अंग ही अंग जड़ाऊ जड़े, अरु सीस बनी पगिया जरतारी

अंग ही अंग जड़ाऊ जड़े, अरु सीस बनी पगिया जरतारी ।
मोतिन माल हिये लटकै, लटुबा लटकै लट घूँघर वारी ॥
पूरब पुन्य तें ‘रसखानि’ ये माधुरी मूरति आय निहारी ।
चारो दिशा की महा अघनाशक, झाँकी झरोखन बाँके बिहारी ॥