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भगवान् शिवकी प्रत्यक्ष भक्तवत्सलता

घटना कई वर्ष पहले की है। पटना जिलेके एक गाँव श्री नामक एक सज्जन रहते थे, जो भगवान्‌की शिवरूपमें उपासना करते थे। उनके सर्वस्व शिव ही थे। जे जो कुछ कहते, भगवान् शिवसे ही कहते और उनका सारा काम किसी-न-किसी प्रकार चल ही जाता।

उस वर्ष वैशाख या ज्येष्ठ मासमें उनकी पुत्रीकाविवाह था। वर पक्षवालोंने इनसे रकम तिलकके रूपमेंतो ली ही थी, साथ ही बारात सजाने, रोशनी, बाजेगाजे आदिका भी सारा भार इन्हींके जिम्मे कर दिया था। इन्होंने सब कुछ स्वीकार कर लिया। वरके पिताने जो कुछ कहा, इन्होंने मान लिया और दिन-रात एक करके सारी बातें पूरी की। सारा प्रबन्ध हुआ, किंतु विवाहके दिन बाजेका प्रबन्ध न हो सका। उस दिन 'लग्न' अधिक संख्या थी, इसीलिये बहुत प्रयत्न करनेपर भी उन्हें कोई बाजा नहीं मिला। सन्ध्या हो चली और यह भी सूचना मिल गयी थी कि बारातके लोग आ रहे हैं और गाँवके निकट पहुँच रहे हैं। फिर भी बाजेका प्रबन्ध न हो सका। बात छोटी-सी थी, पर उनके लिये तो यह एक बड़ी भारी समस्या हो गयी थी।

गाँववालोंने भी ताना मारते हुए कहा- 'आज बिना बाजेके ही बारात श्री बाबूके द्वार लगेगी। किसीने उनकी भक्तिको हँसी उड़ाते हुए कहा- 'सम्भवतः शिवजी अब भी कोई प्रबन्ध कर दें।'

ये सब बातें उनके लिये असह्य हो उठीं। वे चुपचाप खिसक गये और अपने आराध्यदेव के मन्दिरमें जा पहुँचे। भक अपने भगवान्के अतिरिक्त और किसके पास जा सकता है। उन्होंने शिवलिंगके समक्ष रो-रोकर कहना प्रारम्भ किया- 'भगवन्! यह कौन-सी लीला कर रहे हैं? आपने सारी व्यवस्था तो कर दी, क्या एक बाजेका प्रबन्ध करना आपके लिये कठिन था। | जो कुछ अबतक हुआ है, सब आपने ही तो किया है। मैं तथा मेरे कुटुम्बके लोग तो सब निमित्तमात्र रहे हैं। अब यदि बाजेका प्रबन्ध नहीं हुआ तो मैं मुख दिखलानेयोग्य नहीं रह जाऊँगा। बस, यही आपसे मेरी प्रार्थना-टेक है।'

उधर बारात गाजे-बाजेके साथ गाँवके पास पहुँची;किंतु श्री लापता हैं। लोगोंने बहुत छान-बीन की, किंतु वे कहीं न मिले। सबको चिन्ता-सी सताने लगी। लोग कहने लगे-'ठीक समयपर ही वे कहाँ चले गये ? अब कैसे क्या होगा ?' इतनेमें ही किसीको उनकी शिव-भक्तिकी याद हो आयी। अनुमान लगाया गया कि वे शिव मन्दिरमें होंगे। वास्तवमें खोजनेपर वे मिले भी वहीं। लोगोंने कहा- आप यहाँ क्यों पड़े हैं?'

वे बोले-'बाजेका प्रबन्ध जो नहीं कर सका।

अब क्या मुख दिखाऊँ ?'

उत्तर मिला-'बाजा तो बज रहा है। आप क्यों चिन्ता कर रहे हैं? सम्भवतः बारातवालोंने ही बाजेका प्रबन्ध कर लिया है।' बाजेका शब्द सुनायी पड़ रहा था, इसीलिये उनकोविश्वास करनेमें देर न लगी।

बारात द्वारपर आयी और शुभ लग्नमें विवाह हो गया। बड़ा सुन्दर बैंड बाजा था। लोग मुग्ध थे। ऐसा बाजा पहले उन लोगोंने नहीं सुना था। विवाह सम्पन्न हुआ। अब आया बारातवालोंको भोजन करानेका समय। इससे पहले बारात में पूरी-मिठाई भेज दी गयी थी, उस समय सबकी अलग-अलग खोज नहीं की गयी थी; किंतु भोजन करानेके लिये तो खोज आवश्यक थी। सब आये; किंतु बाजेवाले नहीं आये। बारातवालोंसे पूछा गया 'आपके बाजेवाले कहाँ गये ?"

