भगवान को सब समर्पित कैसे करें?….सोचो कब तक हम बोझा ढोते रहेंगे?

जो भी तुम्हारे को अपना लगता है वह प्रभु को समर्पित कर दो।

कहो….मालिक अभी तक झूठे अभिमान के कारण मैं इन्हें अपना मानता रहा मेरे से गलती हो गई आपकी वस्तु को मैंने अपना मान लिया। मैं अपनी गलती मिटा रहा हूं आप की वस्तु आपको दे रहा हूं । आपके द्वारा दी हुई वस्तु इमानदारी से आपको समर्पित कर रहा हूं। जो मैंने बेईमानी बीच में कर ली कि मेरा शरीर, मेरी बुद्धि, मेरा धन, मेरा परिवार… उसे आपकी कृपा से मिटा कर मैं आपको समर्पित करता हूं । प्रभु भटक गया था मैं …. कि मैं मालिक हूं, मालिक नहीं प्रभु मैं आपका सेवक हूं।

अब जैसे कोई प्रबंधक रहता है ऐसे मुझे रहना है…. बस।

जो कुछ है सब आपकी सेवा की सामग्री है। मैं आपका सेवक हूं, प्रबंधक हूं। जैसे सेवक मुनीम इमानदारी से सेवा करता है मालिक की आज्ञा के अनुसार चलाना है।

संत कहते हैं, सच मानो, अभी परमानंद की प्राप्ति हो जाएगी । उनकी कृपा से मन की चंचलता मिट जायेगी। भक्ति का वो रस मिलने लगेगा, भीतर से तुम जान लोगे।

एक बार हमारी प्रार्थना मानो, कर के तो देखो, कब तक बोझा ढोते रहोगे।