⮪ All भक्त चरित्र

महर्षि अत्रि की मार्मिक कथा
महर्षि अत्रि की अधबुत कहानी - Full Story of महर्षि अत्रि (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [महर्षि अत्रि]- भक्तमाल


नमामि भक्त वत्सलं । कृपालु शील कोमलं ॥
भजामि ते पदांबुजं। अकामिनां स्वधामदं ॥

(अत्रि) ये ब्रह्माके मानसपुत्र और प्रजापति हैं। ये दक्षिण दिशामें रहते हैं, इनकी पत्नी अनसूया भगवदवतार भगवान् कपिलकी भगिनी तथा कर्दम प्रजापतिकी पत्नी देवहूति गर्भसे पैदा हुई हैं। जैसे महर्षि अत्रि अपने नामके अनुसार त्रिगुणातीत परम भक्त थे, वैसे ही अनसूया भी असूयारहित भक्तिमती थीं। इन दम्पतीको जब ब्रह्माने आज्ञा की कि सृष्टि करो, तब इन्होंने सृष्टि करनेके पहले तपस्या करनेका विचार किया और बड़ी घोर तपस्या की। इनके तपका लक्ष्य सन्तानोत्पादन नहीं था, बल्कि इन्हीं आँखोंसे भगवान के दर्शन प्राप्त करना था। इनकी श्रद्धापूर्वक दीर्घकालकी निरन्तर साधना और प्रेमसे आकृष्ट होकर ब्रह्मा, विष्णु, महेश- तीनों ही देवता प्रत्यक्ष उपस्थित हुए। उस समय ये दोनों उनके चिन्तनमें इस प्रकार तल्लीन थे कि उनके आनेका पतातक न चला। जब उन्होंने ही इन्हें जगाया, तब ये उनके चरणोंपर गिर पड़े, किसी प्रकार सँभलकर उठे और गद्गद वाणीसे उनकी स्तुति करने लगे। इनके प्रेम, सत्य और निष्ठाको देखकर उन्हें बड़ी प्रसन्नता हुई और उन्होंने वरदान माँगनेको कहा। इन दम्पतीके मनमें अब संसारी सुखकी इच्छा तो थी ही नहीं, परंतु ब्रह्माकी आज्ञा थीसृष्टि करनेकी और वे इस समय सामने ही उपस्थित थे; तब इन्होंने और कोई दूसरा वरदान न माँगकर उन्हीं तीनोंको पुत्ररूपमें माँगा और भक्तिपरवश भगवान्ने इनकी प्रार्थना स्वीकार करके 'एवमस्तु' कह दिया। समयपर तीनोंने ही इनके पुत्ररूपसे अवतार ग्रहण किया। विष्णुके अंशसे 'दत्तात्रेय', ब्रह्माके अंशसे 'चन्द्रमा' और शङ्करके अंशसे 'दुर्वासा का जन्म हुआ।

जिनकी चरणधूलिके लिये बड़े-बड़े योगी और ज्ञानी तरसते रहते हैं, वे ही भगवान् अत्रिके आश्रम में बालक बनकर खेलने लगे और दोनों दम्पती उनके दर्शन और वात्सल्य स्नेहके द्वारा अपना जीवन सफल करने लगे। अनसूयाको तो अब कुछ दूसरी बात सूझती ही न थी। अपने तीनों बालकोंको खिलाने-पिलानेमें ही वे लगी रहतीं। इन्हींके पातिव्रत्य सतीत्व और भक्तिसे प्रसन्न होकर वनगमनके समय स्वयं भगवान् श्रीराघवेन्द्र श्रीसीताजी और लक्ष्मणजीके साथ इनके आश्रमपर पधारे और इन्हें जगज्जननी माँ सीताको उपदेश करनेका गौरव प्रदान किया। उस समय अत्रिजीने बड़े ही सुन्दर शब्दोंमें भगवान् श्रीरामचन्द्रकी स्तुति करते हुए अन्तमें एक हाथ जोड़कर प्रार्थना की-

बिनती करि मुनि नाइ सिरु, कह कर जोरि बहोरि

चरनसरोरुह नाथ जनि कबहुँ तर्ज मति मोरि ॥



You may also like these:



maharshi atri ki marmik katha
maharshi atri ki adhbut kahani - Full Story of maharshi atri (hindi)

[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [maharshi atri]- Bhaktmaal


namaami bhakt vatsalan . kripaalu sheel komalan ..
bhajaami te padaanbujan. akaaminaan svadhaamadan ..

