⮪ All भगवान की कृपा Experiences

मानसपारायणकी कृपानुभूति

मैं सत्र १९७७-७८ में फर्रुखाबाद (उ०प्र०) जनपदके एक इण्टर कालेजमें शिक्षकके पदपर कार्यरत था। दैवयोगसे कालेजमें असामान्य परिस्थितियाँ उत्पन्न हुईं और कुछ अन्य शिक्षकोंके साथ मेरी भी शिक्षण सेवा समाप्त कर दी गयी। सेवाकी पुनः स्थापनाहेतु वैधानिक प्रयास किये गये, परंतु तात्कालिक रूपसे वांछित सफलता प्राप्त न हो सकी। प्रतिकूल परिस्थितिके कारण मनमें संकोच, शर्म तथा आत्मग्लानि बनी रहती थी। फलतः परिचितों, इष्ट मित्रों एवं परिवारीजनोंसे मेल-मिलापकी इच्छा नहीं होती थी।

आदरणीया माताजीसे धार्मिक संस्कार मिलनेके कारण कष्टदायक विषम समयमें केवल ईश्वरकी आराधना पूजा एवं नाम-जपसे ही कष्ट निवारणकी आशा कर रहा था। अतएव जून ७८ में श्रीरामचरितमानसका मासपारायण करनेका विचार मस्तिष्कमें आया। अस्तु अगले ही दिन प्रातः कालीन नित्यकर्मसे निवृत्त होकर श्रीराम दरबारको सम्मुख रखकर विधि-विधानसेएवं दीन-हीन भावके साथ अश्रुपूरित नेत्रोंसे मैंने मासपारायण प्रारम्भ कर दिया। सम्पुट था

मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी ॥ साथ ही पाठका वाचन, सामान्य गति एवं स्वरके साथ पूर्ण मनोयोगसे करता था तथा प्रत्येक दोहेके पश्चात् हाथ जोड़कर और सिर झुकाकर श्रीरामदरबारको प्रणाम कर लेता था।

इस प्रकार मासपारायणका कार्यक्रम निर्विघ्नतासे चलता रहा तथा इसका समापन जुलाई ७८ के मध्य में हुआ। उक्त अवधिमें जब भी मैं कोई अन्य कार्य करता या खाली रहता तो 'श्रीराम जय राम, जय जय राम' या 'हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे' का जप निरन्तर चलता रहता । वस्तुतः मासपारायणके समापनके बाद भी मन्त्र जपकी यह प्रक्रिया आगे भी चलती रही।

अगले माह अगस्तमें मुझे लखीमपुर-खीरी(उ०प्र०) - के एक इण्टर कालेजसे प्रवक्ता पदहेतु नियुक्तिपत्र प्राप्त हुआ, जहाँ जाकर मैंने १६ अगस्त ७८ को कार्यभार ग्रहण कर लिया। इसके दो दिन पश्चात् मुझे उ० प्र० पुलिसमें उपनिरीक्षक पदहेतु नियुक्ति-पत्र प्राप्त हुआ। श्रद्धेय पिताजीकी इच्छानुसार मैंने शिक्षक पदको वरीयता देते हुए पुलिस पदको अस्वीकार कर दिया। उक्त घटनाक्रम यह दरसाता है कि जो व्यक्ति सच्चेमन एवं लगनसे श्रीरामचरितमानसका मासपारायण करता है तो प्रभु श्रीरामजीकी कृपासे वह शीघ्र ही मनोवांछित फल प्राप्त करके कष्टमुक्त हो जाता है एवं स्वस्थ, शान्तिपूर्ण तथा मंगलमय जीवन व्यतीत करता है। आवश्यकता केवल इतनी है कि यह कार्य पूर्ण श्रद्धा, विश्वास एवं मनोयोगसे किया जाय।

[ श्रीसुमतिनारायणजी दीक्षित ]



You may also like these:



maanasapaaraayanakee kripaanubhooti

main satr 1977-78 men pharrukhaabaad (u0pra0) janapadake ek intar kaalejamen shikshakake padapar kaaryarat thaa. daivayogase kaalejamen asaamaany paristhitiyaan utpann hueen aur kuchh any shikshakonke saath meree bhee shikshan seva samaapt kar dee gayee. sevaakee punah sthaapanaahetu vaidhaanik prayaas kiye gaye, parantu taatkaalik roopase vaanchhit saphalata praapt n ho sakee. pratikool paristhitike kaaran manamen sankoch, sharm tatha aatmaglaani banee rahatee thee. phalatah parichiton, isht mitron evan parivaareejanonse mela-milaapakee ichchha naheen hotee thee.

