कैसा व्यक्ति कभी दूसरों से जलन नहीं करता?

जो व्यक्ति अपने जीवन से संतुष्ट है, उसे जो भी मिला है वह उसमें भगवान की कृपा का अनुभव करता है ऐसे व्यक्ति को कभी भी दूसरों से द्वेष या जलन नहीं होती। और सच्ची संतुष्टि तो भगवान और उनके मंगलमय विधान पर पूर्ण विश्वास रखने से ही मिलती है। “मुझे क्या मिला ? मुझे क्या मिलेगा? मुझे क्या सुख और सुविधाएं आने वाले समय में प्राप्त होंगी?”, ऐसे सभी प्रश्नों को भगवान की कृपा की भरोसे छोड़कर यथा उचित अपना जो कर्तव्य बनता है उसका पालन करने से सरलता पूर्वक संतुष्ट जीवन जिया जा सकता है।

यदि हम अपने जीवन से संतुष्ट होंगे तो हम दूसरे को देख कर अपने जीवन से उसकी तुलना नहीं करेंगे। ना तो हम दूसरों जैसा बनना चाहेंगे न ही उनके पास जो वस्तुएं हैं उन्हें देखकर ललचायेंगे। किस प्रकार हम इस “जलन” में जलने से बच जाएंगे।