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हनुमान्जी कथा सुनने आते हैं

घटना पटना (बिहार) की है। वहाँ अयोध्याके एक उच्चकोटिके सन्त श्रीरूपकलाजी रामकथा कहा करते | थे। कथा प्रारम्भ करनेके पहले वे हनुमानजीका आवाहन करते। श्रोताओंमें एक प्रसिद्ध वकील भी थे, जो प्रतिदिन कथाश्रवण करने आते थे। कथाके अन्तमें वे प्रतिदिन सन्तसे कहते कि कथा तो आप अति उत्तम एवं सरसतासे कहते हैं, किंतु आप यह ढोंग क्यों करते हैं कि चौकीपर हनुमान्जीके बैठनेका आवाहन करते हैं, उन्हें आनेको निमन्त्रित करते हैं? सन्त तो सन्त थे। वे वकील साहबसे कहते 'आपकी टिप्पणी अनुचित है।" किंतु वकील साहब अपनी आदतसे लाचार थे, प्रतिदिन टिप्पणी करते थे। तब एक दिन उन सन्तने उनसे कहा - 'ठीक है। एक दिन चौकी (गही) पर मैं हनुमान्जीका आवाहन करूंगा और कथा विसर्जित नहीं करूंगा और आप गही चौकीको उठाइयेगा, अगर आप उठा देंगे तो मैं आपकी बात मान लूंगा।'

दूसरे दिन सन्तने आवाहन करनेके अनन्तर विसर्जन नहीं किया और वकील साहबसे कहा- 'अब आप चौकी उठाइये।' वकील साहबने पूरी शक्ति लगाकर चौकी उठानेका प्रयास किया, किंतु उनका हाथ वहाँतक गया ही नहीं उनका पूरा शरीर काँपने लगा। वे पसीने-पसीने हो गये और बेहोश होकर गिर पड़े। क्षणभर बाद जब उनकी बेहोशी टूटी तो उन्होंने स्वीकार किया कि हनुमानजी जरूर आकर कथा सुनते हैं। सन्त तो सन्त थे, महात्मा थे। उन्होंने वकील साहबको क्षमा कर दिया। वकील साहब इस अलौकिक अनुभवके बाद घर नहीं लौटे। वे सीधे अयोध्या आ गये। वहीं निवास करने लगे, भक्ति भजन करने लगे। उन्होंने एक भवन भी बनवाया, जिसका नाम रखा 'रूपकला निकेतन'।

[श्रीकृष्णकुमारजी ]



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hanumaanjee katha sunane aate hain

ghatana patana (bihaara) kee hai. vahaan ayodhyaake ek uchchakotike sant shreeroopakalaajee raamakatha kaha karate | the. katha praarambh karaneke pahale ve hanumaanajeeka aavaahan karate. shrotaaonmen ek prasiddh vakeel bhee the, jo pratidin kathaashravan karane aate the. kathaake antamen ve pratidin santase kahate ki katha to aap ati uttam evan sarasataase kahate hain, kintu aap yah dhong kyon karate hain ki chaukeepar hanumaanjeeke baithaneka aavaahan karate hain, unhen aaneko nimantrit karate hain? sant to sant the. ve vakeel saahabase kahate 'aapakee tippanee anuchit hai." kintu vakeel saahab apanee aadatase laachaar the, pratidin tippanee karate the. tab ek din un santane unase kaha - 'theek hai. ek din chaukee (gahee) par main hanumaanjeeka aavaahan karoonga aur katha visarjit naheen karoonga aur aap gahee chaukeeko uthaaiyega, agar aap utha denge to main aapakee baat maan loongaa.'

doosare din santane aavaahan karaneke anantar visarjan naheen kiya aur vakeel saahabase kahaa- 'ab aap chaukee uthaaiye.' vakeel saahabane pooree shakti lagaakar chaukee uthaaneka prayaas kiya, kintu unaka haath vahaantak gaya hee naheen unaka poora shareer kaanpane lagaa. ve paseene-paseene ho gaye aur behosh hokar gir pada़e. kshanabhar baad jab unakee behoshee tootee to unhonne sveekaar kiya ki hanumaanajee jaroor aakar katha sunate hain. sant to sant the, mahaatma the. unhonne vakeel saahabako kshama kar diyaa. vakeel saahab is alaukik anubhavake baad ghar naheen laute. ve seedhe ayodhya a gaye. vaheen nivaas karane lage, bhakti bhajan karane lage. unhonne ek bhavan bhee banavaaya, jisaka naam rakha 'roopakala niketana'.

[shreekrishnakumaarajee ]

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