⮪ All भगवान की कृपा Experiences

भावग्राही भगवान्ने पुराना स्वेटर भी स्वीकारा

एक गाँवमें एक बूढ़ी माई रहा करती थी। भगवान्
श्रीकृष्णके प्रति उसका बड़ा प्रेम था। प्रत्येक महीने
बाँकेबिहारीजीके दर्शनके लिये वृन्दावन जानेका उसका
नियम था।

एक बारकी बात है, सर्दीका समय, जनवरीका महीना चल रहा था। एकाएक उसके मनमें भाव आया कि बाँकेबिहारीको पहनानेके लिये एक स्वेटर तैयार करके ले चलूँ। भाव तो था, पर रुपयेका अभाव भी था। गरीबीमें भी भक्ति तो होती ही है अब माईके अन्दर भाव तो हुआ, परंतु नया स्वेटर बनाने के लिये ऊन कैसे प्राप्त हो ? रुपया है नहीं। उसके मनमें भाव आया अरे! नया ऊन नहीं तो पुराने स्वेटरके ऊनको निकालकर गाँठ दे देकर नया स्वेटर बनाया जा सकता है। उसने स्वेटर बना दिया। भगवान् तो भावग्राही हैं।

जब वह वृन्दावनके लिये चली तो एक थैलेमें पुराने ऊनवाला स्वेटर भी ले लिया। वह वृद्धा रास्तेमें सोचने लगी कि भगवान् तो दयालु हैं, पहन लेंगे, परंतु पुजारीजी स्वीकार करें कि न करें।

मंदिर पहुँचकर उसने थैला पुजारीजीको पकड़ाया। पुजारीजीने सोचा कि कोई नया शाल, चादर होगा। देखा तो पुराना स्वेटर लेकर वृद्धा आयी है। पण्डितजीमनमें सोचने लगे। ये माई पागल है। दिल्ली, मुम्बई, कोलकातासे बड़े-बड़े सेठ साहूकार बाँकेबिहारीके लिये शाल, स्वेटर लाते हैं। अब ठाकुरजीको पुराना स्वेटर कैसे पहनायें ?

पुजारीने रात्रिमें ठाकुरजीको जब शयन कराया तो ठाकुरजी सपनेमें कहने लगे 'पुजारीजी! सर्दी लग रही है।' पुजारीजी झट-पट उठे और कहने लगे अरे महाराज! ये शाल-स्वेटर तो मुम्बईवाले सेठजी लाये थे। आपको ठण्डी लग रही है। कोई बात नहीं। कोलकातावाले सेठजीका लाया स्वेटर पहना देता हूँ। उनका शाल और स्वेटर दोनों ही कीमती और खूब गरम हैं। थोड़ी देर बाद पुजारीजीसे ठाकुरजीने सपने में आकर फिर कहा-'पुजारीजी! सर्दी लग रही है।' पुजारीजीको थोड़ी झुंझलाहट हुई, बोले महाराजजी ! इतने कीमती शाल, स्वेटरसे सर्दी नहीं जा रही है तो जो गाँवकी बुढ़िया माई पुराने ऊनका स्वेटर लायी है, वही पहना देता हूँ। पुजारीजीने जैसे ही बुढ़िया माईका पुराना स्वेटर पहनाया, ठाकुरजीको नींद भी आ गयी और सर्दी भी दूर हो गयी।

वस्तु-पदार्थसे भगवान् राजी नहीं होते। भगवान् भीतरका भाव, नीयत देखते हैं।

[ श्रीशिवबलीजी चौबे ]



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Real Life Experience प्रभुकृपा


bhaavagraahee bhagavaanne puraana svetar bhee sveekaaraa

ek gaanvamen ek boodha़ee maaee raha karatee thee. bhagavaan
shreekrishnake prati usaka bada़a prem thaa. pratyek maheene
baankebihaareejeeke darshanake liye vrindaavan jaaneka usakaa
niyam thaa.

ek baarakee baat hai, sardeeka samay, janavareeka maheena chal raha thaa. ekaaek usake manamen bhaav aaya ki baankebihaareeko pahanaaneke liye ek svetar taiyaar karake le chaloon. bhaav to tha, par rupayeka abhaav bhee thaa. gareebeemen bhee bhakti to hotee hee hai ab maaeeke andar bhaav to hua, parantu naya svetar banaane ke liye oon kaise praapt ho ? rupaya hai naheen. usake manamen bhaav aaya are! naya oon naheen to puraane svetarake oonako nikaalakar gaanth de dekar naya svetar banaaya ja sakata hai. usane svetar bana diyaa. bhagavaan to bhaavagraahee hain.

jab vah vrindaavanake liye chalee to ek thailemen puraane oonavaala svetar bhee le liyaa. vah vriddha raastemen sochane lagee ki bhagavaan to dayaalu hain, pahan lenge, parantu pujaareejee sveekaar karen ki n karen.

mandir pahunchakar usane thaila pujaareejeeko pakada़aayaa. pujaareejeene socha ki koee naya shaal, chaadar hogaa. dekha to puraana svetar lekar vriddha aayee hai. panditajeemanamen sochane lage. ye maaee paagal hai. dillee, mumbaee, kolakaataase bada़e-bada़e seth saahookaar baankebihaareeke liye shaal, svetar laate hain. ab thaakurajeeko puraana svetar kaise pahanaayen ?

pujaareene raatrimen thaakurajeeko jab shayan karaaya to thaakurajee sapanemen kahane lage 'pujaareejee! sardee lag rahee hai.' pujaareejee jhata-pat uthe aur kahane lage are mahaaraaja! ye shaala-svetar to mumbaeevaale sethajee laaye the. aapako thandee lag rahee hai. koee baat naheen. kolakaataavaale sethajeeka laaya svetar pahana deta hoon. unaka shaal aur svetar donon hee keematee aur khoob garam hain. thoda़ee der baad pujaareejeese thaakurajeene sapane men aakar phir kahaa-'pujaareejee! sardee lag rahee hai.' pujaareejeeko thoda़ee jhunjhalaahat huee, bole mahaaraajajee ! itane keematee shaal, svetarase sardee naheen ja rahee hai to jo gaanvakee buढ़iya maaee puraane oonaka svetar laayee hai, vahee pahana deta hoon. pujaareejeene jaise hee budha़iya maaeeka puraana svetar pahanaaya, thaakurajeeko neend bhee a gayee aur sardee bhee door ho gayee.

vastu-padaarthase bhagavaan raajee naheen hote. bhagavaan bheetaraka bhaav, neeyat dekhate hain.

[ shreeshivabaleejee chaube ]

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