सारी सँवारी है सोन जुही की, चमेली की तापे लगाई किनारी

सारी सँवारी है सोन जुही की, चमेली की तापे लगाई किनारी ।
पंकज के दल को लहंगा, अँगिया गुलबाँस की शोभित न्यारी ॥
बेला को हार गुलाब की दाउदी, चम्पा की बेंदी है भाल सँवारी ।
आज विचित्र बनी छवि देख री, कैसी शृन्गारी है प्यारे ने प्यारी ॥