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भक्त महेशदासजी की मार्मिक कथा
भक्त महेशदासजी की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त महेशदासजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त महेशदासजी]- भक्तमाल


चार सौ साल पहलेकी बात है। सौन्दर्यकी गोद कश्मीरकी घाटीमें भक्त महेशदासजीका जन्म हुआ था। कश्मीरकी रमणीयताने इनके मनमें सौन्दर्य उपासनाके प्रति प्रगाढ़ अभिरुचि उत्पन्न कर दी और बचपनसे ही ये चेतन-सौन्दर्य परमात्माकी खोजमें लग गये। ये घरसे निकल पड़े और बीस कोसकी दूरीपर एक पहाड़ी नदीके तटपर पर्वतकी गुफामें रहकर भगवान्का भजन करने लगे। ये प्रायः वीणाके मनोरम तार झंकृतकर एकान्तमें अपने प्रियतमका आवाहन किया करते थे। धीरे-धीरे आस-पासके ग्रामों और नगरोंमें इनकी ख्याति बढ़ने लगी। एक दिन इन्होंने अचानक अपनी कुटीके सामने ही एक सिद्ध महात्मा योगीका दर्शन किया। वे तपस्याकी मूर्ति थे। उनके हाथमें जलपात्र था, बगलमें मृगछाला थी। जटाएँ सुनहली थीं, मुखमण्डल दिव्य कान्तिसे चमक रहा था। महेशदासजीने अपने-आपको उनके चरणोंमें समर्पितकर दिया। ये उनके शिष्य हो गये।

ये अपने गुरुदेव, पिण्डोरीधामके संस्थापक योगिराज श्रीभगवानजी महाराजके साथ गुरुस्थान पिण्डोरीमें चले आये। वे नित्य सूर्योदयसे पहले व्यास नदीमें स्नानकर प्रकृतिकी शान्तिमयी गोदमें बैठकर भगवान्‌की आराधना किया करते थे। एक बार मुगलसम्राट् जहाँगीरसे भी इनकी अचानक भेंट हो गयी थी। वे महेशदासजीकी भक्तिनिष्ठासे बहुत प्रभावित हुए थे। महेशदासजीके उपास्य भगवान् श्रीसीता-रामभद्र थे भगवान्ने कृपापूर्वक भक्तकी इच्छा पूर्ण की। उनकी गुरुनिष्ठा भी अत्यन्त प्रभावपूर्ण थी। वे सदा कहा करते थे कि 'नवधा भक्तिमेंसे किसी भी एकका आश्रय लेनेपर जीव भगवत्कृपाके अधिकारी हो जाते हैं।' उन्होंने भगवान् श्रीरामकी लीलाका चिन्तन करते-करते शरीर छोड़ा था। उनकी समाधिपर प्रत्येक वर्ष पिण्डोरीमें बहुत बड़ा मेला लगता है।



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chaar sau saal pahalekee baat hai. saundaryakee god kashmeerakee ghaateemen bhakt maheshadaasajeeka janm hua thaa. kashmeerakee ramaneeyataane inake manamen saundary upaasanaake prati pragaadha़ abhiruchi utpann kar dee aur bachapanase hee ye chetana-saundary paramaatmaakee khojamen lag gaye. ye gharase nikal pada़e aur bees kosakee dooreepar ek pahaada़ee nadeeke tatapar parvatakee guphaamen rahakar bhagavaanka bhajan karane lage. ye praayah veenaake manoram taar jhankritakar ekaantamen apane priyatamaka aavaahan kiya karate the. dheere-dheere aasa-paasake graamon aur nagaronmen inakee khyaati badha़ne lagee. ek din inhonne achaanak apanee kuteeke saamane hee ek siddh mahaatma yogeeka darshan kiyaa. ve tapasyaakee moorti the. unake haathamen jalapaatr tha, bagalamen mrigachhaala thee. jataaen sunahalee theen, mukhamandal divy kaantise chamak raha thaa. maheshadaasajeene apane-aapako unake charanonmen samarpitakar diyaa. ye unake shishy ho gaye.

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