aadaraneeya maataajeese dhaarmik sanskaar milaneke kaaran kashtadaayak visham samayamen keval eeshvarakee aaraadhana pooja evan naama-japase hee kasht nivaaranakee aasha kar raha thaa. ataev joon 78 men shreeraamacharitamaanasaka maasapaaraayan karaneka vichaar mastishkamen aayaa. astu agale hee din praatah kaaleen nityakarmase nivritt hokar shreeraam darabaarako sammukh rakhakar vidhi-vidhaanaseevan deena-heen bhaavake saath ashrupoorit netronse mainne maasapaaraayan praarambh kar diyaa. samput thaa

mangal bhavan amangal haaree. dravau so dasarath ajir bihaaree .. saath hee paathaka vaachan, saamaany gati evan svarake saath poorn manoyogase karata tha tatha pratyek doheke pashchaat haath joda़kar aur sir jhukaakar shreeraamadarabaarako pranaam kar leta thaa.

is prakaar maasapaaraayanaka kaaryakram nirvighnataase chalata raha tatha isaka samaapan julaaee 78 ke madhy men huaa. ukt avadhimen jab bhee main koee any kaary karata ya khaalee rahata to 'shreeraam jay raam, jay jay raama' ya 'hare raam hare raam raam raam hare hare, hare krishn hare krishn krishn krishn hare hare' ka jap nirantar chalata rahata . vastutah maasapaaraayanake samaapanake baad bhee mantr japakee yah prakriya aage bhee chalatee rahee.

agale maah agastamen mujhe lakheemapura-kheeree(u0pra0) - ke ek intar kaalejase pravakta padahetu niyuktipatr praapt hua, jahaan jaakar mainne 16 agast 78 ko kaaryabhaar grahan kar liyaa. isake do din pashchaat mujhe u0 pra0 pulisamen upanireekshak padahetu niyukti-patr praapt huaa. shraddhey pitaajeekee ichchhaanusaar mainne shikshak padako vareeyata dete hue pulis padako asveekaar kar diyaa. ukt ghatanaakram yah darasaata hai ki jo vyakti sachcheman evan laganase shreeraamacharitamaanasaka maasapaaraayan karata hai to prabhu shreeraamajeekee kripaase vah sheeghr hee manovaanchhit phal praapt karake kashtamukt ho jaata hai evan svasth, shaantipoorn tatha mangalamay jeevan vyateet karata hai. aavashyakata keval itanee hai ki yah kaary poorn shraddha, vishvaas evan manoyogase kiya jaaya.

[ shreesumatinaaraayanajee deekshit ]

110 Views

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
READ NOW FREE
84 Beautiful Names Of Lord Shri Krishna (with Meaning) – Reading Them Fills The Heart With Love15 Obstacles That Can Easily Derail Us From Our Path Of Bhakti8 Yardsticks To Evaluate If My Bhakti Is Increasing?What Is Navdha Bhakti? And Why Is It So Important For Us?



Bhajan Lyrics View All

दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे
किशोरी तेरे चरणन में, महारानी तेरे
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
सुबह सवेरे  लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु,
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
तेरे दर पे आके ज़िन्दगी मेरी
यह तो तेरी नज़र का कमाल है,
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा

New Bhajan Lyrics View All

नचलो नचलो नचलो जी आ गए सतगुरु महाराज,
सतगुरु महाराज आ गये सतगुरु महाराज...
बनेगी जनकपुरी ससुराल सखी सब मंगल गाओ
बन्ने के बाबा सजे बरात बन्ने के ताऊ सज
कमाल हुई गवा हो कमाल हुई गवा,
राम मिथला में आए कमाल हुई गवा...
भादो का मुहीना घटाए घनघोर
आधी रात को जन्मे देखो नटवर नंद किशोर
हे शिव पिता परमात्मा करते है तेरी
ज्ञान को सूरज है तू सारे जगत की आत्मा,