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भगवान्‌की सहज कृपा

हम सबपर श्रीभगवान्‌की बड़ी कृपा है। भगवान्‌की इस कृपापर सदा विश्वास रखना और इस महती कृपाके बलपर जगत्के सारे विघ्न-बाधाओंको हटाते हुए, सारे पाप तापोंको समूल ध्वंस करते हुए भगवान्के पावन पथपर सदा बढ़ते रहना चाहिये। भगवान्‌की कृपाका भरोसा रहेगा और निर्मल निष्काम पवित्र प्रेमकी प्यास होगी तो इन्द्रिय भोगोंकी लालसा सर्वथा समाप्त होकर परम पावन भगवत्प्रेम-सुधा रसका असाधारण नित्यप्रवाही झरना प्राप्त हो जायगा वह तो प्राप्त ही है; हम ही अपनी अनन्त और एकान्त आकांक्षाकी कमीसे दूर हो रहे हैं।

भगवान्की अनन्त अपार कृपापर सदा भरोसा तथा विश्वास रखना चाहिये कि सब कुछ हमारे मंगलके लिये ही हो रहा है और जहाँ प्रेमका राज्य है, वहाँ तो अमंगलका प्रश्न ही नहीं है। वहीं तो पूर्णतया केवल अपने परम प्रेमास्पद भगवान्‌की इच्छा पूर्ण होनेमें सब कुछ है। मनमें सदा-सर्वदा प्रसन्न रहना चाहिये। विषाद- खिन्नता तमोगुणके लक्षण हैं एवं प्रसन्नता प्रफुल्लता सत्त्वगुणके। अपने भगवान्‌को प्रसन्न देखकर सदा-सर्वदा हम प्रसन्न ही रहें।

बिना मनके भी तीर्थस्नान, भगवन्नाम-जप तथा संत दर्शनका पवित्र फल होता है। तुम मनको सदाके लिये प्रभुके मधुरतम स्मृति सागरमें डुबो देना चाहते हो, सो तो सर्वोत्तम है। प्रभुके पावन चरणकमल ही सर्वश्रेष्ठतम तीर्थ हैं। बिना किसी अन्य स्मृतिके तथा बिना किसी आशा-आकांक्षाके एवं बिना निज सुखकी किसी चाहके यदि कोई प्रभुके चरण -सागरमें अपने मनको निमग्न कर दे तो उसके समान न तो कोई सुखी है, न सौभाग्यशाली है, न पुण्यवान् है, न सुधा-स साधक है और न प्रेमी ही है। अतएव तुम्हारी यह चाह तो बहुत उत्तम है।

भगवान्‌की बड़ी ही कृपा है। उनकी कृपाका तो कहीं कोई अन्त ही नहीं है। वे हमारी ओर, हमारे कर्मोकी ओर देखते ही नहीं, सदा सहज कृपा ही बरसाते रहते हैं। हम यदि मान लें तो हमारे प्रत्येक कार्यको वे अपनी पूजा मान लेते हैं।
[परमार्थकी पगडंडियाँ]



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Real Life Experience प्रभुकृपा


bhagavaan‌kee sahaj kripaa

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bhagavaankee anant apaar kripaapar sada bharosa tatha vishvaas rakhana chaahiye ki sab kuchh hamaare mangalake liye hee ho raha hai aur jahaan premaka raajy hai, vahaan to amangalaka prashn hee naheen hai. vaheen to poornataya keval apane param premaaspad bhagavaan‌kee ichchha poorn honemen sab kuchh hai. manamen sadaa-sarvada prasann rahana chaahiye. vishaada- khinnata tamogunake lakshan hain evan prasannata praphullata sattvagunake. apane bhagavaan‌ko prasann dekhakar sadaa-sarvada ham prasann hee rahen.

bina manake bhee teerthasnaan, bhagavannaama-jap tatha sant darshanaka pavitr phal hota hai. tum manako sadaake liye prabhuke madhuratam smriti saagaramen dubo dena chaahate ho, so to sarvottam hai. prabhuke paavan charanakamal hee sarvashreshthatam teerth hain. bina kisee any smritike tatha bina kisee aashaa-aakaankshaake evan bina nij sukhakee kisee chaahake yadi koee prabhuke charan -saagaramen apane manako nimagn kar de to usake samaan n to koee sukhee hai, n saubhaagyashaalee hai, n punyavaan hai, n sudhaa-s saadhak hai aur n premee hee hai. ataev tumhaaree yah chaah to bahut uttam hai.

bhagavaan‌kee bada़ee hee kripa hai. unakee kripaaka to kaheen koee ant hee naheen hai. ve hamaaree or, hamaare karmokee or dekhate hee naheen, sada sahaj kripa hee barasaate rahate hain. ham yadi maan len to hamaare pratyek kaaryako ve apanee pooja maan lete hain.
[paramaarthakee pagadandiyaan]

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