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प्रभु जगद्वन्धु की मार्मिक कथा
प्रभु जगद्वन्धु की अधबुत कहानी - Full Story of प्रभु जगद्वन्धु (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [प्रभु जगद्वन्धु]- भक्तमाल


जगन्जका जन्म सन् 1871 60 में डाहापाड़ा (मुर्शिदाबाद) नामक गाँवके एक ब्राह्मण कुलमें हुआ था 16-17 वर्षकी उम्र में ही इनमें भगवद्भकि वैराग्य, दयाभावका इतना विकास हो गया कि लोग इनकी ओर आकर्षित हुए बिना नहीं रह सके। सैकड़ों-हजारोंको संख्यामें लोग इनके कीर्तनमें शामिल होने लगे और इनके अमूल्य उपदेशोंसे लाभ उठाने लगे। ये भी घूम-घूमकर बंगालभर में हरि-नाम सङ्कीर्तनका प्रचार करने लगे। कहते हैं, इनके शरीर में एक प्रकारका दिव्य तेज था, जिसे सब लोग सहन नहीं कर सकते थे। इसीसे ये सर्वदा अपना शरीर ढकारखते थे और यह आदेश कर रखा था कि कोई कभी छिपकर भी न देखे। दो-एक आदमियोंने जब इस आज्ञाका उल्लङ्घन किया, तब इनके दर्शनमात्रसे वे बेहोश हो गये।

पिछले दिनों इनका शरीर बड़ा रुग्ण हो गया था; फिर भी उनका तेज ज्यों-का-त्यों था और निरन्तर हरि नाम-सङ्कीर्तन इनके चारों ओर होता रहता था । इस तरह जीवनभर भक्तिमार्गका स्वयं अनुसरणकर और सर्वसाधारणमें उसका प्रचारकर इन्होंने अपनी कुटी श्रीअङ्गनमें 17 सितम्बर, सन् 1921 को महाप्रस्थान किया। इसके 9 दिन बाद उसी स्थानमें इन्हें समाधि दी गयी थी।



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[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [prabhu jagadvandhu]- Bhaktmaal


jaganjaka janm san 1871 60 men daahaapaaड़a (murshidaabaada) naamak gaanvake ek braahman kulamen hua tha 16-17 varshakee umr men hee inamen bhagavadbhaki vairaagy, dayaabhaavaka itana vikaas ho gaya ki log inakee or aakarshit hue bina naheen rah sake. saikada़on-hajaaronko sankhyaamen log inake keertanamen shaamil hone lage aur inake amooly upadeshonse laabh uthaane lage. ye bhee ghooma-ghoomakar bangaalabhar men hari-naam sankeertanaka prachaar karane lage. kahate hain, inake shareer men ek prakaaraka divy tej tha, jise sab log sahan naheen kar sakate the. iseese ye sarvada apana shareer dhakaarakhate the aur yah aadesh kar rakha tha ki koee kabhee chhipakar bhee n dekhe. do-ek aadamiyonne jab is aajnaaka ullanghan kiya, tab inake darshanamaatrase ve behosh ho gaye.

pichhale dinon inaka shareer bada़a rugn ho gaya thaa; phir bhee unaka tej jyon-kaa-tyon tha aur nirantar hari naama-sankeertan inake chaaron or hota rahata tha . is tarah jeevanabhar bhaktimaargaka svayan anusaranakar aur sarvasaadhaaranamen usaka prachaarakar inhonne apanee kutee shreeanganamen 17 sitambar, san 1921 ko mahaaprasthaan kiyaa. isake 9 din baad usee sthaanamen inhen samaadhi dee gayee thee.

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