जामा बन्यो जरीतार को सुन्दर, लाल हैं बन्द और जर्द किनारी

जामा बन्यो जरीतार को सुन्दर, लाल हैं बन्द और जर्द किनारी ।
झालरदार बन्यो पटुका, मोतिन की छबि लागत प्यारी ॥
जैसी ये चाल चलैं ब्रजराज, अहो बलिहारी है मौज तिहारी ।
देखत नैनन ताकि रही झुकि, झाँकी झरोखन बाँके बिहारी ॥