प्राप्त वस्तु का सदुपयोग

तुम्हारे पास जो कुछ है, सब भगवान्‌ का है ओर भगवान्‌ की सेवा के लिये ही है । उसे अपना मानकर उसका केवल अपने भोग में उपयोग करना बेईमानी है। इस बेईमानी से बचों और समस्त प्राप्त साधनों को भगवान्‌ की सेवा में लगाओ।