सोनजुही की बनी पगिया औ चमेली को गुच्छ रह्यो झुक न्यारो

सोनजुही की बनी पगिया औ चमेली को गुच्छ रह्यो झुक न्यारो ।
द्वै दल फूल कदम्ब के कुण्डल, सेवती जामा है घूम घुमारो ॥
नब तुलसी पटका ‘घनश्याम’ गुलाब इजार नवेली को नारो ।
फूलन आज विचित्र बन्यो, देखो कैसो शृन्गारो है प्यारी नो प्यारो ॥