Category: Braj Ke Sawaiya

मंजुल मोरपखा छहरै छवि सों जब ग्रीव कछु मटकावत

मंजुल मोरपखा छहरै छवि सों जब ग्रीव कछु मटकावत ।नूपुर की झनकारन पै झुकि ग्वालिन गोधन गीत गवांवत ॥आननचन्द सु मन्द हंसी ‘रतनाकर’ माल हिये […]

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दे लिखि बांहन पे व्रजचन्द्र सो गोल कपोलन कुंज बिहारी

दे लिखि बांहन पे व्रजचन्द्र सो गोल कपोलन कुंज बिहारी।त्यों ‘पदमाकर’ हीय हरी लिखि गोसो गोविन्द गरे-गिरिधारी॥या बिधि ते नख से सिख लौं लिख कन्त […]

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ज्यों भरि कै जल तीर धरी निरखे त्यों अधीर ह्वै न्हात कन्हाई

ज्यों भरि कै जल तीर धरी निरखे त्यों अधीर ह्वै न्हात कन्हाई।जानैं नहीं तेहि ताकन में ‘रतनाकर’ कीन्ही महा टुनहाई॥छाई कछू हरू आई शरीर में […]

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बैठी हती गुरु लोगन में मन ते मनमोहन को न विसारति।

बैठी हती गुरु लोगन में मन ते मनमोहन को न विसारति।त्यों नन्दलाल जू आय गये बन ते सिर मोरन पंख संवारत॥लाज ते पीठ दै बैठि […]

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मण्डल रास बिलास महा रसमण्डल श्री वृषभान दुलारी

मण्डल रास बिलास महा रसमण्डल श्री वृषभान दुलारी।पंडित कोक चला गुण मण्डित कोटिक राजत गोपकुमारी॥प्रीतम के भुज दण्ड में शोभित संग में अंग अनंगन वारी।तान […]

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सुन्दर मूरति दृष्टि परी तब ते जिय चंचल होय रहा है

सुन्दर मूरति दृष्टि परी तब ते जिय चंचल होय रहा है।सोच सकोच सभी जो मिटे अरु बोल कुबोल सभी जो सहा है॥रैन दिना मोहि चैन […]

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ब्रह्म में ढूंढ्यो पुरानन वेदन भैद सुन्यो चित चौगुने चायन

ब्रह्म में ढूंढ्यो पुरानन वेदन भैद सुन्यो चित चौगुने चायन।देख्यो सुन्यो न कहूं कबहूं वह कैसे स्वरूप औ कैसे सुभायन॥ढूंढत ढूंढत हारि परयो ‘रसखानि’ बतायो […]

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द्वार के द्वारिया पौरि के पौरिया पाहरुवा घर के घनश्याम हैं

द्वार के द्वारिया पौरि के पौरिया पाहरुवा घर के घनश्याम हैं।दास के दास सखीन के सेवक पार परोसिन के धन धाम हैं॥‘श्रीधर’ कान्ह भये बस […]

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मन में बसी बस चाह यही प्रिय नाम तुम्हारा उचारा करूं

मन में बसी बस चाह यही प्रिय नाम तुम्हारा उचारा करूं।बिठला के तुम्हें मन मंदिर में मन मोहन रूप निहारा करूं॥भर के दृग पात्र में […]

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चैन नहीं दिन रैन परै जब ते तुम नयनन नेक निहारे

चैन नहीं दिन रैन परै जब ते तुम नयनन नेक निहारे।काज बिसार दिये घर के व्रजराज! मैं लाज समाज विसारे॥मो विनती मनमोहन मानियो मोसों कबू […]

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