयसे इनके पुत्र उग्रश्रवाको वह गद्दी दी गयी और तबसे रोमहर्षणकी जगह उग्रश्रवा पुराणोंके वक्ता हुए। 'आत्मा वै जायते पुत्रः' के नाते उग्रश्रवामें अपने पिताके समस्त गुण मौजूद थे।



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aalody sarvashaastraani vichaary ch punah punah .
idamekan sunishpannan dhyeyo naaraayanah sada ..

'sab shaastronka manthan karake tatha punah punah vichaar karake yahee nishkarsh nikaala hai ki bhagavaan naaraayan hee sada dhyaan karane yogy hain.'

shree romaharshanajee soot jaatike the. ye bhagavaan vedavyaasajeeke param priy shishy the. bhagavaan vyaasane inhen samast puraanonko padha़aaya aur aasheervaad diya ki 'tum samast puraanonke vakta hooge.' iseeliye ye samast puraanonke vakta maane jaate hain. ye sada rishiyonke aashramonmen ghoomate rahate the aur sabako puraanonkee katha sunaaya karate the. naimishaaranyamen athaasee hajaar rishi nivaas karate the. sootajee unake yahaan sada katha kaha karate the yadyapi ye soot jaatike the, phir bhee puraanonke vakta honeke kaaran samast rishi inaka aadar karate the aur uchchaasanapar bithaakar inakee pooja karate the. inakee katha itanee adbhut hotee thee ki aasapaasake rishigan jab sun lete the ki amuk jagah sootajee aaye hain, tab sabhee dauda़-dauda़kar inake paas a jaate aur vichitr kathaaen sunaneke liye inhen gherakar chaaron or baith jaate. pahale to ye sab rishiyonkee pooja karate, unaka kushal prashn poochhate aur kahate—'rishiyo! aap kauna-see katha mujhase sunana chaahate hain?' inake prashnako sunakar shaunak ya koee vriddh rishi kisee tarahaka prashn kar dete aur kah dete - 'romaharshanasootajee! yadi hamaara yah prashn pauraanik ho aur puraanonmen gaaya ho, to isaka uttar deejiye.'

aisee kauna-see baat hai, jo puraanonmen n ho. pahale to soot unake prashnaka abhinandan karate aur phir kahate- 'aapaka yah prashn pauraanik hee hai. isake sambandhamen mainne apane guru bhagavaan vyaasase jo kuchh suna hai, use aapake saamane kahata hoon, saavadhaan hokar suniye.' itana kahakar sootajee kathaaka aarambh karate aur yathaavat samast prashnonka uttar dete hue kathaaen sunaate . is prakaar ye sada bhagavalleelaakeertanamen lage rahate the. | inase badha़kar bhagavaan‌ka keertanakaar kaun hogaa. inakee mrityu bhagavaan baladevajeeke dvaara huee. naimishaaranyamen teerthayaatra karate hue baladevajee pahunche. ye us samay vyaasaasanapar baithe the. unhen dekhakar uthe naheen. isapar balaraamajeeko krodh a gaya aur unhonne inaka sir kaat liyaa. rishiyonne balaraamajeese kahaa- 'yah aapane achchha naheen kiya, hamane inhen deergh aayu dekar is uchchaasanapar bithaaya thaa. aapako brahmahatyaaka paap laga hai, aap praayashchitt karen.' rishiyonkee aajna baladevajeene shirodhaary kee aur unhonne jaisa praayashchitt bataaya tha, vaisa kiyaa. us samayase inake putr ugrashravaako vah gaddee dee gayee aur tabase romaharshanakee jagah ugrashrava puraanonke vakta hue. 'aatma vai jaayate putrah' ke naate ugrashravaamen apane pitaake samast gun maujood the.

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