वसुधा के सुधा जग की सुखमा, मुनि मानस मंजु राधिका के

वसुधा के सुधा जग की सुखमा, मुनि मानस मंजु राधिका के ।
सुख कन्द सदाँ दुख द्वन्द दरें, सुर सिद्धन सिद्धि समाधिका के ॥
छवि छैल ‘छबीले’ रँगीले लसै, ब्रजवासिन कारज साधिका के ।
नन्दनन्दन वन्दत आनन्दसों, पद पंकज वन्दत राधिका के ॥