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माँ कालीकी कृपानुभूति

आज मेरी अवस्था ७६ वर्षसे कुछ अधिक हो रही है। बचपनसे लेकर आजतक मुझे अनुभव होता आया है कि कोई-न-कोई अद्भुत शक्ति मेरा रक्षाकवच बन जाती है। जो मुझपर, मेरे परिवारपर आनेवाले संकटोंको कम करके हम सबकी रक्षा करती है।

स्वतन्त्रता-संग्राम-सेनानी मेरे पिता मेरे आदर्श हैं, जिन्होंने हम बच्चोंमें सत्यता, स्वच्छता एवं स्वाभिमानके संस्कार भरे । मेरे माता-पिता दोनों धर्मपरायण थे।

बचपनसे ही कल्याण पत्रिका एवं मानसका पठन पाठन मेरी दिनचर्या में शामिल था। झाँसी शहरमें लक्ष्मी तालाबके किनारे माता कालीका सिद्ध मन्दिर है । जहाँ महारानी लक्ष्मीबाई नित्य पूजा-अर्चना करने आती थीं। मैं भी बचपनमें अपनी सहेलीके साथ सुबह माँको जल चढ़ाने जाती थी एवं शामको दिया रखने जाती थी। तभीसे मुझे माँ कालीका वात्सल्य मिलता आ रहा है और माँने मेरे जीवनको कई बार संकटोंसे बचाया है।

मेरा विवाह जबलपुरमें हुआ था । उन दिनों बरातें ४-४ दिन ठहरती थीं। बराती भी बहुत आते थे। घनघोर वर्षाका समय था। कोई व्यवधान न हो, इसलिये मेरी माँ बहुत चिन्तित थीं। माँने माँ कालीसे विनय की और चार दिन वर्षा नहीं हुई। जैसे ही मेरी विदाई हुई कि वर्षाने अपना रौद्र रूप दिखाया। नदियाँ उफानपर थीं। जबलपुरसे बरात बसोंसे आयी थी। जहाँ रास्तेमें बेतवा नदी पड़ती है।उस समय उसपर पक्का पुल नहीं था, अतः बसें नदीके आर-पार खड़ी होती थीं और यात्री नावसे आया-जाया करते थे। बहुतसे बराती बससे उतरकर नावसे उस पार जा रहे थे। नदीका पाट चौड़ा था। नदी उफानपर थी। नाविकोंकी हिम्मत टूटने लगी। नावमें मेरे नानाश्वशुर एवं उनके भानजे तथा चाचाश्वशुर एवं उनके भानजे भी थे। सभी ईश्वरका नाम जप रहे थे और साक्षात् मौतका दर्शन कर रहे थे। नाव तेजीसे भँवरकी ओर जा रही थी, मल्लाह हताश था। अँधेरा छा रहा था कि तभी सबने देखा कि एक विशालकाय वृक्ष लहरमें आकर भँवरके ऊपर फँस गया एवं नाव बाहर अटक गयी, तबतक चीख-पुकार सुनकर नदीके किनारे कुछ लोग जमा हो गये और सुबहके धुँधलकेतक सब सुरक्षित बचा लिये गये।

परिवारमें जब यह सूचना प्राप्त हुई तो मेरे ददियाश्वशुरने मुझे आशीर्वाद दिया।

बादमें मेरे फुफेरे देवरने मुझे बताया कि भाभी ! उस दिन बेतवा नदीका रौद्र रूप हमने देखा और सामने खड़ी मौत देखी। भँवरकी ओर जाती नावको देख हम सबने डरकर अपनी आँखें बन्द कर लीं। उस दिनका बचना एक चमत्कार ही था ।

उस दिन मेरी काली माँ ही थीं, जिन्होंने मुझे जीवनभरके अपयशसे बचा लिया था।

जय माँ! [ श्रीमती शीलजी अग्रवाल ]



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maan kaaleekee kripaanubhooti

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parivaaramen jab yah soochana praapt huee to mere dadiyaashvashurane mujhe aasheervaad diyaa.

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us din meree kaalee maan hee theen, jinhonne mujhe jeevanabharake apayashase bacha liya thaa.

jay maan! [ shreematee sheelajee agravaal ]

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