नवनीत गुलाब से कोमल है ‘हठी’ कंज को मंजुलता इन में ।गुललाला गुलाल प्रबाल जपा छबि ऐसी न देखी ललाइन में ॥मुनि मानस मंदिर मध्य […]
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एक सखी घर सो निकसी, मानो चंदहि देन चली उपमा सी
एक सखी घर सो निकसी, मानो चंदहि देन चली उपमा सी ।कोऊ कहै यह काहू की नगरि, कोऊ कहै यह काहू की दासी ॥मारग बीच […]
Read moreआपकी ओर की चाहैं लिखी, लिखि जात कथा उत मोहन ओर की
आपकी ओर की चाहैं लिखी, लिखि जात कथा उत मोहन ओर की ।प्यारी दया करि वेगि मिलो, सहिजात व्यथा नहि मैंनमरोर की ॥आपुहिं बाँचत अंग […]
Read moreमेरो स्वभाव चितैवे को माई री, लाल निहारि कै बंसी बजाई
मेरो स्वभाव चितैवे को माई री, लाल निहारि कै बंसी बजाई ।बा दिन सों मोहिं लागो ठगौरी सी लोग कहैं लखि बाबरी आई ॥यों ‘रसखानि’ […]
Read moreकाहे को वैद बुलावत हो, मोहि रोग लगाय के नारि गहो रे
काहे को वैद बुलावत हो, मोहि रोग लगाय के नारि गहो रे ।हे मधुहा मधुरी मुसकान निहारे बिना, कहो कैसो जियो रे ॥चन्दन लाय कपूर […]
Read moreमन मोहनलाल बड़ो छलिया, सखि वारू की भीति उठावत है
मन मोहनलाल बड़ो छलिया, सखि वारू की भीति उठावत है ।कर तोरत है नभ की कलियाँ, चट बन्द के फन्द लगावत है ॥जहँ पौंन न […]
Read moreराधिका कान्ह को ध्यान धरैं, तब कान्ह ह्वै राधिका के गुण गावैं
राधिका कान्ह को ध्यान धरैं, तब कान्ह ह्वै राधिका के गुण गावैं ।त्यों अँसुवा बरसैं बरसाने को पाती लिखैं लिखि राधे को ध्यावैं ॥राधे ह्वै […]
Read moreसावन तीज सुहावन कों सखि, सोहैं दुकूल सवै सुख साधा
सावन तीज सुहावन कों सखि, सोहैं दुकूल सवै सुख साधा ।देखे बनैं कहते न बनैं, उमगै उर में अनुराग अबाधा ॥प्रेम के हेम हिंडोरन में, […]
Read moreदीन दयाल सुने जब ते, तब ते मन में कछु ऐसी बसी है
दीन दयाल सुने जब ते, तब ते मन में कछु ऐसी बसी है ।तेरो कहाय के जाऊँ कहाँ, तुम्हरे हित की कटि फेंट कसी है […]
Read moreसांवरी राधिका मान कियो परि पांयन गोरे गोविन्द मनावत
सांवरी राधिका मान कियो परि पांयन गोरे गोविन्द मनावत ।नैन निचौहे रहं उनके नहीं बैन बिनै के नये कहि आवत ॥हारी सखी सिख दै ‘रतनाकर’ […]
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