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बाबा श्रीरघुवीरदासजी की मार्मिक कथा
बाबा श्रीरघुवीरदासजी की अधबुत कहानी - Full Story of बाबा श्रीरघुवीरदासजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [बाबा श्रीरघुवीरदासजी]- भक्तमाल


परम विरक्त भगवद्भक्त बाबा रघुवीरदासजीका जन्म बाँदा जनपदके दिवघर ग्राममें कान्यकुब्ज ब्राह्मणपरिवारमें पण्डित शिववक्सजीके घर संवत् 1939 वि0की भाद्र शुक्ल पञ्चमीको हुआ था। उनकी बाल्यावस्थासे ही भगवान् श्रीरामचन्द्रके चरणोंमें भक्ति थी। वे प्रायः चार-पाँच सौ संतोंकी मण्डली लेकर अपने आस-पासके प्रमुख नगरों और दिहातोंमें सीताराम नामकी सरस ध्वनिमें समस्त वातावरणको सराबोर करके वैष्णव और भक्त-परिवारोंको कृतार्थ कर भ्रमण किया करते थे। लोग एक ही साथ एक बहुत बड़ी संतमण्डलीको देखकर, सत्सङ्ग लाभकर, कीर्तन, भजन और समारोहोंमें सम्मिलित होकर अपने सौभाग्यकी सराहना किया करते थे। बाबा रघुवीरदासजी रामानन्दी महात्मा थे। वे भजन और कीर्तनमें अद्भुत अनुराग रखते थे। उन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रतका पालनकिया, वे जन्मजात संन्यासी थे। उनके मुखमण्डलपर सदैव एक दिव्य प्रकाश चमकता रहता था। लंबी जटाएँ, काली दाढ़ी और श्वेत उत्तरीयकी शोभा सागरमें उनके गौर वर्णकी कान्ति परम अद्भुत और रमणीय थी। जो उनको देखता था, वह उनके चरणों में विनत होकर आत्मसमर्पण कर देता था। उन्होंने बड़ी तत्परतासे सनातन-धर्म और वर्णाश्रम मर्यादाकी रक्षा की।

वे रामायणकी कथामें बड़ी अनुरक्ति और आदर बुद्धि रखते थे। वे भगवान् श्रीरामके कट्टर भक्त थे। उन्होंने स्वधर्मरक्षापर अपने जीवन कालमें विशेष ध्यान दिया।

उन्होंने कानपुर में पतितपावनी भगवती भागीरथीके तटपर 5 फरवरी सन् 1939 ई0 को शरीर त्याग | कर दिया।



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[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [baaba shreeraghuveeradaasajee]- Bhaktmaal


param virakt bhagavadbhakt baaba raghuveeradaasajeeka janm baanda janapadake divaghar graamamen kaanyakubj braahmanaparivaaramen pandit shivavaksajeeke ghar sanvat 1939 vi0kee bhaadr shukl panchameeko hua thaa. unakee baalyaavasthaase hee bhagavaan shreeraamachandrake charanonmen bhakti thee. ve praayah chaara-paanch sau santonkee mandalee lekar apane aasa-paasake pramukh nagaron aur dihaatonmen seetaaraam naamakee saras dhvanimen samast vaataavaranako saraabor karake vaishnav aur bhakta-parivaaronko kritaarth kar bhraman kiya karate the. log ek hee saath ek bahut bada़ee santamandaleeko dekhakar, satsang laabhakar, keertan, bhajan aur samaarohonmen sammilit hokar apane saubhaagyakee saraahana kiya karate the. baaba raghuveeradaasajee raamaanandee mahaatma the. ve bhajan aur keertanamen adbhut anuraag rakhate the. unhonne aajeevan brahmachary vrataka paalanakiya, ve janmajaat sannyaasee the. unake mukhamandalapar sadaiv ek divy prakaash chamakata rahata thaa. lanbee jataaen, kaalee daadha़ee aur shvet uttareeyakee shobha saagaramen unake gaur varnakee kaanti param adbhut aur ramaneey thee. jo unako dekhata tha, vah unake charanon men vinat hokar aatmasamarpan kar deta thaa. unhonne bada़ee tatparataase sanaatana-dharm aur varnaashram maryaadaakee raksha kee.

ve raamaayanakee kathaamen bada़ee anurakti aur aadar buddhi rakhate the. ve bhagavaan shreeraamake kattar bhakt the. unhonne svadharmarakshaapar apane jeevan kaalamen vishesh dhyaan diyaa.

unhonne kaanapur men patitapaavanee bhagavatee bhaageeratheeke tatapar 5 pharavaree san 1939 ee0 ko shareer tyaag | kar diyaa.

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