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श्रीबुद्धू भक्त की मार्मिक कथा
श्रीबुद्धू भक्त की अधबुत कहानी - Full Story of श्रीबुद्धू भक्त (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [श्रीबुद्धू भक्त]- भक्तमाल


पचास साल पहलेकी बात है, परम पवित्र भगवती कूपवाहिनी (कुआनो) के तटपर उत्तर प्रदेशके बस्ती जनपदके महाश्रम (महसों) ग्राममें एक अत्यन्त पवित्र वैश्यकुलमें दो भाइयोंने जन्म लिया, जिनकी शुभ कीर्तिकी पताका आज भी फहराकर भक्ति महारानीकी विजय-जयन्ती मना रही है। उनका नाम बुद्ध और लुद्ध था। दोनों भाई परम भगवद्भक्त और गृहस्थवेषमें भीमहान् संत थे, दोनोंने आजीवन कठोर ब्रह्मचर्यव्रतका पालन किया। दोनों दूर-दूरतक 'भगतजी 'के नामसे प्रसिद्ध थे। बुद्ध भक्त बड़े थे।

बचपनसे ही उनका मन भगवान्‌के चरणारविन्दमें आसक्त था। उनका जीवन सादगी, कोमलता, मृदुता और विनम्रताका प्रतीक था। बुद्ध भक्तका भ्रातृप्रेम अत्यन्त सराहनीय था। वे लुद्धको बहुत मानते थे, परिवारमेंउनकी क्षमाशीलताके प्रभावसे कभी कलह या झगड़ेका उदय नहीं हुआ। बुद्ध भक्त बड़े संयमी और व्रती थे। वे नित्य प्रातःकाल नित्यकर्मसे निवृत्त होकर भजनमें। लगते थे। परम शिवभक्त और श्रीकृष्णचरणानुरागी श्रीलालविहारीजी कायस्थके शिवमन्दिरमें बैठकर नित्य । नियमपूर्वक तीन घंटेतक रामचरितमानस, शुकसागर तथा अन्य भक्तिग्रन्थोंका पाठ करते थे। वे राम और कृष्णमें कुछ भी भेद नहीं मानते थे। दोनोंकी उपासना समान भावसे करते थे । पाठ तथा भजन आदि समाप्त करनेपर दूकान कार्यमें लग जाते थे। मिठाई बनाकर बेचा करते थे। दूकानपर बैठे-बैठे सदा साधु-संतोंकी राह निहारा करते थे। सौभाग्यसे उन्हें नित्य ही सत्पुरुषोंका सत्सङ्ग मिल जाया करता था और वे उनके साथ भगवच्चर्चा किया करते थे। उन्होंने भारतवर्षके समस्त पवित्र तीर्थोंकी यात्रा की थी, अयोध्या तो सालमें कई बार जाया करते थे। घरपर रामनवमी और जन्माष्टमीकाउत्सव धूम-धाम से मनाया करते थे।

संतसेवामें उनका मन बहुत लगता था। एक बार गाँव में एक अवधूत आये। परमहंसजीको गाँववालोंने पागल समझा। भक्त बुद्ध शिवमन्दिरमें पाठ कर रहे थे, उठते ही समाचार विदित होनेपर वे महात्माकी खोजमें चल पड़े। अवधूतजी गाँवमें ही थे, भक्त उनके चरणपर गिर पड़े; कहा कि 'गाँववाले आपको नहीं समझ सके, 'उनका अपराध क्षमा हो।' अवधूतजी हँसने लगे, भक्तके साथ उनके घर आये, बुद्धने प्रेमपूर्वक भोजन कराया, उनका अङ्ग अङ्ग रोमाञ्चित था। नयनोंमें सावनकी बरसात थी।

बुद्ध भक्त बड़े अध्यवसायी थे, स्वावलम्बी थे। उनके दर्शनसे ही लोगोंको महती शान्ति मिलती थी, पापी-से-पापी जीव भी उनके सामने आनेपर पुण्यात्मा हो जाता था। अभी बारह-तेरह साल पहले उन्होंने स्वर्गकी यात्रा की।



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pachaas saal pahalekee baat hai, param pavitr bhagavatee koopavaahinee (kuaano) ke tatapar uttar pradeshake bastee janapadake mahaashram (mahason) graamamen ek atyant pavitr vaishyakulamen do bhaaiyonne janm liya, jinakee shubh keertikee pataaka aaj bhee phaharaakar bhakti mahaaraaneekee vijaya-jayantee mana rahee hai. unaka naam buddh aur luddh thaa. donon bhaaee param bhagavadbhakt aur grihasthaveshamen bheemahaan sant the, dononne aajeevan kathor brahmacharyavrataka paalan kiyaa. donon doora-dooratak 'bhagatajee 'ke naamase prasiddh the. buddh bhakt bada़e the.

bachapanase hee unaka man bhagavaan‌ke charanaaravindamen aasakt thaa. unaka jeevan saadagee, komalata, mriduta aur vinamrataaka prateek thaa. buddh bhaktaka bhraatriprem atyant saraahaneey thaa. ve luddhako bahut maanate the, parivaaramenunakee kshamaasheelataake prabhaavase kabhee kalah ya jhagada़eka uday naheen huaa. buddh bhakt bada़e sanyamee aur vratee the. ve nity praatahkaal nityakarmase nivritt hokar bhajanamen. lagate the. param shivabhakt aur shreekrishnacharanaanuraagee shreelaalavihaareejee kaayasthake shivamandiramen baithakar nity . niyamapoorvak teen ghantetak raamacharitamaanas, shukasaagar tatha any bhaktigranthonka paath karate the. ve raam aur krishnamen kuchh bhee bhed naheen maanate the. dononkee upaasana samaan bhaavase karate the . paath tatha bhajan aadi samaapt karanepar dookaan kaaryamen lag jaate the. mithaaee banaakar becha karate the. dookaanapar baithe-baithe sada saadhu-santonkee raah nihaara karate the. saubhaagyase unhen nity hee satpurushonka satsang mil jaaya karata tha aur ve unake saath bhagavachcharcha kiya karate the. unhonne bhaaratavarshake samast pavitr teerthonkee yaatra kee thee, ayodhya to saalamen kaee baar jaaya karate the. gharapar raamanavamee aur janmaashtameekaautsav dhooma-dhaam se manaaya karate the.

santasevaamen unaka man bahut lagata thaa. ek baar gaanv men ek avadhoot aaye. paramahansajeeko gaanvavaalonne paagal samajhaa. bhakt buddh shivamandiramen paath kar rahe the, uthate hee samaachaar vidit honepar ve mahaatmaakee khojamen chal pada़e. avadhootajee gaanvamen hee the, bhakt unake charanapar gir pada़e; kaha ki 'gaanvavaale aapako naheen samajh sake, 'unaka aparaadh kshama ho.' avadhootajee hansane lage, bhaktake saath unake ghar aaye, buddhane premapoorvak bhojan karaaya, unaka ang ang romaanchit thaa. nayanonmen saavanakee barasaat thee.

buddh bhakt bada़e adhyavasaayee the, svaavalambee the. unake darshanase hee logonko mahatee shaanti milatee thee, paapee-se-paapee jeev bhee unake saamane aanepar punyaatma ho jaata thaa. abhee baaraha-terah saal pahale unhonne svargakee yaatra kee.

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