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माँ नर्मदाकी कृपा

घटना सन् १९६९ई० की है। मैं अपनी धर्मपत्नी एवं चार बच्चोंके साथ नर्मदाजीका दर्शन करनेके लिये अमरकंटक गया था। साथमें १२ अन्य श्रद्धालु भी थे। रातभर चलनेके बाद हम छः बजे प्रात: अमरकंटक पहुँचे। वहाँ सारा सामान धर्मशालामें रखकर स्नान करने कुंडपर गये। कुंडमें स्नान कर ही रहे थे कि मेरे दो लड़के आपसमें झगड़ पड़े। उनमें छोटा लड़का रोते रोते कुंडसे बाहर निकलकर न जाने कहाँ किस ओर भाग गया। मैं स्नान करके तुरंत धर्मशाला पहुँचा, लड़का वहाँ मिला नहीं। फिर क्या था, मैं और मेरे सभी साथी लड़केको ढूँढ़ने चारों ओर निकल पड़े। लाउडस्पीकरसे भी कई बार ऐलान कराया गया, पर कोई सफलता नहीं मिली। मेँ ढूँढ़ते-ढूँढ़ते परेशान हो गया। अब मेरा बहुत बुरा हाल था। एक तो यात्राके कारण रातभर जगना पड़ा था, दूसरे कण्टकाकीर्ण मार्गमें नंगे पाँव चलनेसे पैर लहूलुहान हो गये थे। अब मैं बिलकुल थका हुआ-सानिराश होकर धर्मशाला वापस लौट आया। वहाँ भी साथी निराश बैठे थे तथा मेरी पत्नी और अन्य बच्चे रो रहे थे। यह दृश्य देखकर मेरा मन व्यथित हो गया और बड़े ही करुण-भावसे माँ नर्मदाका एक क्षण ध्यानकर मैं पुनः कुंडपर गया। वहाँ माँ नर्मदाकी स्तुति की और मन-ही-मन प्रण भी किया कि जबतक लड़का मुझे नहीं मिलेगा, तबतक मैं अन्न-जल ग्रहण नहीं करूँगा और यहीं माँके दरबारमें पड़ा रहूँगा। मेरी ऐसी दयनीय दशा देख माँका हृदय द्रवित हो गया, उसने मेरी पुकार सुन ली। ठीक ५ बजे मेरे एक मित्र लड़केको लेकर कुंडपर पहुँचे। लड़केको देखकर मेरी आँखोंसे अश्रुधारा बह निकली। मैं गद्गद हो गया तथा मेरे मुँहसे 'माँ नर्मदाकी जय, माँ नर्मदाकी जय' की ध्वनि निकल पड़ी। माँ नर्मदा आर्त भक्तकी मन:कामना अवश्य ही पूर्ण करती हैं; क्योंकि यह सब माँ नर्मदाकी असीम अनुकम्पाका प्रत्यक्ष फल था

[ श्रीरामनारायणजी कश्यप ]



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maan narmadaakee kripaa

ghatana san 1969ee0 kee hai. main apanee dharmapatnee evan chaar bachchonke saath narmadaajeeka darshan karaneke liye amarakantak gaya thaa. saathamen 12 any shraddhaalu bhee the. raatabhar chalaneke baad ham chhah baje praata: amarakantak pahunche. vahaan saara saamaan dharmashaalaamen rakhakar snaan karane kundapar gaye. kundamen snaan kar hee rahe the ki mere do lada़ke aapasamen jhagada़ pada़e. unamen chhota lada़ka rote rote kundase baahar nikalakar n jaane kahaan kis or bhaag gayaa. main snaan karake turant dharmashaala pahuncha, lada़ka vahaan mila naheen. phir kya tha, main aur mere sabhee saathee lada़keko dhoondha़ne chaaron or nikal pada़e. laaudaspeekarase bhee kaee baar ailaan karaaya gaya, par koee saphalata naheen milee. men dhoondha़te-dhoondha़te pareshaan ho gayaa. ab mera bahut bura haal thaa. ek to yaatraake kaaran raatabhar jagana pada़a tha, doosare kantakaakeern maargamen nange paanv chalanese pair lahooluhaan ho gaye the. ab main bilakul thaka huaa-saaniraash hokar dharmashaala vaapas laut aayaa. vahaan bhee saathee niraash baithe the tatha meree patnee aur any bachche ro rahe the. yah drishy dekhakar mera man vyathit ho gaya aur bada़e hee karuna-bhaavase maan narmadaaka ek kshan dhyaanakar main punah kundapar gayaa. vahaan maan narmadaakee stuti kee aur mana-hee-man pran bhee kiya ki jabatak lada़ka mujhe naheen milega, tabatak main anna-jal grahan naheen karoonga aur yaheen maanke darabaaramen pada़a rahoongaa. meree aisee dayaneey dasha dekh maanka hriday dravit ho gaya, usane meree pukaar sun lee. theek 5 baje mere ek mitr lada़keko lekar kundapar pahunche. lada़keko dekhakar meree aankhonse ashrudhaara bah nikalee. main gadgad ho gaya tatha mere munhase 'maan narmadaakee jay, maan narmadaakee jaya' kee dhvani nikal pada़ee. maan narmada aart bhaktakee mana:kaamana avashy hee poorn karatee hain; kyonki yah sab maan narmadaakee aseem anukampaaka pratyaksh phal tha

[ shreeraamanaaraayanajee kashyap ]

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