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भ्रातृप्रेम  [प्रेरक कहानी]
Spiritual Story - हिन्दी कथा (शिक्षदायक कहानी)

रूसो उस समय बालक था। रविवार के दिन पाठशालाकी छुट्टीमें उसे अपने चाचाके यहाँ गये बिना चैन नहीं पड़ती थी। उसके चाचाका एक कारखाना था। रूसो एक रविवारको अपने चचेरे भाई फेजीके साथ चाचा के कारखानेमें घूम रहा था। अचानक उसने एक मशीन के पहियेपर हाथ रख दिया। उस समय फेजीका इधर ध्यान नहीं था। उसने उसी मशीनका पहिया घुमा दिया। फल यह हुआ कि रूसोकी अँगुलियाँ पिस गयीं, नाखून

फट गये, रक्तका फव्वारा छूट पड़ा। वह चीख उठा। फेजी चौका। उसने झटपट पहियेको उलटा घुमाया। रूसोकी अँगुलियाँ निकली मशीनसे डरा और घबराया फेजी दौड़कर रूसोके पास आया और अत्यन्त कातरतापूर्वक बोला 'भैया चिल्लाओ मत। मेरे पिता सुन लेंगे तो मुझे बहुत पीटेंगे जो होना था, वह तो हो ही गया।'

रूसो बालक था। उसकी पीड़ा असहा थी; किंतुउसने बलपूर्वक मुख बंद कर लिया। फेजीके कंधेपर उसने मस्तक रख दिया। केवल उसके नेत्रोंसे आँसूकी धारा चलती रही। दोनों बालक वहाँसे पानीके पास गये। बहुत देर धोनेपर रूसोकी अँगुलियोंसे रक्त जाना बंद हुआ। एक कपड़ा फाड़कर फेजीने अँगुलियोंपर मिट्टीकी पट्टी बाँध दी।

'भैया! तुम्हारे घरके लोग क्या कहेंगे?' फेजी

अभीतक अत्यन्त चिन्तित था। 'तुम कोई चिन्ता मत करो।' रूसोने उसे आश्वासन दिया।

'तुम्हारे हाथको क्या हुआ है ?' स्वाभाविक था कि घरके लोग और दूसरे लोग भी हाथमें पट्टी बँधी देखकर रूसोसे पूछते ।

'मेरी भूलसे चोट लग गयी, हाथ कुचल गया।' रूसोने सबको गोलमोल उत्तर दिया। पूरे चालीस वर्षतक किसीको इस घटनाका नहीं लगा। -सु0 सिं0



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bhraatriprema

rooso us samay baalak thaa. ravivaar ke din paathashaalaakee chhutteemen use apane chaachaake yahaan gaye bina chain naheen pada़tee thee. usake chaachaaka ek kaarakhaana thaa. rooso ek ravivaarako apane chachere bhaaee phejeeke saath chaacha ke kaarakhaanemen ghoom raha thaa. achaanak usane ek masheen ke pahiyepar haath rakh diyaa. us samay phejeeka idhar dhyaan naheen thaa. usane usee masheenaka pahiya ghuma diyaa. phal yah hua ki roosokee anguliyaan pis gayeen, naakhoona

phat gaye, raktaka phavvaara chhoot pada़aa. vah cheekh uthaa. phejee chaukaa. usane jhatapat pahiyeko ulata ghumaayaa. roosokee anguliyaan nikalee masheenase dara aur ghabaraaya phejee dauda़kar roosoke paas aaya aur atyant kaatarataapoorvak bola 'bhaiya chillaao mata. mere pita sun lenge to mujhe bahut peetenge jo hona tha, vah to ho hee gayaa.'

rooso baalak thaa. usakee peeda़a asaha thee; kintuusane balapoorvak mukh band kar liyaa. phejeeke kandhepar usane mastak rakh diyaa. keval usake netronse aansookee dhaara chalatee rahee. donon baalak vahaanse paaneeke paas gaye. bahut der dhonepar roosokee anguliyonse rakt jaana band huaa. ek kapada़a phaada़kar phejeene anguliyonpar mitteekee pattee baandh dee.

'bhaiyaa! tumhaare gharake log kya kahenge?' phejee

abheetak atyant chintit thaa. 'tum koee chinta mat karo.' roosone use aashvaasan diyaa.

'tumhaare haathako kya hua hai ?' svaabhaavik tha ki gharake log aur doosare log bhee haathamen pattee bandhee dekhakar roosose poochhate .

'meree bhoolase chot lag gayee, haath kuchal gayaa.' roosone sabako golamol uttar diyaa. poore chaalees varshatak kiseeko is ghatanaaka naheen lagaa. -su0 sin0

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