उत्तर मिला-'हमारे बाजेवाले कहाँ? उन्हें तोआपने ही भेजा था।"

वे बोले-'मैंने भेजा था, यह आपको किसने कहा ?" वरके पिता उन्हीं बाजेवालोंने तो हमलोग आ रहे थे. ये बाजेवाले रास्ते में मिले और हमसे बोले क्या अमुक बाबू आप ही हैं? क्या आपके ही पुत्रकी बारात अमुक गाँवमें जा रही है? हमको श्रीने आपके ही लिये भेजा है।'

उत्तर सुनकर वे अवाक् रह गये। उन्होंने अधिक पूछताछ नहीं की। भोलेनाथकी अद्भुत कृपाका प्रत्यक्ष अनुभव करके वे रोने लगे इतना रोये कि धिग्धी बँध गयी, किंतु इस रोनेमें जो आनन्द था, उसका अनुभव कोई भाग्यवान् भक्त ही कर सकता है।[ श्रीरघुनन्दनप्रसादसिंहजी ]



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bhagavaan shivakee pratyaksh bhaktavatsalataa

ghatana kaee varsh pahale kee hai. patana jileke ek gaanv shree naamak ek sajjan rahate the, jo bhagavaan‌kee shivaroopamen upaasana karate the. unake sarvasv shiv hee the. je jo kuchh kahate, bhagavaan shivase hee kahate aur unaka saara kaam kisee-na-kisee prakaar chal hee jaataa.

us varsh vaishaakh ya jyeshth maasamen unakee putreekaavivaah thaa. var pakshavaalonne inase rakam tilakake roopamento lee hee thee, saath hee baaraat sajaane, roshanee, baajegaaje aadika bhee saara bhaar inheenke jimme kar diya thaa. inhonne sab kuchh sveekaar kar liyaa. varake pitaane jo kuchh kaha, inhonne maan liya aur dina-raat ek karake saaree baaten pooree kee. saara prabandh hua, kintu vivaahake din baajeka prabandh n ho sakaa. us din 'lagna' adhik sankhya thee, iseeliye bahut prayatn karanepar bhee unhen koee baaja naheen milaa. sandhya ho chalee aur yah bhee soochana mil gayee thee ki baaraatake log a rahe hain aur gaanvake nikat pahunch rahe hain. phir bhee baajeka prabandh n ho sakaa. baat chhotee-see thee, par unake liye to yah ek bada़ee bhaaree samasya ho gayee thee.

gaanvavaalonne bhee taana maarate hue kahaa- 'aaj bina baajeke hee baaraat shree baabooke dvaar lagegee. kiseene unakee bhaktiko hansee uda़aate hue kahaa- 'sambhavatah shivajee ab bhee koee prabandh kar den.'

ye sab baaten unake liye asahy ho utheen. ve chupachaap khisak gaye aur apane aaraadhyadev ke mandiramen ja pahunche. bhak apane bhagavaanke atirikt aur kisake paas ja sakata hai. unhonne shivalingake samaksh ro-rokar kahana praarambh kiyaa- 'bhagavan! yah kauna-see leela kar rahe hain? aapane saaree vyavastha to kar dee, kya ek baajeka prabandh karana aapake liye kathin thaa. | jo kuchh abatak hua hai, sab aapane hee to kiya hai. main tatha mere kutumbake log to sab nimittamaatr rahe hain. ab yadi baajeka prabandh naheen hua to main mukh dikhalaaneyogy naheen rah jaaoongaa. bas, yahee aapase meree praarthanaa-tek hai.'

udhar baaraat gaaje-baajeke saath gaanvake paas pahunchee;kintu shree laapata hain. logonne bahut chhaana-been kee, kintu ve kaheen n mile. sabako chintaa-see sataane lagee. log kahane lage-'theek samayapar hee ve kahaan chale gaye ? ab kaise kya hoga ?' itanemen hee kiseeko unakee shiva-bhaktikee yaad ho aayee. anumaan lagaaya gaya ki ve shiv mandiramen honge. vaastavamen khojanepar ve mile bhee vaheen. logonne kahaa- aap yahaan kyon pada़e hain?'

ve bole-'baajeka prabandh jo naheen kar sakaa.

ab kya mukh dikhaaoon ?'

uttar milaa-'baaja to baj raha hai. aap kyon chinta kar rahe hain? sambhavatah baaraatavaalonne hee baajeka prabandh kar liya hai.' baajeka shabd sunaayee pada़ raha tha, iseeliye unakovishvaas karanemen der n lagee.

baaraat dvaarapar aayee aur shubh lagnamen vivaah ho gayaa. bada़a sundar baind baaja thaa. log mugdh the. aisa baaja pahale un logonne naheen suna thaa. vivaah sampann huaa. ab aaya baaraatavaalonko bhojan karaaneka samaya. isase pahale baaraat men pooree-mithaaee bhej dee gayee thee, us samay sabakee alaga-alag khoj naheen kee gayee thee; kintu bhojan karaaneke liye to khoj aavashyak thee. sab aaye; kintu baajevaale naheen aaye. baaraatavaalonse poochha gaya 'aapake baajevaale kahaan gaye ?"

uttar milaa-'hamaare baajevaale kahaan? unhen toaapane hee bheja thaa."

ve bole-'mainne bheja tha, yah aapako kisane kaha ?" varake pita unheen baajevaalonne to hamalog a rahe the. ye baajevaale raaste men mile aur hamase bole kya amuk baaboo aap hee hain? kya aapake hee putrakee baaraat amuk gaanvamen ja rahee hai? hamako shreene aapake hee liye bheja hai.'

uttar sunakar ve avaak rah gaye. unhonne adhik poochhataachh naheen kee. bholenaathakee adbhut kripaaka pratyaksh anubhav karake ve rone lage itana roye ki dhigdhee bandh gayee, kintu is ronemen jo aanand tha, usaka anubhav koee bhaagyavaan bhakt hee kar sakata hai.[ shreeraghunandanaprasaadasinhajee ]

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