(atri) ye brahmaake maanasaputr aur prajaapati hain. ye dakshin dishaamen rahate hain, inakee patnee anasooya bhagavadavataar bhagavaan kapilakee bhaginee tatha kardam prajaapatikee patnee devahooti garbhase paida huee hain. jaise maharshi atri apane naamake anusaar trigunaateet param bhakt the, vaise hee anasooya bhee asooyaarahit bhaktimatee theen. in dampateeko jab brahmaane aajna kee ki srishti karo, tab inhonne srishti karaneke pahale tapasya karaneka vichaar kiya aur bada़ee ghor tapasya kee. inake tapaka lakshy santaanotpaadan naheen tha, balki inheen aankhonse bhagavaan ke darshan praapt karana thaa. inakee shraddhaapoorvak deerghakaalakee nirantar saadhana aur premase aakrisht hokar brahma, vishnu, mahesha- teenon hee devata pratyaksh upasthit hue. us samay ye donon unake chintanamen is prakaar talleen the ki unake aaneka pataatak n chalaa. jab unhonne hee inhen jagaaya, tab ye unake charanonpar gir pada़e, kisee prakaar sanbhalakar uthe aur gadgad vaaneese unakee stuti karane lage. inake prem, saty aur nishthaako dekhakar unhen bada़ee prasannata huee aur unhonne varadaan maanganeko kahaa. in dampateeke manamen ab sansaaree sukhakee ichchha to thee hee naheen, parantu brahmaakee aajna theesrishti karanekee aur ve is samay saamane hee upasthit the; tab inhonne aur koee doosara varadaan n maangakar unheen teenonko putraroopamen maanga aur bhaktiparavash bhagavaanne inakee praarthana sveekaar karake 'evamastu' kah diyaa. samayapar teenonne hee inake putraroopase avataar grahan kiyaa. vishnuke anshase 'dattaatreya', brahmaake anshase 'chandramaa' aur shankarake anshase 'durvaasa ka janm huaa.

jinakee charanadhoolike liye bada़e-bada़e yogee aur jnaanee tarasate rahate hain, ve hee bhagavaan atrike aashram men baalak banakar khelane lage aur donon dampatee unake darshan aur vaatsaly snehake dvaara apana jeevan saphal karane lage. anasooyaako to ab kuchh doosaree baat soojhatee hee n thee. apane teenon baalakonko khilaane-pilaanemen hee ve lagee rahateen. inheenke paativraty sateetv aur bhaktise prasann hokar vanagamanake samay svayan bhagavaan shreeraaghavendr shreeseetaajee aur lakshmanajeeke saath inake aashramapar padhaare aur inhen jagajjananee maan seetaako upadesh karaneka gaurav pradaan kiyaa. us samay atrijeene bada़e hee sundar shabdonmen bhagavaan shreeraamachandrakee stuti karate hue antamen ek haath joda़kar praarthana kee-

binatee kari muni naai siru, kah kar jori bahori

charanasaroruh naath jani kabahun tarj mati mori ..

164 Views

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
READ NOW FREE
84 Beautiful Names Of Lord Shri Krishna (with Meaning) – Reading Them Fills The Heart With LoveKey Importance Of Bhav And Ras In Krishna Bhakti8 Yardsticks To Evaluate If My Bhakti Is Increasing?Why Should One Do Bhakti? 80 Facts About Bhakti [Must Read]



Bhajan Lyrics View All

श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
मेरी करुणामयी सरकार पता नहीं क्या दे
क्या दे दे भई, क्या दे दे
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
हम हाथ उठाकर कह देंगे हम हो गये राधा
राधा राधा राधा राधा
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
अरे बदलो ले लूँगी दारी के,
होरी का तोहे बड़ा चाव...
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे

New Bhajan Lyrics View All

मुकद्दर मेरा बन ही गया,
भोले के दर से सबकुछ मिला,
रोम रोम में रम रहा,
कण कण में तू बस रहा,
तू ही मेरी है मोहब्बत तू मेरी चाहत है,
तेरा कीर्तन तेरा भजन तू मेरी आदत है,
राम नाम सच,
बाकी झूठा रे,
विश्वप्रिया कमलेश्वरी, लक्ष्मी दया
तिमिर हरो अज्ञान का, ज्ञान का दो वरदान